सांकेतिक तस्वीर
भारतीय प्रतिस्पर्धा आयोग (CCI) द्वारा ब्रिटेन स्थित JCB और इसकी भारतीय सहायक कंपनी के खिलाफ अपने प्रभुत्वशाली स्थिति के कथित दुरुपयोग को लेकर शुरू की गई जांच को दिल्ली हाईकोर्ट ने खारिज कर दिया है.
जस्टिस प्रतिभा एम. सिंह और जस्टिस अमित शर्मा की खंडपीठ ने सीसीआई की कार्यवाही और JCB के खिलाफ सर्च वारंट जारी करने वाले ट्रायल कोर्ट के आदेश को खारिज कर दिया. न्यायालय ने नोट किया कि ट्रैक्टर और ट्रैक्टर अटैचमेंट बनाने वाली भारतीय कंपनी बुल मशीन (Bull Machine) ने JCB के साथ मामले को निपटाने के बाद सीसीआई से अपनी शिकायत वापस ले ली थी.
CCI की खिंचाई
अदालत ने समझौते के बावजूद JCB के खिलाफ जांच जारी रखने के लिए सीसीआई की खिंचाई की और कहा कि वैधानिक अधिकारियों को मध्यस्थता प्रक्रिया का सम्मान करना चाहिए. कोर्ट ने कहा कि मध्यस्थता प्रक्रियाओं और समझौतों को उन सभी न्यायालयों/मंचों द्वारा मान्यता दी जानी चाहिए, जहां विवाद लंबित हैं. सीसीआई जैसे नियामक प्राधिकरण इसके अपवाद नहीं हैं. यह जरूरी है कि सीसीआई और इसी तरह के निकाय मध्यस्थता के परिणामों का सम्मान करें और पक्षों के बीच हुए समझौतों का सम्मान करें. ऐसा करके वे न केवल मध्यस्थता प्रक्रिया की वैधता और विश्वसनीयता को बनाए रखते हैं, बल्कि एक कानूनी माहौल भी बनाते हैं, जहां पक्षों को बाद में नियामक हस्तक्षेप के डर के बिना सौहार्द्रपूर्ण ढंग से विवादों को हल करने के लिए प्रोत्साहित किया जाता है.
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अदालत ने और क्या कहा
पीठ ने जोर देकर कहा कि समझौता हो जाने के बाद भी सीसीआई द्वारा जांच जारी रखने की संभावना समझौते को खतरे में डाल सकती है और पक्षों को पहले स्थान पर मध्यस्थता का विकल्प चुनने से रोक सकती है.
उन्होंने कहा कि इससे मध्यस्थता प्रक्रिया में विश्वास की कमी हो सकती है, क्योंकि पक्षों को डर हो सकता है कि विवादों को सौहार्द्रपूर्ण ढंग से निपटाने के उनके प्रयासों की अनदेखी की जाएगी. इसके अलावा समझौते आम तौर पर पार्टियों के बीच स्वेच्छा से सहमत होने वाले समझौते होते हैं, जब तक कि कोई असाधारण स्थिति न हो, उन्हें फिर से खोलने की अनुमति नहीं दी जा सकती – ताकि ‘अंतिमता’ और ‘समापन’ सुनिश्चित हो सके.
-भारत एक्सप्रेस