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केंद्र सरकार ने जम्मू-कश्मीर के लिए 41,000 करोड़ रुपये किए आवंटित, पुलिस के लिए 9,325 करोड़ रुपये की अलग निधि

केंद्र सरकार ने वित्त वर्ष 2025-26 के केंद्रीय बजट में जम्मू-कश्मीर के लिए 41,000.07 करोड़ रुपये आवंटित किए हैं, जो 2024-25 के संशोधित अनुमान के लगभग बराबर है.

Nirmala Sitharaman

Budget 2025: केंद्र सरकार ने वित्त वर्ष 2025-26 के केंद्रीय बजट में जम्मू-कश्मीर के लिए 41,000.07 करोड़ रुपये आवंटित किए हैं, जो 2024-25 के संशोधित अनुमान के लगभग बराबर है. इसके अलावा, जम्मू-कश्मीर पुलिस के लिए 9,325.73 करोड़ रुपये की अलग से राशि रखी गई है, जो पिछले वित्त वर्ष की तुलना में 659.79 करोड़ रुपये अधिक है.

शनिवार को लोकसभा में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण द्वारा प्रस्तुत बजट में जम्मू-कश्मीर के लिए 40,619.30 करोड़ रुपये की केंद्रीय सहायता को मंजूरी दी गई है, जो संसाधनों की कमी को पूरा करने के लिए दी जाएगी. इसके अलावा, केंद्र सरकार ने 279 करोड़ रुपये आपदा प्रबंधन कोष और 101.77 करोड़ रुपये पूंजीगत व्यय समर्थन के रूप में आवंटित किए हैं.

2024-25 में केंद्र सरकार ने जम्मू-कश्मीर के लिए 42,277.74 करोड़ रुपये का प्रावधान किया था, जिसे बाद में संशोधित कर 41,000.07 करोड़ रुपये कर दिया गया. 2023-24 में यह राशि 41,751.44 करोड़ रुपये थी.

जम्मू-कश्मीर पुलिस के लिए बढ़ी निधि

अनुच्छेद 370 हटाए जाने के बाद से केंद्रीय गृह मंत्रालय के प्रत्यक्ष नियंत्रण में आ चुकी जम्मू-कश्मीर पुलिस के लिए 2025-26 के बजट में 9,325.73 करोड़ रुपये आवंटित किए गए हैं, जो 2024-25 में 8,665.94 करोड़ रुपये थे. केंद्रीय गृह मंत्रालय ने स्पष्ट किया कि यह धनराशि प्रशासनिक व्यय को पूरा करने के लिए है.

उपराज्यपाल ने बजट को बताया ‘यथार्थवादी’

जम्मू-कश्मीर के उपराज्यपाल मनोज सिन्हा ने इस बजट को “व्यावहारिक” करार दिया और इसे भारत के तेज आर्थिक विकास और निजी क्षेत्र को बढ़ावा देने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम बताया.

उपराज्यपाल मनोज सिन्हा ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X पर लिखा कि “मैं वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण का एक यथार्थवादी बजट पेश करने के लिए हृदय से आभार व्यक्त करता हूँ. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में देश की अर्थव्यवस्था तेज़ी से आगे बढ़ रही है और यह बजट गरीबों, युवाओं, किसानों और महिलाओं के लिए ठोस विकास योजनाएँ लेकर आया है.”

उन्होंने आयकर छूट की सीमा को 12 लाख रुपये तक बढ़ाने को मध्यवर्ग के लिए एक बड़ा प्रोत्साहन बताया और कहा कि टैक्स ढांचे में यह बदलाव ऐतिहासिक कदम है. हालांकि, विपक्षी दलों ने इस बजट को जम्मू-कश्मीर के लिए निराशाजनक बताया. माकपा नेता और कुलगाम के विधायक एमवाई तारिगामी ने कहा कि केंद्र सरकार ने जम्मू-कश्मीर की आर्थिक चुनौतियों को नजरअंदाज किया है.

तारिगामी ने कहा कि “बढ़ती महंगाई, बेरोजगारी और व्यापारिक संकट के बावजूद केंद्र सरकार ने जम्मू-कश्मीर के लिए सहायता राशि घटा दी है. ऐसा लगता है कि केंद्र सरकार हमें 2024 के विधानसभा चुनावों में दिए गए जनादेश की सजा दे रही है.”

जम्मू-कश्मीर प्रदेश कांग्रेस कमेटी ने भी बजट की आलोचना की और इसे केंद्र सरकार की “राजनीतिक प्राथमिकताओं” से प्रेरित बताया. कांग्रेस नेता तारिक हमीद कर्रा ने कहा कि यह बजट बिहार और दिल्ली पर केंद्रित रहा, क्योंकि वहाँ विधानसभा चुनाव होने वाले हैं.

कर्रा ने कहा कि “जम्मू-कश्मीर देश में दूसरी सबसे अधिक बेरोजगारी दर का सामना कर रहा है. युवा वर्ग लंबे समय से नियमित रोजगार की मांग कर रहा है, लेकिन इस बजट में उनके लिए कोई राहत नहीं दी गई.”

उन्होंने आगे कहा कि सरकार ने मध्यम वर्ग और गरीब तबके के लिए किसी विशेष राहत की घोषणा नहीं की, जिससे महंगाई की मार झेल रहे लोग और परेशान होंगे.

-भारत एक्सप्रेस



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