भोपाल गैस त्रासदी
Bhopal Gas Tragedy: भोपाल गैस त्रासदी के पीड़ितों का प्रतिनिधित्व करने वाले पांच गैर सरकारी संगठनों ने दावा किया कि इस महीने एक अंतरराष्ट्रीय साइंस मैगजीन में प्रकाशित स्टडी में सामने आया है कि गैसकांड के दौरान जो लोग अपनी मां के गर्भ में थे, उनमें कैंसर होने की आशंका आठ गुना अधिक थी.
इन संगठनों ने मांग की कि यूनियन कार्बाइड इंडिया लिमिटेड (UCIL) और डाव केमिकल कंपनी (यूसीआईएल की वर्तमान स्वामित्व वाली कंपनी) इस त्रासदी की अगली पीढ़ी के स्वास्थ्य को हुए नुकसान के लिए मुआवजा दे. बता दें कि भोपाल शहर के बाहरी इलाके में स्थित यूनियन कार्बाइड इंडिया लिमिटेड के कीटनाशक संयंत्र से दो-तीन दिसंबर 1984 की दरम्यानी रात मिथाइल आइसोसाइनेट गैस का रिसाव होने से 16,000 से अधिक लोगों की मौत हो गई थी, जहरीले रिसाव से पांच लाख से अधिक लोग प्रभावित भी हुए थे. इस त्रासदी ने पूरे देश को हिलाकर रख दिया था. कई लोग हांफते-हाफते मर गए जबकि कई लोग सोते ही रह गए और जहरीली गैस के प्रभाव ने उनकी जान ले ली. इस गैस ने हजारों की जान ले ली और लाखों को विकलांग बना दिया, जिसका दंश आज भी दिखाई पड़ता है.
वहीं रिपोर्ट को लेकर इन पांच संगठनों ने कहा कि इस महीने की शुरुआत में एक अंतरराष्ट्रीय साइंस मैगजीन में गर्भस्थ बच्चों के स्वास्थ्य पर भोपाल गैस त्रासदी की वजह से हुए क्षति के बारे में प्रकाशन हुआ है.
उठी मुआवजे की मांग
इस मैगजीन में प्रकाशित स्टडी के निष्कर्षों के बारे में बताते हुए भोपाल ग्रुप फॉर इंफॉर्मेशन एंड एक्शन की रचना ढींगरा ने कहा कि इसमें पाया गया है कि भोपाल गैस त्रासदी के दौरान जो लोग अपनी मां के गर्भ में थे, उनमें कैंसर होने की आशंका आठ गुना अधिक थी. साथ ही सामान्य बच्चों की तुलना में इन बच्चों में रोजगार बाधित करने वाली विकलांगता और शिक्षा का निम्न स्तर था. उन्होंने कहा, ‘‘हम मांग करते हैं कि यूनियन कार्बाइड और डाव केमिकल कंपनी हादसे की अगली पीढ़ी के स्वास्थ्य को हुए नुकसान के लिए मुआवजा दे.”
-भारत एक्सप्रेस