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वर्षों बाद यूपी कांग्रेस में पूर्वांचल के किसी नेता को नेतृत्व सौंप कर कोई जमीन वापस पाने की कवायद शुरू की है. यूपी के राजनीतिक नक्शा में पूर्वांचल की महत्वपूर्ण भूमिका रही है. जिस तरीके से भाजपा पूर्वांचल की अधिकतर सीटों पर काबिज है और अब 2024 लोकसभा चुनाव को देखते हुए भाजपा ने जिस तरह ओमप्रकाश राजभर और दारा सिंह को अपने खेमा में शामिल किया है. उसे सबक लेते हुए कांग्रेस भी अपना पूरा फोकस पूर्वांचल पर करना चाहती है. हल्के दिनों में जिस तरीके से एनडीए और इंडिया गठबंधन की तकरार में पश्चिमी उत्तर प्रदेश के जैन चौधरी ने भाजपा से जिस तरह दूरी बनाई है वह कांग्रेस के लिए राहत की खबर है जिसके बाद कांग्रेस का पूरा फोकस पूर्वांचल के साथ उन जगहों पर है जो कांग्रेस के लिए राजनीतिक रूप से काफी उपजाऊ जमीन मानी जा रखी है इसी के चलते कांग्रेस ने पूर्वांचल में कई सीटों पर प्रभाव रखने वाले भूमिहार बिरादरी के मजे हुए नेता अजय राय को कांग्रेस की जिम्मेदारी दी है.
उत्तर प्रदेश की पिछली चुनाव में कांग्रेस पार्टी का वोट शेयर 2.33 फ़ीसदी रह गया है. उत्तर प्रदेश में 403 विधायकों में कांग्रेस के सिर्फ दो ही विधायक हैं , लोकसभा में सिर्फ एक सांसद. ऐसे में अब उत्तर प्रदेश में कांग्रेस को नई जान फूंकने के लिए अजय राय को बड़ी जिम्मेदारी दी गई है , गौरतलब है की अजय राय वही चेहरा है जो 2014 और 2019 में लोकसभा चुनाव में वाराणसी से नरेंद्र मोदी के खिलाफ कांग्रेस के प्रत्याशी थे. भारतीय जनता पार्टी से अपनी राजनीति की शुरुआत करने वाले अजय राय समाजवादी पार्टी से होते हुए कांग्रेस में शामिल हुए थे. पिछले कुछ दिनों में अजय राय के भाई अवधेश राय की हत्या के आरोप में मुख्तार अंसारी को उम्र कैद की सजा सुनाई गई थी जिसके बाद अजय राय काफी चर्चा में रहे है. वाराणसी के पिंडरा कोलासला विधानसभा क्षेत्र से पांच बार विधायक रहे अजय राय राजनीतिक संघर्ष का लंबा अनुभव रखते हैं. मुद्दों पर अपनी खरी राय रखने वाले अजय राय ने एक समय मुख्तार अंसारी मामले पर अपनी ही पार्टी की पंजाब सरकार पर सवाल खड़े कर दिए थे.
पूर्वांचल में एक काशी प्रांत और दूसरा गोरखपुर प्रांत है इन दोनों प्रांत में 27 लोकसभा सीटें आती हैं. काशी क्षेत्र का केंद्र वाराणसी और गोरखपुर क्षेत्र का केंद्र गोरखपुर ही है। काशी क्षेत्र की 14 लोकसभा सीटों में से भाजपा के पास 12 सीटें हैं, जबकि गोरखपुर क्षेत्र की 13 में से़ 10 लोकसभा सीटों पर भाजपा का कब्जा है. यहां दूसरे नंबर पर समाजवादी पार्टी रही है. कांग्रेस इसी जमीन में सेंध लगाने की तैयारी कर रही है. बिना संगठन की ताकत के अकेले अजय राय कितना संघर्ष कर पाते हैं यह तो समय बताएगा पर अभी भी कांग्रेस में कार्यकर्ताओं नेताओं की एक बड़ी भीड़ गाहे बगाहे दिखाई पड़ जाती है. जिन्हें अब भी उम्मीद है कि कांग्रेस वापस लौट कर आएगी.
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