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बारामूला से सांसद राशिद इंजीनियर को चुनावी प्रचार के लिए कोर्ट ने दी अंतरिम जमानत, टेरर फंडिंग के आरोप में हुई थी गिरफ्तारी

राशिद इंजीनियर शेख अब्दुल रशीद के नाम से भी जाना जाता है. वह 2017 के आतंकवादी वित्तपोषण (आतंकी फंडिंग) मामले में गैरकानूनी गतिविधि (रोकथाम) अधिनियम के तहत एनआईए ने गिरफ्तार किया था.

Baramula MP Rashid Engineer

सांसद राशिद इजीनियर.

टेरर फंडिंग मामले में तिहाड़ जेल में बंद बारामूला से सांसद राशिद इंजीनियर को पटियाला हाउस कोर्ट से बड़ी राहत मिल गई है. कोर्ट ने राशिद इंजीनियर को कुछ शर्तों के साथ 2 अक्टूबर तक अंतरिम जमानत दे दिया है. राशिद इंजीनियर ने जम्मू कश्मीर विधानसभा चुनाव में चुनाव के लिए तीन महीने के लिए अंतरिम जमानत मांगी थी.

उमर अब्दुल्ला को हराया

राशिद इंजीनियर के भाई खुर्शीद अहमद अवामी इत्तिहाद पार्टी के उम्मीदवार के तौर पर उतरी कश्मीर की लंगेट सीट से 2024 के विधानसभा चुनाव लड़ रहे हैं. उमर अब्दुल्ला के खिलाफ लोकसभा चुनाव जीतने से पहले इंजीनियर राशिद इस सीट से दो बार विधायक रह चुके हैं. अदालत ने इससे पहले पांच जुलाई को राशिद को जम्मू कश्मीर के बारामूला निर्वाचन क्षेत्र से लोकसभा चुनाव जीतने के बाद शपथ लेने के लिए हिरासत में पैरोल दी थी. राशिद इंजीनियर ने 2024 के लोकसभा चुनाव में बारामूला सीट पर जम्मू कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री एवं नेशनल कॉन्फ्रेंस के नेता उमर अब्दुल्ला को हराया था.

2019 से जेल में बंद

राशिद इंजीनियर शेख अब्दुल रशीद के नाम से भी जाना जाता है. वह 2017 के आतंकवादी वित्तपोषण (आतंकी फंडिंग) मामले में गैरकानूनी गतिविधि (रोकथाम) अधिनियम के तहत एनआईए द्वारा गिरफ्तार किए जाने के बाद से रशीद 2019 से जेल में बंद हैं. बता दें कि कश्मीरी कारोबारी जहूर वटाली से पूछताछ के दौरान पूर्व विधायक शेख अब्दुल राशिद का नाम सामने आया था.

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टेरर फंडिंग के आरोप में हुए गिरफ्तार

एनआईए ने कश्मीर घाटी में आतंकवादी समूहों और अलगाववादियों को फंड देने के आरोप में वटाली को गिरफ्तार किया था.पटियाला हाउस कोर्ट ने 16 मार्च 2022 को हाफिज सईद, सैयद सलाहुद्दीन, यासीन मलिक, शब्बीर शाह और मसरत आलम, राशिद इंजीनियर, जहूर अहमद वताली, बिट्टा कराटे, आफताब बट्ट उर्फ पीर सैफुल्ला के खिलाफ आरोप तय करने का आदेश दिया था. एनआईए में मुताबिक पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी आईएसआई के सहयोग से लश्कर-ए-तैयबा, हिजबुल मुजाहिदीन, जेकेएलएफ, जैश-ए- मोहम्मद जैसे संगठनों ने जम्मू कश्मीर में आम नागरिकों और सुरक्षा बलों पर हमले और हिंसा को अंजाम दिया. 1993 में अलगाववादी गतिविधियों अंजाम देने के लिए ऑल पार्टी हुर्रियत कांफ्रेंस की स्थापना की गई.

-भारत एक्सप्रेस

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