
दिल्ली पुलिस ने डिजिटल क्रांति, सुगमता और सुरक्षा की नीति को प्रभावी रूप से लागू करते हुए साइबर सुरक्षा और डिजिटल पहुंच को मजबूत करने की दिशा में एक और कदम बढ़ाया है. इसी क्रम में, दिल्ली पुलिस द्वारा जय सिंह रोड स्थित पुलिस मुख्यालय (PHQ), नई दिल्ली में एक साइबर कियोस्क मशीन स्थापित की गई है. पुलिस आयुक्त संजय अरोड़ा के मार्गदर्शन में इसे स्थापित किया गया और आज इसका उद्घाटन किया गया. इस अवसर पर पुलिस आयुक्त के साथ वरिष्ठ पुलिस अधिकारी और अन्य पुलिसकर्मी भी मौजूद रहे. यह मशीन पुलिस कर्मियों और आगंतुकों के लिए PHQ कैंटीन में उपलब्ध कराई गई है.
आज के डिजिटल युग में लोग अपने इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों के माध्यम से इंटरनेट से जुड़े रहते हैं. ऑनलाइन गतिविधियों के दौरान कई बार विभिन्न प्रकार के वायरस और दुर्भावनापूर्ण एप्लिकेशन उपयोगकर्ता के डिवाइस में इंस्टॉल हो जाते हैं, जिससे उनकी व्यक्तिगत जानकारी खतरे में पड़ जाती है. कई लोग साइबर अपराधों के भी शिकार हो जाते हैं. बढ़ते साइबर अपराधों के मद्देनजर यह सुनिश्चित करना आवश्यक हो गया है कि हमारे डिवाइस साइबर सुरक्षित रहें.
गांधीनगर स्थित नेशनल फॉरेंसिक साइंसेज यूनिवर्सिटी (NFSU) ने ‘साइबर सेफ्टी कियोस्क’ नामक एक मशीन विकसित की है, जिसका मुख्य उद्देश्य मोबाइल फोन और अन्य स्टोरेज डिवाइस को सुरक्षित बनाना है. यह मशीन उपयोगकर्ताओं के उपकरणों में मौजूद संदिग्ध और हानिकारक फाइलों तथा एप्लिकेशन की पहचान कर उन्हें हटाने में मदद करेगी, जिससे साइबर सुरक्षा के प्रति जागरूकता बढ़ेगी.
साइबर सेफ्टी कियोस्क की विशेषताएं
– मोबाइल फोन और बाहरी स्टोरेज डिवाइस में मौजूद मैलवेयर, वायरस और बैकडोर एप्लिकेशन की पहचान करता है.
– भारत सरकार द्वारा प्रतिबंधित एप्लिकेशन को डिटेक्ट करता है.
– मैलवेयर एप्लिकेशन का स्थान बताता है.
– एंड्रॉइड, आईफोन और विंडोज़ एप्लिकेशन की स्कैनिंग करता है और संक्रमित तथा खतरनाक एप्लिकेशन को पहचानता है.
– स्कैन किए गए डिवाइस की विस्तृत रिपोर्ट उपयोगकर्ता को प्रदान करता है.
– एडमिनिस्ट्रेटर के लिए डैशबोर्ड फीचर उपलब्ध कराता है.
– सर्वर-क्लाइंट मॉडल में भी कार्य कर सकता है, जिससे मैलवेयर का डेटा संग्रह कर आगे की रिसर्च के लिए इस्तेमाल किया जा सकता है.
साइबर सेफ्टी कियोस्क का उपयोग कैसे करें:
1. उपयोगकर्ता कियोस्क मशीन पर अपने मोबाइल या बाहरी स्टोरेज डिवाइस को कनेक्ट करें और स्क्रीन पर दिए गए निर्देशों का पालन करें.
2. यदि स्कैन किए गए डिवाइस में कोई मैलवेयर पाया जाता है तो उपयोगकर्ता को अलर्ट मिलेगा.
3. उपयोगकर्ता कियोस्क मशीन से ही हानिकारक फाइलों को हटा सकता है.
4. स्कैनिंग पूरी होने के बाद एक विस्तृत रिपोर्ट जनरेट होगी, जिसे उपयोगकर्ता अपने ईमेल पर प्राप्त कर सकेगा.
दिल्ली पुलिस की इस पहल का उद्देश्य साइबर अपराधों पर अंकुश लगाना और आम जनता को डिजिटल सुरक्षा के प्रति जागरूक करना है. इससे लोग अपने मोबाइल और अन्य डिवाइस को सुरक्षित रख सकेंगे और साइबर धोखाधड़ी से बचाव कर पाएंगे.
-भारत एक्सप्रेस
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