अरविंद केजरीवाल.
दिल्ली शराब नीति मामले में भ्रष्टाचार के तहत गिरफ्तार दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को राउज एवेन्यू कोर्ट ने 12 जुलाई तक के लिए न्यायिक हिरासत में भेज दिया है। केजरीवाल को 12 जुलाई को वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिये 2 बजे कोर्ट में पेश किया जाएगा। सीबीआई रिमांड खत्म होने के बाद केजरीवाल को राउज एवेन्यू कोर्ट में पेश किया गया।
पेशी के दौरान सीबीआई ने कोर्ट से आग्रह किया कि अब केजरीवाल को न्यायिक हिरासत में भेज दिया जाए। जिसपर केजरीवाल की ओर से पेश वकील ने आपत्ति जाहिर की। केजरीवाल के वकील ने केस डायरी की मांग की, जिसपर सीबीआई की ओर से पेश वकील ने आपत्ति जताई और कहा कि ना तो आरोपी और ना ही कोर्ट जांच अधिकारी से केस डायरी मांग सकता है। कोर्ट सिर्फ केस डायरी देख सकता है ये कई पुराने फैसलों में कहा जा चुका है।
वहीं केजरीवाल के वकील ने कहा कि सीबीआई ने कहा है कि अप्रैल में उन्हें कुछ अनुमति मिली थी और जनवरी में उन्हें मेरे खिलाफ सबूत मिले। सीबीआई ने यह भी कहा कि उन्होंने मुझे गिरफ्तार नहीं किया। क्योंकि वे सुप्रीम कोर्ट की कार्यवाही को आगे नही बढ़ाना चाहते थे। जज ने कहा कि सीबीआई रिमांड खत्म होने के बाद कोर्ट के पास सीआरपीसी के अनुसार आरोपी को न्यायिक हिरासत भेजने के अलावे कोई विकल्प नही है।
वहीं कोर्ट ने कहा कि हिरासत के दौरान जांच अधिकारी द्वारा उठाए गए कदमों की निगरानी करना अदालत का दायित्व है। अदालत निश्चित रूप से रिमांड मांगने के लिए सामग्री पर संतुष्ट होगी। प्रक्रिया के अनुसार जमानत के लिए अर्जी दायर कर सकता है। ऐसा कोई प्रावधान नहीं है कि अदालत आरोपी को न्यायिक हिरासत में भेजने के जांच अधिकारी की अर्जी को खारिज कर दिया जाए।
जांच कैसे चल रही है देखने की जिम्मेदारी कोर्ट की
कोर्ट ने कहा कि ये जिम्मेदारी बनती है कि वो देखे कि जांच कैसे चल रही है। लेकिन जांच के दौरान क्या सबूत मिले है, इन सबकी जानकारी आरोपी को देना जरूरी नही है। एजेंसी को सिर्फ कोर्ट को रिमांड के लिए संतुष्ट करना काफी नही है। सीबीआई ने अरविंद केजरीवाल को न्यायिक हिरासत में भेजने की मांग वाली अर्जी में राऊज एवेन्यू कोर्ट से कहा है कि अरविंद केजरीवाल जांच में सहयोग नहीं दे रहे है और जानबूझकर सवालो के सीधे जवाब देने से बच रहे हैं। इसके अलावा केजरीवाल विभिन्न हितधारकों के साथ नायर और उनकी होने वाली बैठकों के संबंध में पूछे गए सवालों के जवाब देने से भी बचते रहे।
केजरीवाल जांच को प्रभावित कर सकते है
सीबीआई का कहना है कि केजरीवाल प्रमुख राजनीतिक व्यक्ति हैं, जांच को प्रभावित कर सकते है। वह यह भी नहीं बता सके कि कोरोना की दूसरी लहर के दौरान संशोधित उत्पाद शुल्क नीति के लिए कैबिनेट की मंजूरी एक दिन के भीतर जल्दबाजी में क्यों प्राप्त की गई जबकि साउथ ग्रुप के आरोपी व्यक्ति दिल्ली में डेरा डाले हुए थे और वो भी अपने करीबी सहयोगी विजय नायर के साथ बैठकें कर रहे थे।
पिछली सुनवाई में कोर्ट ने कही थी ये बात
पिछली सुनवाई में कोर्ट ने केजरीवाल को सीबीआई रिमांड पर भेजते समय अपने आदेश में कहा था कि शराब नीति से जुड़े भ्रष्टाचार के मामले में मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल की गिरफ्तारी को अवैध नहीं कहा जा सकता है। कोर्ट ने यह भी कहा कि सीबीआई को उनकी गिरफ्तारी को लेकर अति उत्साही नही होना चाहिए। कोर्ट ने कहा था कि जांच करना एजेंसी का विशेषाधिकार है। कानून में कुछ सुरक्षा उपाय दिए गए हैं और इस समय रिकॉर्ड में मौजूद सामग्री के आधार पर यह नहीं कहा जा सकता है कि गिरफ्तारी अवैध है। फिर भी जांच एजेंसी को अति उत्साही नहीं होना चाहिए।
…इसलिए आरोपी की पुलिस रिमांड उचित
कोर्ट ने केजरीवाल की गिरफ्तारी की आवश्यकता न होने के मुद्दे पर कहा था कि गिरफ्तारी का समय भले ही होशियारी से निर्धारित किया गया हो, लेकिन यह कार्रवाई को अवैध घोषित करने का मानदंड नही है। कोर्ट ने कहा था कि इस समय अदालत को मामले के गुण-दोष पर विचार करना होगा। जांच के इस चरण में गवाहों के बयान और दस्तावेजी साक्ष्यों पर विचार किया जाएगा। इसलिए आरोपी की पुलिस रिमांड उचित है। कोर्ट ने केजरीवाल की उस याचिका को खारिज कर दिया था जिसमें उन्होंने हिरासत के लिए सीबीआई की रिमांड अर्जी को खारिज करने और गिरफ्तारी को अवैध ठहराते हुए उन्हें रिहा करने की मांग की थी। साथ ही केजरीवाल को पुलिस हिरासत के दौरान चिकित्सकीय रूप से निर्धारित आहार/घर का बना खाना देने का निर्देश दिया था।
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