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Delhi Excise Policy Case: केजरीवाल की जमानत याचिका पर SC ने सुरक्षित रखा फैसला, दोनों पक्षों से मांगा लिखित जवाब

सिंघवी ने कहा कि सीबीआई ने जिन आधारों पर गिरफ्तारी की है वो जनवरी के थे. लेकिन 25 जून को गिरफ्तार किया गया. सीबीआई के पास कोई नया सबूत नही था.

Arvind Kejriwal

अरविंद केजरीवाल. (फाइल फोटो: X/@ArvindKejriwal)

दिल्ली शराब नीति कथित घोटाला मामले में तिहाड़ जेल में बंद दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल की ओर से दायर जमानत याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने फैसला सुरक्षित रख लिया है. साथ ही कोर्ट ने दोनों पक्षों से लिखित जवाब मांगा है. केजरीवाल की ओर से पेश वरिष्ठ वकील अभिषेक मनु सिंघवी ने कहा कि जो व्यक्ति संवैधानिक पदाधिकारी है, उसके फरार होने का जोखिम नहीं हो सकता है. ट्रिपल टेस्ट की शर्तें केजरीवाल के फेवर में हैं. सबूतों के साथ छेड़छाड़ की संभावना नहीं है.

सिंघवी ने दी ये दलीलें

सिंघवी ने कहा कि ईडी मामले में 9 चार्जशीट और सीबीआई के मामले में 5 चार्जशीट दाखिल हुए है. सिंघवी ने कहा कि सीबीआई ने जिन आधारों पर गिरफ्तारी की है वो जनवरी के थे. लेकिन 25 जून को गिरफ्तार किया गया. सीबीआई के पास कोई नया सबूत नही था. सिर्फ जनवरी के एक बयान के आधार पर केजरीवाल को गिरफ्तार किया गया है. गिरफ्तारी का एक मात्र आधार यह भी है कि जांच में केजरीवाल सहयोग नहीं कर रहे है और जवाब देने में टाल मटोल कर रहे है. ईडी मामले में जमानत देते हुए सुप्रीम कोर्ट ने गिरफ्तारी के तरीके की आलोचना की थी और ये बाते कही थी.
सिंघवी ने कहा कि इस मामले में सुप्रीम कोर्ट ने पीएमएलए के कड़े प्रावधान पर रिहाई के दो विस्तृत आदेश दिए हैं. तीसरा अग्रिम जमानत देता है, ये एक इंश्योरेंस गिरफ्तारी है. सिंघवी ने कहा कि एफआईआर के 8 महीने बाद केजरीवाल को पूछताछ के लिए बुलाया गया. पीएमएलए के तहत दोहरी शर्तो का प्रावधान है. इन सख्त नियमों के बावजूद हमारे पक्ष में दो फैसले हुए हैं.

सीबीआई ने क्या कहा?

सीबीआई की ओर से पेश एएसजी एसवी राजू ने कहा कि दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने निचली अदालत में जमानत याचिका दायर नहीं की है. जबकि मनीष सिसोदिया ने दायर की थी. इसमें कोई तुलना नहीं है. एएसजी एसवी राजू ने कहा कि ट्रायल कोर्ट ही मामले की जांच के लिए पहला कोर्ट है. दुर्लभ और असाधारण मामलों में ही सीधे हाई कोर्ट जाया जा सकता है. एएसजी ने कहा कि हाई कोर्ट ने अरविंद केजरीवाल को जमानत के लिए निचली अदालत में जमानत याचिका दाखिल करने को कहा था.

एएसजी राजू ने कहा कि वे यहां आए और फिर उन्होंने हाई कोर्ट का दरवाजा खटखटाया और फिर से वे सुप्रीम कोर्ट आए. लेकिन केजरीवाल सांप-सीढ़ी के खेल की तरह शॉर्टकट अपना रहे हैं. एएसजी एसवी राजू ने कहा कि कविता की गिरफ्तारी के मामले में इस अदालत ने कहा था कि निचली अदालत में नियमित याचिका दाखिल करें. वह निचली अदालत गईं. वहां से जमानत याचिका खारिज होने के बाद, हाई कोर्ट गईं. उसके बाद सुप्रीम कोर्ट आईं.

उन्होंने सीधे सुप्रीम कोर्ट में जमानत याचिका दायर नहीं की. सीबीआई की ओर से पेश एएसजी एसवी राजू ने कहा कि गिरफ्तारी और जमानत के फैसले एक साथ सुनाए गए. सीबीआई ने कहा कि हाई कोर्ट पर बहुत बोझ है, जब ऐसे मामले आते हैं तो उनका पूरा बोर्ड अव्यवस्थित हो जाता है. सीबीआई ने कहा कि मामले की सुनवाई छुट्टी के दिन हुई, क्योंकि वह एक विशेषाधिकार प्राप्त व्यक्ति है. जस्टिस सूर्यकांत ने कहा कि हाई कोर्ट को इस मामले में तुरंत फैसला ले लेना चाहिए था. हाई कोर्ट को आदेश उसी दिन पारित करना चाहिए था, जिस दिन नोटिस हुआ था.

जस्टिस सूर्यकांत ने कहा कि हम तय करेंगे कि क्या इस मामले में दखल देना है या नहीं. जस्टिस सूर्यकांत ने यह तब कहा जब एएसजी ने कहा कि केजरीवाल ने निचली अदालत में जमानत याचिका दाखिल ना कर सीधे सुप्रीम कोर्ट में दाखिल किया है. एएसजी एसवी राजू ने कहा कि आबकारी नीति को 15 अप्रैल को केजरीवाल द्वारा अनुमोदित किया गया था. हड़बड़ी में कोविड के दौरान अनुमोदित किया गया था. एएसजी ने कहा कि गोवा से दिल्ली तक हवाला के जरिए 44.54 करोड़ रुपए भेजे गए थे. इस रकम का इस्तेमाल गोवा चुनाव के लिए AAP ने किया.

दिनेश अरोड़ा ने इसकी पुष्टि की है. एएसजी एसवी राजू ने कहा आरोपी व्यक्तियों और साउथ ग्रुप से 36 पन्नों का दस्तावेज़ मिला. जिसमे 15 अप्रैल को केजरीवाल ने शराब नीति को मंजूरी मंजूरी दी थी वो भी तब हुआ जब कोविड अपने चरम पर था. एएसजी ने यह भी कहा कि केजरीवाल ने अपनी गिरफ्तारी की इजाज़त देने वाले निचली अदालत के आदेश को अब तक चुनौती नहीं दी है. एएसजी ने कहा कि हमारी अर्जी को निचली अदालत ने स्वीकार किया. उसके बाद वारंट जारी किया गया और उसके बाद हमने उनकी गिरफ़्तारी कर ली. जस्टिस सूर्यकांत ने कहा कि एक जमानत मामले में पूरा दिन लग गया. हम जितने मामले निपटाते हैं, अन्य वादियों के बारे में सोचें. इस पर सिंघवी ने कहा कि अरविंद केजरीवाल के फैसले में एक विशिष्ट निष्कर्ष है. जो दर्शाता है कि गिरफ्तारी की आवश्यकता एक अलग महत्वपूर्ण आधार है और यह पीएमएलए में लागू होता है या नहीं. इसका फैसला बड़ी पीठ द्वारा किया जाना है. केजरीवाल ने सीबीआई और ईडी के मामले में नियमित जमानत की मांग की है.

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जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस उज्ज्वल भुइयां की पीठ मामले में सुनवाई कर रही है. सीबीआई ने जवाबी हलफनामा में केजरीवाल की ओर से दायर जमानत याचिका का विरोध किया है. सीबीआई ने अपने जवाब में कहा है कि केजरीवाल इस घोटाले के किंगपिन हैं. इससे पहले सुप्रीम कोर्ट ने 14 अगस्त को सीबीआई के मामले में जमानत देने से इनकार कर दिया था और उनकी गिरफ्तारी को चुनौती दी है.

बता दें कि दिल्ली शराब नीति मामले में अब तक संजय सिंह, मनीष सिसोदिया, के कविता और विजय नायर को जमानत मिल चुकी है. विजय नायर को जमानत देते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि अनुच्छेद 21 के तहत स्वतंत्रता का अधिकार पवित्र है और इसका सम्मान उन मामलों में भी किया जाना चाहिए जहां कड़े प्रावधान लागू किये गए हैं. कोर्ट ने यह भी कहा था कि याचिकाकर्ता 23 महीने से हिरासत में भी है और उसे विचाराधीन कैदी के रूप में रखा गया है. कोर्ट ने कहा था कि बिना मुकदमा शुरू किए यह सजा का तरीका नहीं हो सकता है.

वहीं दिल्ली के उप पूर्व मुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया को गिरफ्तारी के 17 महीने बाद जमानत मिली थी. जबकि कोर्ट ने के. कविता को जमानत देते हुए कहा था कि इस मामले की जांच पूरी हो चुकी है. ट्रायल के जल्द पूरा होने की उम्मीद नहीं है. के. कविता 5 महीने से जेल में बंद हैं. महिला होने के नाते उन्हें पीएमएलए के सेक्शन 45 के तहत जमानत मिलनी चाहिए. कोर्ट ने कहा था, अंदर ट्रायल कस्टडी को सजा में नहीं बदलना चाहिए.

बता दें कि हाई कोर्ट ने केजरीवाल की याचिका को खारिज करते हुए कहा था कि यह नहीं कहा जा सकता है कि याचिकाकर्ता की गिरफ्तारी बिना किसी उचित कारण के थी या अवैध थी. हाई कोर्ट ने अपने आदेश में निचली अदालत द्वारा केजरीवाल को गिरफ्तार करने और हिरासत में भेजने की अनुमति को उचित ठहराया था.

-भारत एक्सप्रेस

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