दिल्ली हाईकोर्ट
जैविक पिता होने का दावा करते हुए हिरासत की मांग वाली याचिका पर दिल्ली हाई कोर्ट ने नाबालिग के डीएनए परीक्षण का आदेश दिया है. कोर्ट ने बच्चे के पितृत्व का पता लगाने के लिए इस परीक्षण का निर्देश दिया है. अदालत ने यह निर्देश इस बात पर गौर करने के बाद दिया कि जैविक मां ने उस व्यक्ति के दावे का खंडन किया है जो उसका देवर है. न्यायमूर्ति प्रतिभा एम सिंह और न्यायमूर्ति अमित शर्मा की खंडपीठ ने यह आदेश दिया है.
कोर्ट ने अगली तारीख पर रिपोर्ट दाखिल करने को कहा है. कोर्ट 14 अक्टूबर को इस मामले में अगली सुनवाई करेगा. कोर्ट ने कहा समग्र तथ्यों पर विचार करते हुए चूंकि मां इस तथ्य से इनकार करती है कि याचिकाकर्ता बच्चे का जैविक पिता है इसलिए यह न्यायालय बच्चे-मास्टर ‘एक्स’ के पितृत्व का पता लगाने के लिए डीएनए परीक्षण का निर्देश देना उचित समझता है. पीठ ने मां के इस रुख पर गौर किया कि याचिकाकर्ता की कानूनी रूप से विवाहित पत्नी उसकी सगी बड़ी बहन है और उसने बच्चे-मास्टर ‘एक्स’ को केवल बच्चे की शिक्षा के लिए याचिकाकर्ता और उसकी बड़ी बहन के साथ रहने की अनुमति दी थी.
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अदालत ने आदेश दिया उपरोक्त के मद्देनजर याचिकाकर्ता को 30 सितंबर को सुबह 11:30 बजे बाबू जगजीवन राम मेमोरियल अस्पताल जहांगीर पुरी, दिल्ली में अपने डीएनए नमूने देने के लिए जाना चाहिए. इसने यह भी आदेश दिया कि संबंधित जांच अधिकारी बच्चे के डीएनए नमूने देने के लिए उक्त समय पर बच्चे-मास्टर ‘एक्स’ को भी उक्त अस्पताल ले जाएगा. अदालत ने कहा इसके बाद उक्त चिकित्सा सुविधा याचिकाकर्ता और बच्चे के डीएनए नमूने संबंधित जांच अधिकारी को उपलब्ध कराएगी, जो डीएनए परीक्षण करने के लिए उन्हें एफएसएल रोहिणी, दिल्ली में जमा करेगा.
याचिकाकर्ता ने कहा कि बच्चे की मां उसकी भाभी है. इसके अलावा यह भी प्रस्तुत किया गया है कि याचिकाकर्ता के प्रतिवादी से दो बेटे हैं, और वर्तमान याचिका छोटे बेटे को पेश करने की मांग करते हुए दायर की गई है. याचिकाकर्ता का मामला यह है कि उक्त नाबालिग बेटा पिछले 12 वर्षों से याचिकाकर्ता के साथ कलकत्ता में रहता है और गर्मी की छुट्टियों के दौरान याचिकाकर्ता अपने नाबालिग बेटे के साथ बिहार में था.
-भारत एक्सप्रेस