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दिल्ली हाईकोर्ट ने मुख्य सचिव को 2 हफ्ते में आरोपों पर फैसला लेने को कहा, जानें क्या है पूरा मामला

याचिकाकर्ता अभय वर्मा लक्ष्मी नगर विधानसभा क्षेत्र का प्रतिनिधित्व करते हैं.

Delhi Highcourt

दिल्ली हाई कोर्ट.

Delhi High Court: दिल्ली सरकार पर सीसीटीवी कैमरे लगाने में भेदभाव का आरोप लगाने वाली याचिका पर दिल्ली हाईकोर्ट ने दिल्ली के मुख्य सचिव को 2 हफ्ते में आरोपों पर फैसला लेने को कहा है. यह याचिका बीजेपी के एक नेता की ओर से दायर की गई है.

याचिका में दिल्ली हाई कोर्ट से दिल्ली सरकार को निर्देश देने की मांग की गई है. बीजेपी नेता अभय वर्मा ने अपनी याचिका में दावा किया है कि आम आदमी पार्टी शासित दिल्ली सरकार केवल अपने विधायकों और पार्षदों के क्षेत्रों में ही सीसीटीवी कैमरा लगा रही है. जबकि भाजपा विधायकों और पार्षदों के क्षेत्रों में नही लगा रही है. उन क्षेत्रों की अनदेखी की जा रही है.

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याचिकाकर्ता अभय वर्मा लक्ष्मी नगर विधानसभा क्षेत्र का प्रतिनिधित्व करते हैं. उनका दावा है कि तत्कालीन उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने पूरे दिल्ली में 1 लाख 40 हजार सीसीटीवी कैमरे लगाने की घोषणा की थी, लेकिन उनके निर्वाचन क्षेत्र में सीसीटीवी कैमरा लगाने में अनदेखी की गई है.

याचिकाकर्ता के मुताबिक भारत इलेक्ट्रॉनिक लिमिटेड ने एक सर्वे किया था, जिसमें लक्ष्मी नगर में 2,066 कैमरों की आवश्यकता बताई गई थी, लेकिन चुनिंदा तरीके से कैमरे लगाए गए, जिसमें केवल सत्तारूढ़ पार्टी के नेताओं के क्षेत्रों को ही लाभ मिला. याचिकाकर्ता का यह भी दावा है कि सीसीटीवी कैमरे को लेकर दिल्ली के उपराज्यपाल को कई बार ज्ञापन दिया गया, लेकिन उसके बावजूद उनके क्षेत्र का ध्यान नही रखा गया. चुनिंदा क्षेत्र में सीसीटीवी लगाने से जो बाकी के क्षेत्र है वहां की कानून- व्यवस्था की स्थिति और सुरक्षा पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ रहा है. याचिका में कहा गया है कि इस तरह का कार्यकारी हस्तक्षेप लोकतांत्रिक सिद्धांतों को कमजोर करता है.

-भारत एक्सप्रेस



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