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दिल्ली हाईकोर्ट ने एमसीडी स्कूलों में छात्रों को किताबें न मिलने पर जताई नाराजगी

दिल्ली नगर निगम (एमसीडी) के आयुक्त ने मंगलवार को हाईकोर्ट को बताया कि एमसीडी के स्कूल में पढ़ने वाले 2 लाख से अधिक छात्रों के पास बैंक खाते नहीं हैं और उन्हें न तो नोटबुक वितरित की गई हैं और न ही स्कूल ड्रेस.

Delhi High Court

दिल्ली हाई कोर्ट

दिल्ली हाईकोर्ट ने बिना बैंक खाते वाले 2 लाख से अधिक छात्रों को बिना किताबों और ड्रेस के नई कक्षा में पदोन्नत करने पर दिल्ली नगर निगम (एमसीडी) के प्रति जाराजगी जताई है. कहा कि बिना किताबों और ड्रेस के स्कूल जाने वाले और नई कक्षा में प्रमोट होने वाले छात्रों की रुचि खत्म हो जाएगी, जिसका उन पर हानिकारक प्रभाव पड़ेगा.

एमसीडी के आयुक्त ने मंगलवार को कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश मनमोहन और जस्टिस मनमीत पीएस अरोड़ा की खंडपीठ को बताया कि एमसीडी के स्कूल में पढ़ने वाले 2 लाख से अधिक छात्रों के पास बैंक खाते नहीं हैं और उन्हें न तो नोटबुक वितरित की गई हैं और न ही स्कूल ड्रेस.

कोर्ट ने एमसीडी आयुक्त को दिया आदेश

इस मामले पर कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश ने एमसीडी आयुक्त को व्यक्तिगत रूप से स्कूलों का दौरा करने और यह पता लगाने के लिए कहा कि छात्रों को किताबें और स्कूल ड्रेस आदि वितरित की जाती हैं या नहीं. उन्होंने कहा जब तक आप इसकी निगरानी नहीं करेंगे कुछ नहीं होगा. जब आप स्कूलों का दौरा करना शुरू करेंगे तभी चीजें सही होने लगेंगी. कोई भी वरिष्ठ अधिकारी इन स्कूलों का दौरा करने को तैयार नहीं है.

अदालत ने टिप्पणी की छात्रों को नई कक्षाओं में पदोन्नत किया गया है, छात्र किताबें और ड्रेस के बिना वहां जा रहे हैं. उनकी दिलचस्पी खत्म हो जाएगी. इसका विद्यार्थियों पर हानिकारक प्रभाव पड़ेगा. वे बिना किताबों और यूनिफॉर्म के नई कक्षा में जा रहे हैं.

अदालत ने कहा कि आप कह रहे हैं कि आप ड्रेस, स्टेशनरी आदि नकद के माध्यम से वितरित करते हैं. 2 लाख छात्रों के पास बैंक खाते नहीं हैं. यानी उनके पास स्टेशनरी नहीं है. उन्हें पिछले 2-3 वर्षों से बिना कुछ पढ़े ही प्रमोट कर दिया जाता है, क्या आपको इस सबका परिणाम का एहसास है? हम और कुछ नहीं कहना चाहते हैं. आप एक समझदार व्यक्ति हैं. वे चाहते हैं कि आप स्थिति पर पूर्ण नियंत्रण रखें. आपके स्टाफ ने काफी लापरवाही बरती है.


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एमसीडी आयुक्त ने कोर्ट को बताया

एमसीडी आयुक्त ने अदालत को सूचित किया कि जहां किताबें और नोटबुक भौतिक रूप में दी जाती हैं, वहीं ड्रेस और स्टेशनरी आदि खरीदने के लिए नकद भुगतान दिया जाता है. उन्होंने कहा कि चूंकि कुल 2,73,346 छात्रों के पास बैंक खाते नहीं हैं, इसलिए स्कूल ड्रेस और स्टेशनरी की नकद प्रतिपूर्ति नहीं की गई है.

अदालत को सूचित किया गया कि चूंकि बैंक खाते नहीं रखने वाले छात्रों की संख्या बहुत अधिक है, इसलिए एमसीडी ने प्रयास किए और पिछले साल सितंबर में यह 48 प्रतिशत से बढ़कर अब तक 72.16 प्रतिशत हो गया है.

आयुक्त ने कहा हमने पिछले 4 से 5 महीनों में 1,85,188 छात्रों के बैंक खाते खोले हैं. एमसीडी यह सुनिश्चित करने के लिए अपना सर्वश्रेष्ठ प्रयास कर रहा है कि अगले दो से तीन महीनों में 2 लाख से अधिक छात्रों के बैंक खाते होंगे. उन्होंने कहा कि दिल्ली सरकार के माध्यम से प्राप्त किताबें अगले 7 से 8 सप्ताह में सभी छात्रों को वितरित की जाएंगी.

लापरवाह अधिकारी के खिलाफ कार्रवाई नहीं करना चाहते

पीठ ने कहा कि आप लापरवाह अधिकारी के खिलाफ कार्रवाई नहीं करना चाहते, आपके लिए शुभकामनाएं, हम इससे ज्यादा कुछ नहीं कहना चाहते. हम आपका प्रशासन नहीं चलाते, लेकिन अपनी बात करें तो हमें नहीं लगता कि यह गर्व करने लायक स्थिति है. इसमें एमसीडी की कोई शान नहीं है. यह कोई सुखद स्थिति नहीं है. अदालत ने कहा कि एमसीडी ने 20 अप्रैल को दायर अपने हलफनामे में छात्रों को स्कूल ड्रेस, किताबें आदि न वितरित करने का एक प्रमुख कारण स्थायी समिति का गठन न करना बताया है.

दायर की गयी थी जनहित याचिका

पीठ एनजीओ सोशल ज्यूरिस्ट द्वारा दायर एक जनहित याचिका पर सुनवाई कर रही थी, जिसमें तर्क दिया गया था कि एमसीडी स्कूलों में छात्रों को ड्रेस, लेखन सामग्री, नोटबुक आदि जैसे वैधानिक लाभों से वंचित किया जा रहा है. याचिका में एमसीडी को यह सुनिश्चित करने का निर्देश देने की मांग की गई है कि सभी छात्रों को चालू बैंक खाते और इन खातों के खुलने तक उन्हें वाहक चेक के माध्यम से लाभ प्रदान किया जाना चाहिए.

-भारत एक्सप्रेस

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