Bharat Express

दिल्ली हाईकोर्ट ने UAPA के तहत जेल में बंद Sharjeel Imam को दी जमानत, पढ़ें किन आरोपों में हुई थी जेल

शरजील इमाम ने कथित तौर पर 13 दिसंबर, 2019 को जामिया मिलिया इस्लामिया में और 16 दिसंबर, 2019 को अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय में भाषण दिए, जहां उन्होंने असम और शेष पूर्वोत्तर को देश से काटने की धमकी दी थी.

Sharjeel Imam

फोटो-सोशल मीडिया

दिल्ली हाईकोर्ट ने बुधवार (29 मई) को जेएनयू के छात्र शरजील इमाम को 2020 के सांप्रदायिक दंगों के एक मामले में राजद्रोह और गैरकानूनी गतिविधियों के आरोपों से संबंधित जमानत दे दी. जस्टिस सुरेश कुमार कैत और जस्टिस मनोज जैन की पीठ ने जमानत मंजूर की. पीठ ने इमाम और दिल्ली पुलिस के वकील की दलीलें सुनने के बाद कहा, अपील स्वीकार की जाती है.

दिल्ली दंगों के दौरान राजधानी के जामिया इलाके और अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय में कथित रूप से भड़काऊ भाषण देने के आरोप में शरजील इमाम को राजद्रोह और UAPA मामले में गिरफ्तार किया गया था.

शरजील इमाम ने अदालत के उस आदेश को चुनौती दी थी, जिसमें उन्हें जमानत देने से इनकार किया गया था, जबकि दोषसिद्धि की स्थिति में उन्हें दी जाने वाली अधिकतम सजा की आधी से अधिक अवधि वह काट चुके हैं. हालांकि, शरजील इमाम को अभी जेल में ही रहना होगा क्योंकि वह 2020 के दिल्ली दंगों से संबंधित बड़ी साजिश के मामले में भी आरोपी हैं.

भड़काऊ भाषण देने के आरोप

अभियोजन पक्ष के अनुसार, शरजील इमाम ने कथित तौर पर 13 दिसंबर, 2019 को जामिया मिलिया इस्लामिया में और 16 दिसंबर, 2019 को अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय में भाषण दिए, जहां उसने असम और शेष पूर्वोत्तर को देश से काटने की धमकी दी थी.

दिल्ली पुलिस की स्पेशल सेल ने इमाम के खिलाफ केस दर्ज किया था. केस को शुरू में राजद्रोह के अपराध के लिए दर्ज किया गया था और बाद में यूएपीए की धारा 13 लगाई गई थी. वह इस मामले में 28 जनवरी, 2020 से हिरासत में हैं.

यह भी पढ़ें: “रविवार हिंदुओं से नहीं, ईसाई समाज से जुड़ा हुआ है”, पीएम मोदी बोले- झारखंड से लव जिहाद की हुई शुरुआत

शरजील इमाम ने निचली अदालत के समक्ष दावा किया था कि वह पिछले चार वर्षों से हिरासत में हैं और गैरकानूनी गतिविधियां (रोकथाम) अधिनियम (UAPA) की धारा 13 (गैरकानूनी गतिविधियों के लिए सजा) के तहत अपराध के लिए दोषी पाए जाने पर अधिकतम सजा सात वर्ष है. आपराधिक दंड संहिता (सीआरपीसी) की धारा 436ए के अनुसार, किसी व्यक्ति को हिरासत से उस स्थिति में रिहा किया जा सकता है अगर उसने अपराध के लिए निर्धारित अधिकतम सजा की आधी से अधिक अवधि काट ली हो.

कई मामलों में आरोपी

अदालत ने 17 फरवरी को उन्हें जमानत देने से इनकार करते हुए अपने फैसले में कहा था कि असाधारण परिस्थितियों में आरोपी की हिरासत की अवधि को बढ़ाया जा सकता है. शरजील इमाम 2020 के सांप्रदायिक दंगों से जुड़े कई मामलों में आरोपी हैं, जिसमें हिंसा की कथित बड़ी साजिश का मामला भी शामिल है. वह साजिश के एक मामले में भी न्यायिक हिरासत में हैं.

-भारत एक्सप्रेस

Also Read