दिल्ली हाईकोर्ट
भारत में आतंकी गतिविधियों के लिए पाकिस्तान और अन्य देशों में स्थित अपने गुर्गों के माध्यम से लश्कर-ए-तैयबा के लिए कथित रूप से धन जुटाने से संबंधित एक मामले में आरोपी जावेद अली को दिल्ली हाईकोर्ट से जमानत मिल गई है. न्यायमूर्ति प्रतिभा एम सिंह और अमित शर्मा की पीठ ने जावेद अली की अपील को स्वीकार कर लिया, जिसमें उन्होंने अप्रैल में जमानत देने से इनकार करने वाले ट्रायल कोर्ट के आदेश को चुनौती दी थी.
हाईकोर्ट ने कहा कि आरोपी 10 नवंबर 2019 से न्यायिक हिरासत में है और अभियोजन पक्ष द्वारा आरोपपत्र में 221 गवाहों में से अब तक केवल नौ की ही जांच की गई है. इसलिए, मुकदमे को समाप्त होने में कुछ समय लगने की संभावना है. अली को नवंबर 2019 में लश्कर के एक ऑपरेटिव शेख अब्दुल नईम उर्फ सोहेल खान को वित्तपोषित करने में उसकी कथित भूमिका के लिए गिरफ्तार किया गया था, जिसे उसके सहयोगियों के साथ भारत में विध्वंसक गतिविधियों को अंजाम देने के लिए कथित आपराधिक साजिश के लिए गिरफ्तार किया गया था और आरोप पत्र दायर किया गया था.
एनआईए ने आरोप लगाया था कि जांच से पता चला है कि अली प्रतिबंधित आतंकवादी संगठन लश्कर से जुड़ा था और वह 2017 में सऊदी अरब से यूपी के मुजफ्फरनगर तक हवाला चैनलों के जरिए फंड की व्यवस्था करने में शामिल था और जिसे नईम ने प्राप्त किया था. एजेंसी ने कहा था कि आतंकी फंड का इस्तेमाल भारत के विभिन्न स्थानों पर लश्कर के लिए आतंकवादियों की भर्ती करने और विदेशी नागरिकों और पर्यटकों सहित आसान लक्ष्यों की पहचान करने के लिए किया गया था.
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हाईकोर्ट ने अपने आदेश में कहा कि धन हस्तांतरण के एक असफल लेनदेन के अलावा अभियोजन पक्ष द्वारा कोई अन्य परिस्थिति या लेनदेन रिकॉर्ड पर नहीं रखा गया है, जिससे पता चले कि अली किसी भी तरह से नईम को धन मुहैया कराने के लिए जिम्मेदार था. अदालत ने कहा कि अभियोजन पक्ष का मामला यह रहा है कि अली हवाला चैनलों के माध्यम से भेजे जाने वाले धन का कारोबार कर रहा था और जो व्यक्ति धन एकत्र कर रहा था और वितरित कर रहा था, उसे सरकारी गवाह बना दिया गया और बाद में उसे बरी कर दिया गया.
-भारत एक्सप्रेस