Delhi High Court
हाईकोर्ट ने कहा कि भले ही मोटर वाहन अधिनियम वाहनों को बुलेट प्रूफ करने की अनुमति नहीं देता है, लेकिन किसी के ऐसा करने पर वाहन का पंजीकरण निरस्त करने से पहले परिवहन विभाग को बताना होगा कि ऐसे वाहन का उपयोग किए जाने पर आम लोगों को खतरा कैसे है.
न्यायमूर्ति सचिन दत्ता ने मोटर वाहन अधिनियम की धारा 52 का उल्लेख करते हुए कहा कि यह धारा स्पष्ट रूप से वाहनों को बुलेट-प्रूफ करने की अनुमति नहीं देती है, फिर भी किसी वाहन का पंजीकरण बुलेट-प्रूफिंग की वजह से निलंबित नहीं किया जा सकता है, जब तक कि यह स्पष्ट रूप से न पाया जाए कि धारा 53 के तहत इस तरह के उपयोग से जनता को खतरा है.
मुद्दे पर विचार करे और तर्कपूर्ण आदेश पारित करे
न्यायमूर्ति ने कहा कि निलंबन के आदेश का अवलोकन यह पता नहीं चलता कि धारा 53 (1) (पंजीकरण के निलंबन) में उल्लिखित शर्ते वर्तमान मामले में कैसे पूरी होती है.उस आदेश में यह नहीं कहा गया है कि मोटर वाहन के ढांचे के भीतर किसी भी वाहन की बुलेट प्रूफिंग की अनुमति नहीं है. इस दशा में वाहन के पंजीकरण निरस्त करने के आदेश को रद्द किया जाता है और इसपर नए सिरे से विचार करने के लिए विभाग को भेजा जाता है.वह मुद्दे पर विचार करे और तर्कपूर्ण आदेश पारित करे.
न्यायमूर्ति ने कहा कि मोटर वाहन अधिनियम, 1988 की धारा 52 में किसी भी वाहन के बुलेट-प्रूफिंग के बारे में परिवर्तन/संशोधन की अनुमति देने वाला कोई प्रावधान नहीं है. इसका अर्थ यह नहीं है कि वाहन की बुलेट-प्रूफिंग से ऐसी स्थिति उत्पन्न होती है जिससे सार्वजनिक स्थान पर वाहन का उपयोग जनता के लिए खतरा बन जाता है. इसके अलावा बुलेट प्रूफिंग को लेकर किसी भी शर्त/प्रावधान के नहीं रहने से यह अपने आप वाहन के पंजीकरण को निलंबित करने का आधार नहीं हो सकती है, जब तक कि अधिनियम की धारा 53 (1) में निर्धारित पंजीकरण के निलंबन को लेकर निधार्रित मापदंडों को लेकर कोई निष्कर्ष न दिया जाए.
क्या था मामला
कोर्ट ने उक्त टिप्पणी एक कार के आंशिक रूप से बुलेट प्रूफिंग करने को लेकर उसका पंजीकरण निलंबित करने के खिलाफ दाखिल अपील पर विचार करते की.परिवहन विभाग ने कार का पंजीकरण यह कहते हुए रद्द कर दिया था कि कारों को बुलेट प्रूफ करने के लिए कोई नियम नहीं है.याचिकाकर्ता के वकील ने कहा था कि विवादित आदेश किसी भी तरह से बिना किसी कारण के था, क्योंकि याचिकाकर्ता के उसके वाहन को बुलेट प्रूफ करने के औचित्य को लेकर दिए गए स्पष्टीकरण पर विचार नहीं किया गया.
-भारत एक्सप्रेस