प्रतीकात्मक तस्वीर.
दिल्ली हाईकोर्ट ने टिप्पणी की कि आज एयरलाइन उद्योग अच्छी तरह से विनियमित है और अदालत के लिए हवाई किराये की सीमा तय करने के लिए कोई निर्देश पारित करना उचित नहीं है. कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश मनमोहन और न्यायमूर्ति मनमीत प्रीतम सिंह अरोड़ा की खंडपीठ ने हवाई जहाज के टिकटों की कीमत को विनियमित करने की मांग वाली दो याचिकाओं का निपटारा कर दिया.
पीठ ने टिप्पणी की कि छिटपुट घटनाओं के लिए अदालत को इस मुद्दे पर जनहित याचिकाओं पर विचार करने और पूरे क्षेत्र को किसी नए विनियमन के तहत लाने की आवश्यकता नहीं होगी. पीठ ने मौखिक रूप से टिप्पणी की बाजार की ताकतें हवाई टिकटों की कीमत तय करेंगी. आज उद्योग बहुत अच्छा प्रदर्शन कर रहा है. आप आज उड़ान भरने वाली किसी भी एयरलाइन को देखें, यह एक अत्यधिक प्रतिस्पर्धी उद्योग है. एक ऑटो रिक्शा का किराया आज एयरलाइन के किराये से अधिक है. पीठ ने जोर देकर कहा कि वह कोई निर्देश पारित नहीं करेगी और विस्तृत आदेश के जरिये जनहित याचिकाओं का निपटारा करेगी.
क्या मांग की गई थी
याचिकाएं वकील अमित साहनी और बेजोन कुमार मिश्रा ने दायर की थीं. उन्होंने देश भर में हवाई किराये की सीमा निर्धारित करने के निर्देश देने की मांग की ताकि एयरलाइंस द्वारा ग्राहकों से मनमाने ढंग से लूट न की जाए. साहनी ने न्यायालय से दिशानिर्देश बनाने और एयरलाइन कंपनियों को उड़ानों के लिए मनमाने, अतार्किक और अत्यधिक शुल्क वसूलने से रोकने का अनुरोध किया. इस बीच, मिश्रा ने अदालत से जनहित में हवाई टिकटों की कीमतें सीमित करने की मांग की. उन्होंने एक आवेदन भी दायर किया जिसमें मांग की गई कि जेट एयरवेज की उड़ानों के निलंबन से प्रभावित यात्रियों को उनका रिफंड और पर्याप्त मुआवजा मिले.
नागरिक उड्डयन महानिदेशालय (डीजीसीए) की ओर से पेश वकील अंजना गोसाईं ने कहा कि प्राधिकरण ने मामले में एक विस्तृत हलफनामा दायर किया है. गोसाईं ने कहा कि किराया मार्गों के साथ-साथ विमानों की उपलब्धता पर भी निर्भर करता है. उन्होंने कहा कि कई बार विमानों में तीन यात्री होते हैं और फिर भी वे उड़ान भरते हैं.
-भारत एक्सप्रेस
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