दिल्ली हाईकोर्ट ने फिल्म ‘स्त्री 2’ और ‘औरो में कहां दम था’ को दृष्टिबाधितों के लिए सुलभ बनाने के मामले में निर्माताओं एवं ओटीटी मंच अमेजन से जवाब मांगा है. न्यायमूर्ति संजीव नरूला ने इसके अलावा केंद्र सरकार को भी नोटिस जारी कर जवाब मांगा है और सुनवाई 19 दिसंबर के लिए स्थगित कर दी है. न्यायमूर्ति ने उम्मीद जाहिर की कि अगली सुनवाई से पहले तक पक्षकार इसका समाधान खोज लेंगे. इसको लेकर वे आपस में समन्वय करें.
न्यायमूर्ति ने यह जवाब तलब दो दृष्टिबाधित अक्षत बलदवा एवं राहुल बजाज की याचिका पर सुनवाई करते हुए किया है. याचिकाकर्ताओं ने कहा था कि जब फिल्में ओटीटी मंच पर जारी हुई थीं, तब उनलोगों ने निर्माताओं को दृष्टिबाधितों के लिए सुलभ बनाने को लेकर पत्र लिखा था. उसके बाद जवाब मिला कि इसके लिए वे अमेजन के संपर्क में हैं.
पेशे से वकील बजाज ने दलील दी कि दिव्यांगजन अधिकार अधिनियम के तहत सरकार पर यह दायित्व डाला गया है कि वह यह सुनिश्चित करे कि इलेक्ट्रानिक मीडिया में उपलब्ध सभी सामग्री सुलभ प्रारूप में हो. इसके बावजूद दोनों फिल्में दृष्टिबाधितों के लिए आडियो विवरण और श्रवण बाधितों के लिए समान भाषा में कैप्शन जैसी कुछ महत्वपूर्ण विशेषताओं की कमी के कारण सुलभ नहीं है.
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याचिका में कहा गया है कि ये विशेषताएं मनोरंजन सामग्री द्वारा प्रदान किए जाने वाले सांस्कृतिक, सामाजिक और शैक्षिक लाभों तक समान पहुंच सुनिश्चित करने के लिए आवश्यक हैं. केंद्र ने ‘श्रवण और दृश्य बाधितों के लिए सिनेमा थिएटर में फीचर फिल्मों के सार्वजनिक प्रदर्शन में पहुंच मानकों को लेकर दिशानिर्देश अधिसूचित किया है. लेकिन इनमें ओटीटी मंच पर सामग्री की पहुंच के लिए कोई प्रावधान नहीं है.
-भारत एक्सप्रेस
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