छत्तीसगढ़ कैडर के भारतीय पुलिस सेवा (IPS) अधिकारी गुरजिंदर पाल सिंह की अनिवार्य सेवानिवृत्ति को रद्द करने के केंद्रीय प्रशासनिक न्यायाधिकरण (कैट) के फैसले को दिल्ली हाईकोर्ट ने बरकरार रखा है. सिंह को पिछले साल आईपीएस सेवा से अनिवार्य रूप से सेवानिवृत्त कर दिया गया था. इसका आधार आय से अधिक संपत्ति और देशद्रोह संबंधी आपराधिक कार्यवाही को आधार बनाया गया था.
न्यायमूर्ति सुरेश कुमार कैत एवं न्यायमूर्ति गिरीश कठपालिया की पीठ ने कहा कि केंद्र सरकार ने विभागीय कार्यवाही के समाप्त होने की प्रतीक्षा किए बिना ही शार्टकट अपनाकर सेवानिवृत्ति का आदेश पारित कर दिया है. लेकिन सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि तीन साल की देरी के बावजूद विभागीय कार्यवाही में जांच अधिकारी की नियुक्ति तक नहीं की गई है.
कैट से इसे गंभीरता से लिया है, जो उचित है। इसके अलावा सिंह के खिलाफ दर्ज तीनों आपराधिक मामलों की कार्यवाही पर छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने रोक लगा रखी है. उसपर फैसला आने का इंतजार किए बिना ही उनके खिलाफ विभागीय कार्रवाई की गई है. इस तरह से कैट का 30 अप्रैल के फैसले में कोई कमी नहीं है. इसलिए केंद्र की अपील को खारिज की जाती है.
सिंह ने अपनी जबरन सेवानिवृत्त के खिलाफ कैट का रुख किया था. उन्होंने कहा था कि वे नागरिक पूर्ति निगम घोटाले जैसी हाई-प्रोफाइल और संवेदनशील जांच के प्रभारी थे. उच्च पदों पर बैठे राजनीतिज्ञों ने दबाव डाला था और जब उन्होंने उनके निर्देशों का पालन करने से इनकार कर दिया तो उन्हें जबरन सेवानिवृत्ति दे दी गई. कैट ने सिंह की याचिका स्वीकार कर ली और सभी परिणामी लाभों के साथ उनकी बहाली का आदेश दिया. इस फैसले को केंद्र सरकार ने चुनौती दी थी.
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-भारत एक्सप्रेस
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