
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की शैक्षणिक डिग्री से जुड़े मामले में एक आवेदक के वकील ने हाईकोर्ट से कहा कि जनता को यह जानने का अधिकार है कि मोदी की डिग्री की सच्चाई क्या है. क्योंकि कॉलेज की डिग्री एक सार्वजनिक दस्तावेज है और दिल्ली विविद्यालय एक सार्वजनिक प्राधिकरण है. इसलिए इसका खुलासा किया जाना चाहिए. न्यायमूर्ति सचिन दत्ता ने इस मामले की अगली सुनवाई 27 फरवरी के लिए तय कर दी.
वरिष्ठ अधिवक्ता ने पैसे के भुगतान को लेकर चिंता जताई
आवेदक मोहम्मद इरसाद की ओर से पेश वरिष्ठ वकील शादान फरासत ने अपनी दलीलें पूरी की. एक अन्य आवेदक की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता राहुल मेहरा ने पैसे के भुगतान करने की तकनीकीता को लेकर चिंता जताई. उन्होंने कहा कि आवेदन दाखिल करने के लिए 10 रु पए एक गरीब व्यक्ति के पास नहीं हो सकते हैं. देश की 60 फीसदी लोग गरीब है. हम उनके लिए दरवाजे बंद नहीं कर सकते.
कोर्ट वर्ष 2017 में दाखिल डीयू की याचिका पर सुनवाई कर रहा है, जिसमें केंद्रीय सूचना आयोग (सीआईसी) के एक आदेश को चुनौती दी गई है. उसमें डीयू से वर्ष 1978 में बीए प्रोग्राम पास करने वाले छात्रों के रिकॉर्ड के निरीक्षण की अनुमति देने का निर्देश दिया गया था. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी उस समय परीक्षा पास की थी. वर्ष 2017 में 24 जनवरी को पहली सुनवाई की तारीख पर इस आदेश पर रोक लगा दी गई थी.
-भारत एक्सप्रेस
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