मनीष सिसोदिया. (फाइल फोटो साभार: X/@msisodia)
Delhi Liquor Scam Case: कथित शराब नीति घोटाला से जुड़े मामले में तिहाड़ जेल में बंद दिल्ली के पूर्व उप-मुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया की ओर से दायर जमानत याचिका पर जवाब दाखिल करने के लिए दिल्ली हाईकोर्ट ने सीबीआई और ईडी को 4 दिन का और अतिरिक्त समय दे दिया है.
प्रवर्तन निदेशालय (ED) और केंद्रीय जांच ब्यूरो (CBI) ने शराब नीति मामले में मनीष सिसोदिया की जमानत याचिकाओं पर अपना जवाब दाखिल करने के लिए बुधवार (8 मई) को दिल्ली हाईकोर्ट से कुछ और समय मांगा था.
केंद्रीय जांच एजेंसियों ने जवाब दाखिल करने के लिए अदालत से एक हफ्ते का वक्त मांगा. हालांकि, सिसोदिया के वकील विवेक जैन ने अनुरोध का विरोध करते हुए कहा कि वह न्यायिक हिरासत में हैं और बताया कि ईडी ने सुप्रीम कोर्ट को आश्वासन दिया था कि मुकदमा छह महीने में पूरा हो जाएगा.
अदालत अब 13 मई को इस मामले में अगली सुनवाई करेगा. मामले की सुनवाई के दौरान जांच एजेंसी ने अदालत से कहा कि इस मामले में सह-आरोप-पत्र दाखिल करना है. मनीष सिसोदिया ने निचली अदालत के फैसले को हाईकोर्ट में चुनौती दी है.
अदालत ने न्यायिक हिरासत बढ़ा दी थी
बीते 7 मई को राउज एवेन्यू कोर्ट की विशेष न्यायाधीश कावेरी बावेजा ने मनीष सिसोदिया की न्यायिक हिरासत भी 15 मई तक के लिए बढ़ा दी. अदालत ने सीबीआई द्वारा जांच किए जा रहे भ्रष्टाचार के मामले में उनकी न्यायिक हिरासत बढ़ाई है.
इसके अलावा अदालत ने शराब नीति घोटाले से जुड़े मनी लॉन्ड्रिंग मामले में मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल की न्यायिक हिरासत 20 मई तक बढ़ा दी थी. मामले की एक अन्य आरोपी तेलंगाना की एमएलसी के. कविता की न्यायिक हिरासत 14 मई तक बढ़ा दी, जबकि भ्रष्टाचार से संबंधित मामले में उन्हें 20 मई तक के लिए जेल भेज दिया था.
निचली अदालत के फैसले के खिलाफ हाईकोर्ट गए
सिसोदिया ने निचली अदालत के 30 अप्रैल के फैसले के खिलाफ हाईकोर्ट का रुख किया है, जिसमें उन्हें क्रमश: ईडी और सीबीआई द्वारा दर्ज मनी लॉन्ड्रिंग और भ्रष्टाचार के मामलों में जमानत देने से इनकार कर दिया गया था. निचली अदालत ने सिसोदिया को जमानत देने से इनकार करते हुए कहा था कि आरोपी फालतू आवेदन दायर करके उत्पाद शुल्क नीति मामले के मुकदमे में देरी कर रहे थे.
शराब नीति में कथित भ्रष्टाचार
यह मामला दिल्ली सरकार की 2021-22 की शराब नीति बनाने और क्रियान्वयन में कथित भ्रष्टाचार और मनी लॉन्ड्रिंग से संबंधित है. इस नीति को रद्द कर दिया गया है. ईडी का मामला है कि कुछ निजी कंपनियों को थोक व्यापार में 12 प्रतिशत का लाभ देने की साजिश के तहत उत्पाद शुल्क नीति लागू की गई थी, हालांकि मंत्रियों के समूह (जीओएम) की बैठकों के मिनटों में ऐसी शर्त का उल्लेख नहीं किया गया था.
केंद्रीय एजेंसी ने यह भी दावा किया है कि थोक विक्रेताओं को असाधारण लाभ मार्जिन देने के लिए विजय नायर और साउथ ग्रुप के साथ अन्य व्यक्तियों द्वारा एक साजिश रची गई थी. एजेंसी के मुताबिक, नायर मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल और मनीष सिसोदिया की ओर से काम कर रहे थे.
-भारत एक्सप्रेस
इस तरह की अन्य खबरें पढ़ने के लिए भारत एक्सप्रेस न्यूज़ ऐप डाउनलोड करें.