प्रतीकात्मक फोटो.
राजधानी दिल्ली में अवैध उगाही के चलते डकैती के आरोप में जेल भेजे गए दक्षिण-पश्चिम जिला नारकोटिक्स इकाई के पांच पुलिसवालों के मामले में चौंकाने वाली जानकारी सामने आ रही है. सूत्रों की मानें तो यह मामला कार में शराब पीने के कारण हिरासत में लेकर मारपीट करने और लाखों की उगाही का नहीं, बल्कि हरियाणा से दिल्ली में होने वाली शराब की अवैध तस्करी से जुड़ी हुई है.
इस मामले में हिरासत में लिए गए हरियाणा पुलिस के जवान राजेश कुमार और दिल्ली पुलिस की स्पेशल सैल में तैनात सिपाही दीपक छिल्लर की भूमिका भी संदिग्ध बताई जा रही है. पुलिस पर भी जानकारी होने के बावजूद तथ्य छिपाने का आरोप लग रहा है. इस मामले में दिल्ली पुलिस प्रवक्ता से बात करने का प्रयास किया गया, लेकिन उनसे संपर्क नहीं हो सका.
क्या है मामला
दरअसल दो दिन पहले दक्षिण-पश्चिम जिला पुलिस की नारकोटिक्स इकाई में तैनात हवलदार विश्वास दहिया, अशोक, सिपाही राजकुमार, मनीष और दीपक ने रंगपुरी इलाके से चार लोगों को हिरासत में लिया था. इनमें हरियाणा पुलिस के सिपाही राजेश कुमार, दिल्ली पुलिस की स्पेशल सेल के सिपाही दीपक छिल्लर और हरियाणा स्थित शराब की एक दुकान में काम करने वाला सुखकरण के अलावा अनिल छिल्लर नामक का युवक शामिल था. अफसरों द्वारा बताया गया है कि ये लोग कार में शराब पी रहे थे और जिला पुलिस के जवानों ने उन्हें हिरासत में लेकर बर्बरतापूर्ण पिटाई की. बाद में 10 लाख रुपये रिश्वत लेकर सभी को छोड़ दिया गया.
शिकायत से मचा हड़कंप
पुलिस के चंगुल से छूटते ही सुखकरण ने पूरे मामले को लेकर दिल्ली पुलिस कंट्रोल रूम पर शिकायत कर दी, जिसके बाद नींद से जागे अफसरों ने प्रारंभिक जांच के बाद पांचों पुलिसकर्मियों को गिरफ्तार कर उनके खिलाफ जबरन वसूली का मामला दर्ज कर लिया. सूत्रों की मानें तो इनके पास से करीब 7 लाख रुपये भी बरामद किए गए हैं. खास बात यह है कि पेशी के दौरान अदालत ने इनके खिलाफ डकैती का धारा जोड़कर कार्रवाई करते हुए सभी को जेल भेज दिया.
कुछ और ही खेल था
दरअसल दिल्ली पुलिस के अधिकारी जिस मामले के कार में शराब पीने का बता रहे हैं, वह पूरा खेल हरियाणा से होने वाली शराब की अवैध तस्करी का बताया जा रहा है. जिला पुलिस की टीम ने जिस तरह पीड़ितों को हिरासत में लेकर मारपीट की और मोटी रिश्वत वसूली, उसके बाद पुलिस अफसरों की कहानी पर शायद ही कोई विश्वास करेगा, क्योंकि राजधानी के विभिन्न इलाकों में सड़कों पर शराब पीने की बात आम है.
सूत्रों का कहना है कि दिल्ली-हरियाणा सीमा पर होने वाली शराब की अवैध तस्करी को छिपाने के लिए यह कहानी तैयार की गई है, क्योंकि यह मामला केवल दक्षिण-पश्चिम जिला का ही नहीं, बल्कि दक्षिणी और दक्षिण-पूर्व जिले में भी संगठित तौर पर संचालित हो रहा है.
इनके अनुसार, इन जिलों में मुख्य तौर पर थाना वसंत कुंज दक्षिणी, फतेहपुर बेरी और बदरपुर के कई पुलिसवालों पर तो तो बाकायदा शराब तस्करी को संरक्षण देकर मोटा माल कमाने का आरोप है. इसके अलावा इन जिलों के स्पेशल स्टाफ, एटीएस की टीमों के कई कर्मचारी ही नहीं जिलों में तैनात कई अधिकारी भी इस गोरखधंधे में शामिल हैं.
तस्करी का संगठित गैंग
दिल्ली पुलिस के एक आला अधिकारी के अनुसार, हरियाणा के गुड़गांव और फरीदाबाद जिलों में संचालित एल-वन शराब के ठेकों से हर रोज हजारों पेटी शराब तस्करी करके दिल्ली के विभिन्न इलाकों में लाई जाती है. राजधानी के कई रेस्टोरेंट और बार में भी इनकी काफी खपत होती है. बदरपुर, वसंत कुंज दक्षिणी और फतेहपुर बेरी थाने में तैनात कई पुलिसकर्मी इस तस्करी को संरक्षण देते हैं. अगर इस मामले की ईमानदारी से जांच हुई तो कई दर्जन पुलिसवाले सलाखों के पीछे नजर आएंगे.
पुलिसकर्मी भी गिरोह का हिस्सा!
सूत्रों का कहना है कि दिल्ली के आबकारी विभाग की एक्साइज इंटेलीजेंस ब्यूरो में तैनात कई पुलिस वाले ही नहीं दिल्ली पुलिस की अपराध शाखा और स्पेशल सेल के कई पुलिसकर्मी भी इस गिरोह का हिस्सा हैं. खास बात यह है कि तस्करी करने वाले गिरोह के अलावा कोई अन्य व्यक्ति ज्यादा मात्रा में शराब लेकर दिल्ली में घुसता है तो वहीं तैनात कुछ लोग वाहन नंबर के साथ दिल्ली में इसकी सूचना दे देते हैं, जिसके बाद मुस्तैद टीम उन्हें दबोच लेती है, लेकिन आपसी रजामंदी से होने वाले समझौतों के कारण वह मामले रिकॉर्ड का हिस्सा नहीं बन पाते.
-भारत एक्सप्रेस
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