राव आईएएस.
Delhi Coaching Incident: दिल्ली के ओल्ड राजेंद्र नगर कोचिंग सेंटर में 3 छात्रों की मौत के मामले में सीबीआई ने राऊज एवेन्यू कोर्ट में चार्जशीट दाखिल किया है. जिस पर संज्ञान लेने को लेकर कोर्ट 29 अक्टूबर को सुनवाई होगी. दाखिल चार्जशीट पर सुनवाई के दौरान सीबीआई ने कहा कि 6 आरोपियों के खिलाफ मुकदमा चलाने के लिए पर्याप्त सामग्री है. सीबीआई ने कहा कि हम दिल्ली हाई कोर्ट के आदेश की जांच कर रहे हैं.
कोर्ट सीबीआई की चार्जशीट वापस भेजे: वकील
वहीं, मृतक छात्र के पिता की ओर से पेश वकील ने कहा कि अगर मामले में आरोपियों के खिलाफ जांच पूरी नहीं हुई है, तो कोर्ट को सीबीआई की चार्जशीट वापस भेज देनी चाहिए. बेसमेंट का इस्तेमाल व्यावसायिक उद्देश्य के लिए किया जा रहा था. चार्जशीट में सीबीआई ने 6 लोगों को आरोपी बनाया है. जिसमें परविंदर सिंह, ताजिंदर सिंह, हरविंदर सिंह, सरबजीत सिंह, राव कोचिंग के सीईओ अभिषेक गुप्ता और देशपाल सिंह बक नाम शामिल है.
गैर इरादतन हत्या से जुड़ी धाराओं के तहत चार्जशीट दाखिल
इन आरोपियों पर आपराधिक साजिश और गैर इरादतन हत्या से जुड़ी धाराओं के तहत चार्जशीट दाखिल की गई है. जबकि, सीबीआई ने एसयूवी के ड्राइवर मनुज कथूरिया के खिलाफ चार्जशीट दाखिल नहीं की है. मनोज कथूरिया के खिलाफ आपराधिक आरोपो को रद्द कर दिया है. हालांकि दिल्ली पुलिस ने एफआईआर में दावा किया था कि मनोज कथूरिया तेज गाड़ी चला रहा था, जिसकी वजह से कोचिंग सेंटर का गेट टूट गया.
दिल्ली पुलिस से सीबीआई को ट्रांसफर किया गया था मामला
हाई कोर्ट ने 2 अगस्त को मामले को दिल्ली पुलिस से लेकर सीबीआई को ट्रांसफर कर दिया था. सीबीआई ने इस मामले में खुलासा करते हुए कहा था कि राव आईएएस के मालिक ने जानबूझकर बेसमेंट का इस्तेमाल किया था. दिल्ली हाई कोर्ट ने मामले को सीबीआई को ट्रांसफर कर दिया था. सीबीआई ने आपराधिक लापरवाही, कर्तव्यों की उपेक्षा और भ्रष्ट आचरण समेत विभिन्न कथित अपराधों के लिए मामला दायर किया है.
सीबीआई को केस ट्रांसफर करते हुए हाईकोर्ट ने कहा था कि इस मामले को ध्यान में रखकर लर्जर पिक्चर पर बात होनी चाहिए. मामले की सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता के वकील ने कोर्ट में कहा था कि दिल्ली में लोग आग और पानी से मर रहे हैं. ऐसा लग रहा है कि हम जंगल में रह रहे हैं. याचिकाकर्ता के वकील ने यह भी कहा था कि राजेंद्र नगर में बेसमेंट में कई लाइब्रेरी चल रही हैं. लेकिन, एमसीडी की तरफ को कोई कार्रवाई नहीं की गई है. पता नहीं कि एमसीडी क्यों शांत है? कड़वा सच यह भी है कि वहां कई मौजूदा आयुक्तों की संपत्ति है.