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क्या पंजाब में बीजेपी का “ऑपरेशन लोटस ” शुरू होने से पहले की फेल हो गया?

क्या पंजाब में बीजेपी का ऑपरेशन लोटस शुरू होने से पहले की फेल हो गया?

पंजाब में आम आदमी पार्टी का बीजेपी पर हमला

चंडीगढ़– क्या पंजाब में भी बीजेपी का ऑपरेशन लोटस शुरू होने से पहले ही फेल हो गया ?अगर दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल की बातों पर यकीन करें तो बीजेपी ने पंजाब में उनकी सरकार को गिराने के लिए साजिशें शुरू कर दी थी.दरअसल ये खबरें उस वक्त हवा में तैरने लगीं जब पंजाब के राज्यपाल बनवारी लाल ने पहले विधानसभा का विशेष सत्र बुलाने के लिए तारीख तय की और फिर अचानक कहा कि विशेष सत्र की कोई ज़रूरत नहीं है.इसके बाद राज्यपाल और बीजेपी आम आदमी पार्टी के निशाने पर आ गए.आम आदमी पार्टी ने इस मुद्दे को हवा देना शुरू कर दिया है और इस सिलसिले में आज मुख्यमंत्री भगवंत मान ने अपने सभी विधायकों की बैठक भी बुलायी और विधानसभा से लेकर राजभवन तक शांति मार्च किया जिसमें 92 विधायकों ने हिस्सा लिया.

इससे पहले आम आदमी पार्टी ने आरोप लगाया था कि बीजेपी उनके 10 विधायकों को 25-25 करोड़ रुपए में खरीदने की कोशिश कर रही थी .पंजाब के राज्यपाल ने 20 तारीख को सदन का विशेष सत्र बुलाने की बात कही थी लेकिन आज अचानक कहा कि विशेष सत्र की कोई ज़रूरत नहीं है.

इस पूरे मामले सीएम अरविंद केजरीवाल ने ट्वीट कर लिखा कि राज्यपाल कैबिनेट द्वारा बुलाए सत्र को कैसे मना कर सकते हैं? फिर तो जनतंत्र खत्म है. दो दिन पहले राज्यपाल ने सत्र की इजाज़त दी. जब ऑपरेशन लोटस फ़ेल होता लगा और संख्या पूरी नहीं हुई तो ऊपर से फ़ोन आया कि इजाज़त वापिस ले लो, आज देश में एक तरफ संविधान है और दूसरी तरफ ऑपरेशन लोटस. राज्यपाल के इस कदम की आलोचना करते हुए पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान ने ट्वीट किया था कि राज्यपाल द्वारा विधानसभा ना चलने देना देश के लोकतंत्र पर बड़े सवाल पैदा करता है

 

आज पंजाब सरकार की कैबिनेट मीटिंग भी हुई.बैठक में बड़ा फैसला करते हुए दोबारा विधानसभा के विशेष सत्र बुलाने को लेकर प्रस्ताव पास किया गया है. अब मंगलवार को विधानसभा का विशेष सत्र होगा. इससे पहले भी पंजाब के राज्यपाल बनवारीलाल पुरोहित ने विश्वास प्रस्ताव पेश करने के लिए विधानसभा का विशेष सत्र आहूत करने की आम आदमी पार्टी  सरकार की योजना को बुधवार को नाकाम कर दिया. पंजाब सरकार ने आज ‘ऑपरेशन लॉटस’ को लेकर शांति मार्च किया.इस मार्च में 92 विधायक शामिल थे जो विधानसभा से राजभवन तक गए. गौरतलब है कि इससे पहले अरविंद केजरीवाल सरकार दिल्ली विधानसभा का विशेष सत्र बुलाकर अपना बहुमत साबित कर चुकी है.

 

भारत एक्सप्रेस

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