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Dussehra-2023: सुल्तानपुर की रामलीला में अहमद गाते हैं भजन-कीर्तन, तब होता है राणव दहन…पेश हुई हिंदू-मुस्लिम भाईचारे की मिसाल

Sultanpur: इंतजार अहमद बताते हैं कि भजन कीर्तन गाते-गाते उनको भगवान श्रीराम में गहरी आस्था हो गई है. वह रामलीला में ढोलक भी बजाते हैं और 15 वर्षों से लगातार ये काम कर रहे हैं.

सुल्तानपुर की रामलीला में ढोलक के साथ अहमद

आशुतोष मिश्र

Dussehra-2023: पूरे देश में विजयादशमी त्योहार को लेकर धूम मची हुई है. उत्तर प्रदेश के हर पार्क और मोहल्ले में रावण दहन के लिए पुतले तैयार हो गए हैं तो वहीं रामलीला में भी आज भगवान राम रावण का दहन कर पूरे समाज को बुराई पर अच्छाई की जीत का संदेश देंगे. इसी बीच उत्तर प्रदेश के सुल्तानपुर की रामलीला से गंगा-जमुनी तहजीब का संदेश भी दिया जा रहा है, क्योंकि यहां की रामलीला में अहमद जब भजन-कीर्तन गाते हैं तभी रावण दहन किया जाता है. यहां के इसौली गांव में डेढ़ सौ सालों से सज रहे रामलीला के मंच पर लोग अहमद के भजन-कीर्तन का इंतजार करते हैं और उनके सुर पर लोग झूमने लगते हैं. वह यहां की रामलीला में 15 वर्षों से भजन-कीर्तन गाने का काम कर रहे हैं और लोग उनको खूब पसंद भी कर रहे हैं.

भगवान राम में अहमद को हुई गहरी आस्था

सूर्यभान पांडे बताते हैं कि यहां की रामलीला इसलिए भी खास है क्योंकि, यहां पर इंतजार अहमद भजन कीर्तन गाते हैं और उनके भजन-कीर्तन से ऐसा माहौल बनता है कि लोग झूमने लगते हैं. रामलीला को लेकर नन्दौली निवासी इंतजार अहमद बताते हैं कि वह पंद्रह साल से इसौली की रामलीला में ढोलक बजाने के साथ ही भजन-कीर्तन गाने का काम भी करते हैं. वह कहते हैं कि भजन-कीर्तन गाते-गाते भगवान श्रीराम के प्रति उनकी गहरी आस्था हो गई है और उनको रामायण की तमाम चौपाइयां ऐसे ही याद हो गई हैं.

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डेढ़ सौ साल पहले लालटेन से शुरू हुई थी रामलीला

इसौली गांव के लोग बताते हैं कि यहां पर डेढ़ सौ साल पहले लालटेन की रोशनी में रामलीला की शुरुआत की गई थी. उसी परंपरा को स्थानीय कलाकार आगे बढ़ा रहे हैं तो वहीं नौकरी के चलते बाहर रहने वाले लोग रामलीला में अपना किरदार निभाने के लिए अवकाश लेकर आते हैं. रामलीला के संचालक आचार्य सूर्यभान पांडे बताते हैं कि इस रामलीला को डेढ़ सौ साल पहले बाबा सुचित दास महाराज ने गया प्रसाद जोशी सूर्यपाल यादव, हरदयाल जायसवाल महादेव प्रसाद श्रीवास्तव के साथ लालटेन जलाकर शुरू की थी और इसी मंच पर आज भी अनवरत स्थानीय कलाकारों की ओर से रामलीला का मंचन किया जा रहा है, जिसमें हिंदू और मुस्लिम मिलकर हिस्सा लेते हैं और यहां पर किसी भी तरह से किसी धर्म को लेकर कोई भेदभाव नहीं किया जाता है.

इनके पास है ये किरदार

यहां की रामलीला में अतुल श्रीवास्तव जामवंत बनते हैं तो वहीं विष्णु जोशी हनुमान का रोल निभाने हैं. सुजल श्रीवास्तव सीता माता का अभिनय कर रही हैं. आशु जोशी लक्ष्मण की भूमिका निभाते हैं और जितेंद्र श्रीवास्तव व्यास गद्दी की जिम्मेदारी सम्भालते हैं.

-भारत एक्सप्रेस

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