फारूक अब्दुल्ला.
Kandhar Plane Hijack: साल 1999 में हुआ कंधार प्लेन हाईजैक का मामला एक बार फिर से पूरे देश में चर्चा का विषय बना हुआ है. इतिहास के पन्नों को पलटकर उस समय हुईं गलतियों या फिर आतंकियों को छोड़े जाने को लेकर सहमति और असहमति पर बहस छिड़ी हुई है. इस बहस की वजह बनी है नेटफ्लिक्स पर आई फिल्म निर्माता अनुभव सिन्हा की वेब सीरीज आईसी-814 कंधार हाईजैक. इस वेब सीरीज में प्लेन को हाईजैक करने वाले आतंकियों के नाम को लेकर विवाद हुआ था, जिसके बाद केंद्र सरकार के निर्देश पर इसके डिस्क्लेमर में बदलाव किया गया.
आतंकियों को छोड़ने के पक्ष में नहीं थे पूर्व सीएम
प्लेन हाईजैक को लेकर देश में छिड़ी बहस के बीच भारतीय खुफिया एजेंसी RAW के तत्कालीन चीफ ए. एस. दुलत भी इसपर अपनी प्रतिक्रिया दी है. दुलत ने संडे टाइम्स को दिए एक इंटरव्यू में कहा कि जम्मू कश्मीर के तत्कालीन सीएम फारूक अब्दुल्ला किसी भी कीमत आतंकवादियों को छोड़े जाने के पक्ष में नहीं थे. जिन्हें मनाने की जिम्मेदारी दुलत को सौंपी गई थी.
भारी कीमत चुकानी पड़ेगी- फारूक अब्दुल्ला
पूर्व RAW चीफ ने बताया कि “सीएम फारूक अब्दुल्ला को मनाने के लिए मुझे जब उनके पास भेजा गया तो उन्होंने साफ मना कर दिया,उन्होंने कहा कि तुम्हें इसके लिए भारी कीमत चुकानी पड़ेगी.” दुलत ने बताया कि फारूक अब्दुल्ला मुश्ताक जरगर को बिल्कुल भी रिहा करन के पक्ष में नहीं थे, लेकिन अंत में मैंने किसी तरह उन्हें राजी किया.
तीन आतंकियों को किया गया था रिहा
ए. एस दुलत विमान अपहरण संकट से निपटने के लिए बनाए गए क्राइसिस मैनेजमेंट ग्रुप का हिस्सा थे. प्लेन हाईजैक के बाद आतंकियों की मांग पर यात्रियों की सुरक्षित रिहाई के लिए तीन खूंखार आतंकवादियों- मसूद अजहर, मुश्ताक जरगर और उमर शेख को भारत सरकार ने रिहा किया था.
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पूर्व रॉ चीफ ए. एस दुलत ने इस दौरान 1989 के रुबैया सईद अपहरण कांड का भी जिक्र किया. उन्होंने बताया कि रुबैया सईद अपहरण कांड के दौरान भी फारूक अब्दुल्ला आतंकियों को छोड़े जाने के पक्ष में नहीं थे.
-भारत एक्सप्रेस
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