
जोगिंदर गियोंग उर्फ जोगा डॉन.
दिल्ली पुलिस की स्पेशल सेल और हरियाणा पुलिस के संयुक्त ऑपरेशन में इंटर-स्टेट गैंगस्टर जोगिंदर गियोंग (Joginder Geong) उर्फ जोगा डॉन उर्फ कांत गुप्ता को गिरफ्तार कर लिया गया है. जोगिंदर, जो कि खालिस्तानी आतंकियों के साथ जुड़े आतंकी-गैंगस्टर गठजोड़ का सक्रिय सदस्य था, फिलीपींस से डिपोर्ट होने के बाद भारत लाया गया. वह कुख्यात गैंगस्टर कौशल चौधरी और वांछित आतंकियों अर्श डल्ला और लक्की पटियाल का सक्रिय सहयोगी था. जोगिंदर पर हरियाणा पुलिस ने 1.5 लाख रुपये का इनाम घोषित किया था. वह अब तक 24 आपराधिक मामलों में संलिप्त रहा है, जिनमें 15 मामलों में उसे दोषी करार दिया गया, जिसमें 5 हत्या के मामले भी शामिल हैं.
दिल्ली पुलिस स्पेशल सेल की दक्षिणी रेंज (Southern Range) की टीम, इंस्पेक्टर मान सिंह की अगुवाई में, जिसमें एसआई मनीष, एसआई राजेश, एचसी मनजीत, एचसी प्रवीण, एचसी विकास, एचसी रोहित और एचसी रामजस शामिल थे, एसीपी वेद प्रकाश के निर्देशन में इस ऑपरेशन को अंजाम दिया. स्पेशल सेल ने पिछले कुछ समय से दिल्ली और हरियाणा में आतंकी-गैंगस्टर गठजोड़ पर विशेष ध्यान केंद्रित किया हुआ था. इस कड़ी में कौशल चौधरी और देविंदर बंबिहा गैंग के गठजोड़ पर नजर रखी जा रही थी. जांच में खुलासा हुआ कि यह गैंग विदेशों में बैठे खालिस्तानी आतंकी संगठनों, विशेष रूप से खालिस्तान टाइगर फोर्स (KTF) से जुड़ा हुआ है, जिसे अर्श डल्ला और लक्की पटियाल चला रहे हैं.
फिलीपींस में फर्जी पहचान के तहत शरण ली
जोगिंदर गियोंग, जिसे स्पेशल सेल ने आतंकी गठजोड़ की एक महत्वपूर्ण कड़ी माना था, को फिलीपींस के बकालोड शहर में ट्रैक किया गया. उसने वहां एक फर्जी पहचान के तहत शरण ली हुई थी. दिल्ली पुलिस ने हरियाणा पुलिस के साथ मिलकर केंद्रीय एजेंसियों से अनुरोध कर उसे डिपोर्ट कराने में सफलता हासिल की और 1-2 फरवरी 2025 की मध्यरात्रि में उसकी गिरफ्तारी हुई. गिरफ्तार गैंगस्टर हरियाणा, पंजाब, राजस्थान और दिल्ली-एनसीआर में सक्रिय था. वह कौशल चौधरी और खालिस्तानी नेटवर्क के लिए मानव संसाधन जुटाने, गैंगस्टरों को सुरक्षित ठिकाने देने, हथियार और नशीले पदार्थों की तस्करी तथा फिरौती वसूलने जैसे कामों में लगा हुआ था.
जोगिंदर पहले भी आपराधिक गतिविधियों में लिप्त रहा है. 2007 में उसे दक्षिण अफ्रीका से डिपोर्ट किया गया था, लेकिन जेल से छूटने के बाद वह दोबारा फिलीपींस भाग गया. वहां उसने नए दस्तावेजों की मदद से अपनी पहचान बदली और अर्श डल्ला व लक्की पटियाल के साथ आतंकी-गैंगस्टर सिंडिकेट को मजबूत करने में जुट गया. उसका नेटवर्क कर्नाल, पानीपत, कैथल सहित हरियाणा के कई हिस्सों में फैला हुआ था, जहाँ से वह डॉक्टरों, ठेकेदारों, शराब व्यवसायियों और अन्य अमीर लोगों से रंगदारी वसूलता था.
खालिस्तानी आतंकियों का अहम सहयोगी
जोगिंदर गियोंग केवल एक गैंगस्टर नहीं, बल्कि खालिस्तानी आतंकियों का अहम सहयोगी बन चुका था. उसकी संलिप्तता कई हाई-प्रोफाइल हत्याओं में सामने आई है, जिनमें SOPU (स्टूडेंट ऑर्गेनाइजेशन ऑफ पंजाब यूनिवर्सिटी) के पूर्व अध्यक्ष विक्की मिड्ढूखेड़ा की हत्या, गुरलाल बरार की हत्या और प्रसिद्ध कबड्डी खिलाड़ी संदीप नंगल अंबिया की हत्या शामिल हैं. गिरफ्तार अपराधी पर हत्या, फिरौती, हथियारों की तस्करी, और धोखाधड़ी के 24 मामले दर्ज हैं, जिनमें से 15 मामलों में उसे दोषी ठहराया गया है. प्रमुख मामलों में चोरी, हत्या, षड्यंत्र, हथियार तस्करी और रंगदारी जैसे अपराध शामिल हैं.
जोगिंदर गियोंग की गिरफ्तारी आतंकी-गैंगस्टर गठजोड़ को तोड़ने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है. उसके इंटरोगेशन से इस नेटवर्क के काम करने के तरीकों, अंतरराष्ट्रीय संपर्कों और संभावित विदेशी संगठनों की संलिप्तता पर और अधिक खुलासे होने की उम्मीद है. दिल्ली पुलिस, हरियाणा पुलिस और केंद्रीय एजेंसियाँ अब इस मामले की गहराई से जांच कर रही हैं ताकि इस गैंग-टेरर सिंडिकेट को जड़ से खत्म किया जा सके और भारत की आंतरिक सुरक्षा को मजबूत किया जा सके.
-भारत एक्सप्रेस
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