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विदेशों में बसे पंजाबियों की बढ़ रही धाक, कई देशों की राजनीति में दबदबा

यूके ने पंजाबी राजनीतिक जुड़ाव में भी वृद्धि देखी है. 2017 के आम चुनाव में पंजाबी मूल के 20 से अधिक सांसद यूके की संसद के लिए चुने गए थे.

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प्रतीकात्मक तस्वीर

सिख और पंजाबी प्रवासी भारत से दूर होने के बावजूद वैश्विक मंच पर एक महत्वपूर्ण प्रभाव जमाते दिखाई दे रहे हैं. सिख धर्म और पंजाबी संस्कृति को बढ़ावा देने के साथ-साथ उनके द्वारा अपनाए गए देश में उनके राजनीतिक प्रभुत्व को भी खंगालने की जरूरत है. दुनिया भर में पंजाबी डायस्पोरा ने कनाडा, संयुक्त राज्य अमेरिका, यूनाइटेड किंगडम, ऑस्ट्रेलिया, न्यूजीलैंड और मलेशिया जैसे देशों में अपना प्रभाव जमाया है.

वे सिख शिक्षाओं और पंजाबी संस्कृति को बढ़ावा देने में काफी अहम साबित हुए हैं. ब्रिटेन में पंजाबी डायस्पोरा ने सिख धर्म और पंजाबी संस्कृति को बढ़ावा देने के लिए कई स्तर पर काम किए हैं. लॉर्ड इंदरजीत सिंह, हाउस ऑफ लॉर्ड्स के पहले सिख सदस्य, जो हाल ही में चार्ल्स III के राज्याभिषेक में भी उपस्थित थे, उन्होंने पंजाबी समुदाय का प्रतिनिधित्व करने और धार्मिक स्वतंत्रता और मानवाधिकारों की वकालत करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है.

सांस्कृतिक प्रचार से परे, पंजाबी डायस्पोरा परोपकार में भी महत्वपूर्ण योगदान देता है. वे अपने गृह देश में विकास परियोजनाओं के वित्तपोषण के साथ-साथ वैश्विक आपदा राहत और मानवीय सहायता का समर्थन करने में सक्रिय रहे हैं. राजनीतिक रूप से डायस्पोरा ने अपने प्रवास वाले देशों में महत्वपूर्ण प्रगति की है.

सिख न केवल संयुक्त राज्य अमेरिका के चुनावों में हिस्सा लिए हैं, बल्कि जीत भी हासिल की है. 2017 में रवि भल्ला होबोकेन, न्यू जर्सी के पहले सिख मेयर बने और 2021 में हरमिंदर सिंह जस्सल को कैलिफोर्निया के आर्टेसिया में पगड़ी पहनने वाले पहले सिख सिटी काउंसिल के सदस्य के रूप में नियुक्त किया गया.

यूके ने पंजाबी राजनीतिक जुड़ाव में भी वृद्धि देखी है. 2017 के आम चुनाव में पंजाबी मूल के 20 से अधिक सांसद यूके की संसद के लिए चुने गए थे. पंजाबी डायस्पोरा की सफलता समुदाय और साझा मूल्यों की एक मजबूत भावना में निहित है. कठिनाइयों और भेदभाव का सामना करने के लिए उन्होंने जो लचीलापन और दृढ़ता प्रदर्शित की है, वह उन्हें सिख धर्म और पंजाबी संस्कृति को बढ़ावा देने की दिशा में अहम माना जाएगा.



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