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Gyanvapi Case: ज्ञानवापी केस में टला फैसला, अब 12 सितंबर को अगली सुनवाई, मुस्लिम पक्ष का इस बात पर ऐतराज

इलाहाबाद हाईकोर्ट इससे पहले ज्ञानवापी में मुस्लिम पक्ष के द्वारा भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) के सर्वे पर रोक लगाने की याचिका को खारिज कर चुका है.

Gyanvapi mosque

फाइल फोटो

काशी विश्वनाथ-ज्ञानवापी मस्जिद विवाद मामले की सुनवाई आज सोमवार के दिन हाईकोर्ट में हुई. हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश प्रीतिंकर दिवाकर की एकल पीठ ने इसकी सुनवाई की. बता दें कि मामले में 25 जुलाई को फैसला सुरक्षित कर लिया गया था और आज इसे सुनाया जाना था. तब इस मामले की सुनवाई न्यायमूर्ति प्रकाश पाडिया की अदालत में चल रही थी. वहीं आज भी दोनों पक्षों की दलील सुनने के बाद हाईकोर्ट ने इस मामले की सुनवाई टाल दी है. अब इस केस की सुनवाई को लिए अगली तारीख 12 सितंबर को तय की गई है. बता दें कि अदालत में लंबित इस मामले में उस जगह पर मंदिर बहाल करने की मांग की गई है, जहां इस समय ज्ञानवापी मस्जिद मौजूद है.

मामले में आज दोनों पक्षों द्वारा दी गई दलील

ज्ञानवापी विवाद से जुड़ी पांच याचिकाओं पर इलाहाबाद हाईकोर्ट एक साथ सुनवाई कर रहा है. आज अदालत में सुनवाई के दौरान मुस्लिम पक्ष की ओर से यह दलील दी गई कि बीते कई सालों में लगभग 75 कार्य दिवसों पर इस मामले में सुनवाई हो चुकी है. ऐसे में मामले में फिर से सुनवाई नहीं की जा सकती. दूसरी तरफ हिंदू पक्ष की ओर से कहा गया कि फैसला जल्दी आना चाहिए. वहीं दोबारा सुनवाई किए जाने के फैसले का हिंदू पक्ष ने विरोध नहीं किया.

1991 से दाखिल है याचिका

ज्ञानवापी विवाद में तीन याचिकाएं 1991 में वाराणसी की अदालत में दाखिल किए गए थे. जिनमें से दो अर्जियां एएसआई के सर्वेक्षण आदेश के खिलाफ हैं. 1991 के दाखिल मुकदमे में विवादित परिसर को हिंदुओं को सौंपें जाने और उनके द्वारा वहां पर पूजा अर्चना की अनुमति दिए जाने की मांग की गई थी. हाईकोर्ट को इसी बात पर फैसला लेना हे कि वाराणसी की अदालत इस मुकदमे की सुनवाई कर सकती है या नहीं.

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एएसआई सर्वे पर रोक से किया था इंकार

इलाहाबाद हाईकोर्ट इससे पहले ज्ञानवापी में मुस्लिम पक्ष के द्वारा भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) के सर्वे पर रोक लगाने की याचिका को खारिज कर चुका है. अदालत ने एएसआई के सर्वे करने पर रोक लगाने से इनकार करते हुए यह कहा था इस सर्वे से किसी को नुकसान नहीं है. इसलिए इसे रोका नहीं जा सकता.

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