नजूल भूमि पर बना था मदरसा और मस्जिद.
Haldwani Violence What is Nazul Land: उत्तराखंड के हल्द्वानी में 8 फरवरी को अतिक्रमण हटाने गए प्रशासन की टीम पर जिस प्रकार उपद्रवियों ने पत्थर बरसाए उससे हर कोई हैरान रह गया. उपद्रवियों ने पुलिसवालों पर बड़ी मात्रा में पत्थर फेंके इसके बाद आगजनी हुई. इस हिंसा में 6 लोगों की मौत हो गईं. वहीं 500 से अधिक लोग घायल हो गए. जानकारी के अनुसार प्रशासन बनभूलपुरा के धार्मिक स्थलों को तोड़ने पहुंचा था जो कि नजूल भूमि पर बने थे. आइये जानते हैं नजूल भूमि क्या होती है?
जानकारी के अनुसार नजूल भूमि एक सरकारी जमीन होती है. जिस पर न तो कोई निर्माण किया जा सकता है और नहीं खेती-बाड़ी की जा सकती है. इस जमीन आम लोग खरीद और बेच भी नहीं सकते हैं. दरअसल नजूल भूमि की शुरुआत ब्रिटिश काल में हुई. ये भूमि के वो टुकड़े थे जिस पर अंग्रेजों ने जबरन कब्जा कर लिया था. आजादी के बाद सरकार ने जमीन के मालिकों को उनके पट्टे लौटा दिए लेकिन कुछ जमीनों के वारिस सरकार को मिले ही नहीं. आजादी के बाद ऐसी जमीनों का मालिकाना हक सरकार के पास रहा.
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सरकार नजूल जमीनों को लीज पर दे देती है
आमतौर पर ऐसी जमीनें हर राज्य में हैं. सरकार इन जमीनों को खाली रखने की बजाय लीज पर ले लेती हैं. सरकार इन जमीनों को 15 साल से लेकर 99 साल तक के लिए लीज पर दे देती है. कुल मिलाकर इस जमीन को लेकर क्या करना है इसका पूरा फैसला सरकार के पास ही होता है. अधिकतर राज्यों में इन जमीनों पर सरकार पंचायत भवन, स्कूल और अस्पताल बनवा देती है.
हल्द्वानी की विवादित जमीन भी नजूल थी
हल्द्वानी की जिस जमीन पर अतिक्रमण था वो नगर निगम में नजूल जमीन के तौर पर रजिस्टर्ड है. हल्द्वानी में सड़कों पर जाम कम करने के लिए सरकार लगातार अवैध कब्जे हटा रही है. इसी क्रम में मदरसे और मस्जिद को हटाने के लिए जब प्रशासन पहुंचा तो उपद्रवियों ने पत्थर बाजी की और इसके बाद हिंसा भड़क गई.
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