सुप्रीम कोर्ट.
उत्तर प्रदेश मदरसा शिक्षा बोर्ड अधिनियम 2004 को असंवैधानिक घोषित करने वाले इलाहाबाद हाई कोर्ट के फैसले को चुनौती देने वाली याचिका पर 11 सितंबर को सुनवाई होनी है. उससे पहले राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग (NCPCR) ने भी अपना लिखित दलील सुप्रीम कोर्ट में दायर किया है. NCPCR ने अपने लिखित दलील में मदरसों को मिलने वाली शिक्षा का विरोध करते हुए हाई कोर्ट के फैसले को सही माना है.
मदरसों में शिक्षा के माहौल पर उठाएं सवाल
NCPCR ने अपने लिखित जवाब में कहा है कि मदरसों में बच्चों को औपचारिक, क्वालिटी एजुकेशन नहीं मिल पा रही है. मदरसों में पढ़ने वाले बच्चों को शिक्षा के अधिकार से वंचित किया जा रहा है. क्योंकि मदरसों में ना तो शिक्षा का माहौल होता है और ना ही उस तरह की सुविधाएं मिलती हैं.
NCPCR ने यह भी कहा है कि मदरसे शिक्षा के अधिकार कानून के दायरे में नही आते हैं. इसलिए बाकी स्कूलों में पढ़ने वाले बच्चों की तुलना में मदरसों में पढ़ने वाले बच्चे शिक्षा से वंचित रहते हैं. साथ ही NCPCR ने यह भी कहा है कि बाकी स्कूलों के बच्चों को मिड डे मील, यूनिफॉर्म सहित अन्य सुविधाएं मिलती हैं जबकि मदरसों में पढ़ने वाले बच्चों को इससे महरूम रहना पड़ता है. मदरसों में पढ़ने वाले बच्चों को धार्मिक शिक्षा पर ज्यादा जोर दिया जाता हैं, जबकि अन्य स्कूलों में ऐसा नहीं है.
लिखितजवाब में यह भी कहा गया है कि कमीशन की रिपोर्ट जो सामने आई है उसके मुताबिक उत्तर प्रदेश, मध्यप्रदेश, बिहार, उत्तराखंड, पश्चिम बंगाल सहित कई राज्य हैं जहां मदरसों में मुस्लिम के अलावा बाकी धर्मो के बच्चे भी पढ़ते हैं. गैर मुस्लिम समुदाय के बच्चों को भी इस्लाम की शिक्षा दी जाती है, जो कानूनन गलत है.
यह याचिका अंजुम कादरी की ओर से दायर की गई है. याचिका में कहा गया है कि हाइकोर्ट के पास यह अधिकार नहीं है कि वह इस एक्ट को रद्द कर दे. इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच ने यूपी बोर्ड ऑफ मदरसा एजुकेशन एक्ट 2004 को असंवैधानिक घोषित करते हुए कहा है कि यह एक्ट धर्मनिरपेक्षता के सिद्धांत का उल्लंघन करने वाला है. साथ ही कोर्ट ने यूपी सरकार को वर्तमान में मदरसों में पढ़ रहे छात्रों की आगे की शिक्षा के लिए योजना बनाने का निर्देश दिया है. कोर्ट ने मदरसों में पढ़ रहे छात्रों को बुनियादी शिक्षा व्यवस्था में समायोजित करने के लिए कहा है. मदरसों की जांच के लिए यूपी सरकार ने अक्टूबर 2023 में SIT का गठन किया था.
-भारत एक्सप्रेस