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राष्ट्रीय राजधानी में बच्चों द्वारा भीख मांगने की घटनाओं से निपटने के लिए बाल हेल्पलाइन नंबर 1098 का हो प्रचार, हाईकोर्ट ने दिल्ली सरकार को दिया निर्देश

कोर्ट ने दिल्ली सरकार के रुख को रिकॉर्ड में लेने के बाद जनहित याचिका का निपटारा कर दिया.

delhi

दिल्ली हाईकोर्ट.

दिल्ली हाई कोर्ट ने दिल्ली सरकार को राष्ट्रीय राजधानी में बच्चों द्वारा भीख मांगने की घटनाओं से निपटने के लिए बाल हेल्पलाइन नंबर 1098 का प्रचार करने का निर्देश दिया है. कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश मनमोहन वन्यायमूर्ति तुषार राव गेडेला की पीठ ने बाल भीख मांगने के खिलाफ एक जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए यह निर्देश दिया.

दिल्ली सरकार ने पीठ को बताया कि कोई भी व्यक्ति इस तरह की घटना की सूचना हेल्पलाइन पर दे सकता है और इसके लिए एक तंत्र बनाया गया है, जिसके तहत बच्चे को परामर्श दिया जाएगा और उसे उसके पैतृक घर या बाल देखभाल संस्थान में भेजा जाएगा. कोर्ट ने दिल्ली सरकार के रुख को रिकॉर्ड में लेने के बाद जनहित याचिका का निपटारा कर दिया. पीठ ने दिल्ली सरकार से आठ सप्ताह के बाद अनुपालन दिखाते हुए हलफनामा दाखिल करने को कहा है.

दिल्ली सरकार ने स्थायी वकील संतोष कुमार त्रिपाठी के माध्यम से न्यायालय को आश्वासन दिया कि बच्चों द्वारा भीख मांगने की घटनाओं पर समय पर कार्रवाई सुनिश्चित करने के लिए तंत्र मौजूद है. उन्होंने कहा कि स्कूल न जाने वाले बच्चों की पहचान करने और उन्हें स्कूलों में दाखिला दिलाने के लिए भी कदम उठाए जा रहे हैं. उन्होंने कहा कि दिल्ली पुलिस भी बच्चों के अधिकारों के उल्लंघन के संबंध में सूचना मिलने पर कार्रवाई करती है.

अपनी स्थिति रिपोर्ट में दिल्ली सरकार ने कहा कि महिला एवं बाल विकास विभाग अपनी ‘जिला बाल संरक्षण इकाइयों’ के माध्यम से बाल भीख मांगने की समस्या से निपटने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है, जिन्हें भीख मांगने में शामिल कमजोर बच्चों की पहचान करने और उनका पुनर्वास करने का काम सौंपा गया है. इसने कहा कि आंगनवाड़ी, पुलिस और गैर सरकारी संगठनों जैसी क्षेत्रीय एजेंसियों के सहयोग से व्यापक जागरूकता कार्यक्रम चलाए जा रहे हैं, ताकि समुदायों को बाल भीख मांगने के जोखिमों और परिणामों के बारे में शिक्षित किया जा सके और इसकी रिपोर्टिंग को प्रोत्साहित किया जा सके.

राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग द्वारा तैयार की गई दायर स्थिति रिपोर्ट में कहा गया है कि सड़क पर रहने वाले बच्चों की देखभाल और सुरक्षा के लिए मानक संचालन प्रक्रिया” पहले से ही लागू है और बचाए गए बच्चों को व्यावसायिक प्रशिक्षण सहित शिक्षा तक पहुंच प्रदान करने के प्रयास किए जा रहे हैं.

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-भारत एक्सप्रेस

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