बीजेपी बागी नेता कृपाल सिंह परमार (फोटो ट्विटर)
kripal singh Parmar: हिमाचल प्रदेश के चुनाव में फतेहपुर सीट काफी ज्यादा दिलचस्प माने जा रही थी क्योंकि इस सीट पर बीजेपी के बागी नेता कृपाल सिंह परमार ने निर्दलीय चुनाव लड़ा. कृपाल सिंह परमार वही नेता हैं जिनका प्रधानमंत्री मोदी से फोन पर बात करने का ऑडियो वायरल हुआ था. जिस पर ये दावा किया जा रहा था कि प्रधानमंत्री मोदी ने कृपाल सिंह परमार को फोन किया है और वहां से चुनाव लड़ने के लिए मना किया है. प्रधानमंत्री मोदी के फोन के बावजूद बागी उम्मीदवार कृपाल सिंह पीछे नहीं हटे और चुनाव को निर्दलीय लड़ा.
चुनाव में फतेहपुर सीट का हाल इसलिए दिलचस्प था क्योंकि यहां से बीजेपी के बागी उम्मीदवार चुनाव लड़े रहे थे. इसके अलावा यहां इस सीट सभी वो प्रत्याशी चुनाव लड़े रहे थे. जो बीजेपी से पहले कभी जुड़े हुए थे. इनकी टक्कर में कौन बाजी मारेगा ये देखना काफी दिलचस्प था. चुनाव में कृपाल सिंह ने ज्यादा कुछ तो नहीं किया उन्हे महज 2811 वोट मिले हैं लेकिन माना जा रहा है कि उन्होंने यह वोट बीजेपी के ही काटे है.
कांग्रेस प्रत्याशी भवानी सिंह पठानिया ने जीता चुनाव
बता दें कि फतेहपुर विधानसभा सीट कांगड़ा जिले में आती है. इस सीट पर कांग्रेस ने 2012 से कब्जा जमा रखा है. 2021 में इस सीट पर उपचुनाव भी हुए और तब भी कांग्रेस ने ही जीत दर्ज की इस सीट पर कांग्रेस ने भवानी सिंह पठानिया को उम्मीदवार बनाया. भवानी सिंह ने 2021 उपचुनाव में जीत दर्ज की थी। इससे पहले 2017 में भवानी सिंह के पिता सुजान सिंह पठानिया इस सीट पर जीते थे और उनके निधन के बाद ये सीट खाली हुई थी और उपचुनाव की नौबत आई. इसके साथ ही इस बार भी कांग्रेस के प्रत्याशी ने भवानी सिंह पठानिया यहां से चुनाव जीता है.
ये भी पढ़ें- Rampur Bypolls Result: कैसे ध्वस्त हुआ रामपुर में आजम खान का किला? इन 3 प्वाइंट्स में समझिए सियासी अंकगणित
बीजेपी ने राकेश सिंह पठानिया पर लगाया दांव
कांग्रेस ने जहां अपने विधायक भवानी सिंह पठानिया पर ही दांव लगाया. तो वहीं बीजेपी ने राकेश सिंह पठानिया को टिकट दिया. वो बीजेपी के सीनियर नेता है और नूरपूर सीट से विधायक थे. बीजेपी के उम्मीदवारों की लिस्ट जारी होने से पहले तक राकेश पठानिया प्रचार कर रहे थे कि वो यहीं से चुनाव लड़ेंगे और उनके प्रचार का स्लोगन था-न विधायक बदलेंगे, न सरकार बदलेंगे. लेकिन जब बीजेपी उम्मीदवारों की लिस्ट आई तो नूरपूर से किसी और को टिकट दे दिया गया और राकेश पठानिया को नूरपूर से फतेहपुर भेज दिया गया. अब फतेहपुर में वह एक तरह से माइग्रेटेड उम्मीदवार थे.
– भारत एक्सप्रेस
इस तरह की अन्य खबरें पढ़ने के लिए भारत एक्सप्रेस न्यूज़ ऐप डाउनलोड करें.