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‘सुपारी लेकर भारत की अर्थव्यवस्था पर हमले करने वाला हिंडनबर्ग बंद’, शहजाद बोले— क्या अब माफी मांगेंगे राहुल गांधी? अडानी मामले पर कांग्रेस घिरी

अमेरिकी कंपनी कंपनी ‘हिंडनबर्ग रिसर्च’ अब बंद होने जा रही है. भाजपा के प्रवक्ता शहजाद पूनावाला सहित कई जानकारों और नेताओं ने इस पर प्रतिक्रया दी है.

Hindenburg closure

सांकेतिक फोटो.

अमेरिका स्थित शॉर्ट-सेलिंग फर्म ‘हिंडनबर्ग रिसर्च’ अब बंद होने जा रही है. इस बात की घोषणा खुद इसके संस्थापक एन. एंडरसन ने की. हिंडनबर्ग रिसर्च लंबे समय से विवादों में रहा है, खासतौर पर भारत में अडानी समूह पर लगाए गए आरोपों के बाद. बंद होने की खबर आने के बाद से भारतीय राजनीतिक गलियारों में हलचल साफ तौर पर देखी जा सकती है. इस दौरान कई जानकारों ने अपनी प्रतिक्रियाएं भी साझा की हैं.

भाजपा प्रवक्ता शहजाद पूनावाला की प्रतिक्रिया

‘हिंडनबर्ग एक हिट जॉब था, जिसकी विश्वसनीयता नहीं थी’ भाजपा प्रवक्ता शहजाद पूनावाला ने हिंडनबर्ग रिसर्च के बंद होने पर तीखी प्रतिक्रिया दी. उन्होंने इसे भारत की अर्थव्यवस्था के खिलाफ साजिश करार दिया. पूनावाला ने कहा,

 “हिंडनबर्ग सुपारी लेकर देश की अर्थव्यवस्था के खिलाफ काम कर रहा था. उनकी कोई विश्वसनीयता नहीं थी और अब उन पर ताला लग चुका है. सुप्रीम कोर्ट ने भी इस मामले पर ध्यान दिया.”

उन्होंने कांग्रेस और राहुल गांधी पर निशाना साधते हुए कहा कि राहुल गांधी और उनकी पार्टी ने हिंडनबर्ग की रिपोर्ट को बिना सोचे-समझे समर्थन दिया. उन्होंने सवाल उठाया,

 “हिंडनबर्ग से रिपोर्ट आने के तुरंत बाद कांग्रेस संसद में हंगामा करती थी. क्या राहुल गांधी और कांग्रेस अब देश से माफी मांगेंगे?”

अमित मालवीय का बयान

‘ट्रंप प्रशासन और अमेरिकी जांच के कारण बंद हुआ हिंडनबर्ग’ भाजपा के वरिष्ठ नेता अमित मालवीय ने इस मामले पर एक्स (पूर्व में ट्विटर) पर लिखा,

“हिंडनबर्ग के बंद होने का फैसला आश्चर्यजनक नहीं है. अमेरिकी न्याय विभाग इसकी जांच कर रहा था. राहुल गांधी और कांग्रेस ने हिंडनबर्ग की रिपोर्ट को अपना आधार बनाकर संसद में व्यवधान डाला और भारत की अर्थव्यवस्था को नुकसान पहुंचाने की कोशिश की.”

उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि हिंडनबर्ग और उसके प्रायोजकों ने भारतीय शेयर बाजार को कमजोर करने की साजिश रची.

अभिजीत अय्यर-मित्रा का विश्लेषण

‘हिंडनबर्ग की पारदर्शिता पर सवाल’ विदेशी मामलों के विशेषज्ञ अभिजीत अय्यर-मित्रा ने कहा,

“हिंडनबर्ग की पारदर्शिता शुरू से ही संदिग्ध रही है. हमें यह नहीं पता कि उनके कर्मचारी कौन हैं या उनके फंडिंग स्रोत क्या हैं. कंपनी के बंद होने के पीछे अवैध गतिविधियों और राजनीतिक दबावों की भूमिका हो सकती है.”

उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि हिंडनबर्ग ने जानबूझकर अपने वित्तीय और संचालन से जुड़ी जानकारी को छुपाया.

वरिष्ठ अधिवक्ता महेश जेठमलानी का बयान

‘अडानी मामले में जांच के डर से बंद हुआ हिंडनबर्ग’ अधिवक्ता महेश जेठमलानी ने कहा कि हिंडनबर्ग पर जांच का डर था. उन्होंने कहा,

“अडानी के शेयरों में गिरावट लाकर भारत की अर्थव्यवस्था को नुकसान पहुंचाने में उनकी भूमिका की जांच की संभावना थी. संभवतः जॉर्ज सोरोस के माध्यम से इसे संचालित किया गया था.”

उन्होंने इसे ‘आर्थिक आतंकवाद’ करार देते हुए कहा,

 “यह स्पष्ट है कि भारत की आर्थिक स्थिरता को तोड़ने की यह एक सोची-समझी कोशिश थी.”

राजनीतिक गलियारों में बढ़ी हलचल

‘हिंडनबर्ग रिसर्च’ के बंद होने के फैसले ने अंतरराष्ट्रीय और भारतीय राजनीतिक गलियारों में हलचल मचा दी है. भारतीय नेताओं ने इसे विदेशी ताकतों द्वारा भारत की अर्थव्यवस्था के खिलाफ षड्यंत्र करार दिया है.

-भारत एक्सप्रेस



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