
Operation Sindoor: 22 अप्रैल को जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकवादी हमले में 26 लोगों की जान गई थी. इसके बाद भारत ने 7 मई से पाकिस्तान के खिलाफ ऑपरेशन सिंदूर शुरू किया. इस ऑपरेशन में भारत ने पाकिस्तानी आतंकियों और सैन्य ठिकानों पर भीषण हवाई हमले किए. हैरान करने वाली बात ये रही कि इन हमलों के दौरान पाकिस्तान का पूरा रडार सिस्टम लगातार 23 मिनट तक जाम रहा — यानी 1380 सेकंड की डिजिटल अंधकार.
अब सवाल है कि भारत ने पाकिस्तान का रडार सिस्टम इतने लंबे समय तक कैसे जाम कर दिया? आखिर रडार जैमिंग होता क्या है और यह कैसे काम करता है?
रडार कैसे काम करता है?
रडार का मतलब है Radio Detection and Ranging. यह एक ऐसी तकनीक है जो रेडियो तरंगों के ज़रिए किसी भी वस्तु की दूरी, दिशा, गति और स्थिति का पता लगाती है. रडार एक हाई-फ्रीक्वेंसी सिग्नल भेजता है, जो किसी वस्तु से टकराकर वापस आता है. उस लौटे सिग्नल के आधार पर रडार उस वस्तु की लोकेशन और स्पीड का पता लगाता है.
सैन्य उपयोग में, रडार का इस्तेमाल दुश्मन की मिसाइल, ड्रोन या लड़ाकू विमान का पता लगाने और उसे नष्ट करने के लिए किया जाता है.
रडार जैमिंग क्या होता है?
रडार जैमिंग एक इलेक्ट्रॉनिक युद्ध तकनीक है जिसमें दुश्मन के रडार को भ्रमित या बाधित किया जाता है. इसका उद्देश्य होता है कि दुश्मन का रडार न तो सही टारगेट देख पाए, न ही उस पर हमला कर पाए.
यह मुख्य रूप से दो तरीकों से किया जाता है:
नॉइज़ जैमिंग (Noise Jamming)
इसमें दुश्मन के रडार की फ्रीक्वेंसी पर अत्यधिक शक्तिशाली इलेक्ट्रोमैग्नेटिक सिग्नल भेजे जाते हैं, जिससे वास्तविक टारगेट की जानकारी ‘शोर’ में दब जाती है. इससे रडार भ्रमित हो जाता है और उसे फर्जी या अधूरी जानकारी मिलती है.
डिसेप्शन जैमिंग (Deception Jamming)
इसमें रडार को झूठे सिग्नल भेजे जाते हैं. ये सिग्नल हूबहू वैसा ही व्यवहार करते हैं जैसे कोई असली टारगेट हो. इससे रडार गलत टारगेट को ट्रैक करता है और असली टारगेट बच निकलता है.
हालांकि इस पूरे ऑपरेशन की रणनीति और तकनीकी जानकारी गोपनीय है, लेकिन कुछ जानकारियों और सामान्य सैन्य तकनीकों के आधार पर अनुमान लगाया जा सकता है कि भारत ने निम्नलिखित तरीकों का इस्तेमाल किया होगा
भारत ने कैसे किया पाकिस्तान के रडार सिस्टम को फेल?
1. राफेल और SPECTRA सिस्टम का उपयोग
फ्रांस से खरीदे गए राफेल लड़ाकू विमान अत्याधुनिक SPECTRA इलेक्ट्रॉनिक वारफेयर सिस्टम से लैस हैं. यह सिस्टम रडार, इन्फ्रारेड और लेज़र आधारित खतरों को पहचानकर उन्हें धोखा देने या निष्क्रिय करने की क्षमता रखता है.
SPECTRA एक तरह की “इलेक्ट्रॉनिक ढाल” है जो दुश्मन के डिफेंस सिस्टम को जैम और भ्रमित कर सकती है. यह SEAD (Suppression of Enemy Air Defenses) ऑपरेशन में उपयोगी होता है, जिसमें दुश्मन की एयर डिफेंस को पहले निष्क्रिय किया जाता है ताकि बाकी हमले सफल हो सकें.
2. ब्रह्मोस मिसाइल का लो-लेवल अटैक
ब्रह्मोस सुपरसोनिक मिसाइल, जो भारत और रूस की संयुक्त तकनीक है, बेहद कम ऊंचाई (10-15 मीटर) पर उड़ान भर सकती है. इसे Terrain-Hugging Capability कहते हैं. इससे यह मिसाइल दुश्मन के रडार की पकड़ में आए बिना हमला कर सकती है.
ब्रह्मोस की गति लगभग 2.8 मैक (करीब 960 मीटर/सेकंड) है, यानी यह 1 सेकंड में लगभग 1 किलोमीटर उड़ सकती है. इतनी तेज रफ्तार और कम ऊंचाई पर उड़ान इसे दुश्मन के एयर डिफेंस के लिए लगभग असंभव बना देती है.
3. DRFM जैमिंग: रडार को भेजे गए फर्जी सिग्नल
भारत के पास DRFM (Digital Radio Frequency Memory) जैमर हैं, जो दुश्मन के रडार सिग्नल को पकड़कर उन्हें डिजिटल रूप से संशोधित करते हैं और फिर रडार को धोखा देने के लिए वापस भेज देते हैं. इससे रडार असली और नकली टारगेट में फर्क नहीं कर पाता.
माना जा रहा है कि DRFM जैमर ने पाकिस्तान को फॉल्स टारगेट दिखाए, जिससे उसका एयर डिफेंस सिस्टम भ्रमित होकर गलत दिशा में मिसाइलें दागता रहा.
4. रडार बेस पर सीधा हमला (SEAD ऑपरेशन)
सैटेलाइट तस्वीरों से पता चला है कि पाकिस्तान के सुक्कुर एयरबेस में एक रडार इंस्टॉलेशन पूरी तरह नष्ट कर दिया गया. इसका मतलब है कि भारत ने सिर्फ इलेक्ट्रॉनिक नहीं, बल्कि फिजिकल रूप से भी रडार को निष्क्रिय किया, ताकि ब्रह्मोस और अन्य मिसाइलें बिना रुकावट के टारगेट तक पहुंच सकें.
23 मिनट की डिजिटल ब्लैकआउट
भारत ने 7, 9 और 10 मई को लगातार हवाई हमले किए. इस दौरान पाकिस्तानी एयर डिफेंस लगातार 23 मिनट तक फेल रहा. इस “डिजिटल डार्कनेस” का मतलब था कि पाकिस्तान को न तो टारगेट की सटीक जानकारी मिल रही थी और न ही समय पर जवाब देने का मौका.
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-भारत एक्सप्रेस
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