(प्रतीकात्मक तस्वीर)
1999 में इंडियन एयरलाइंस के IC-814 विमान को हाईजैक किए जाने की घटना पर आधारित Netflix पर रिलीज वेब सीरीज (IC 814 – The Kandahar Hijack) विवादों में फंस गई है. इस पर तथ्यों को छिपाने और आतंकवादियों के हिंदू नाम रखने का आरोप लगा है. इस बीच हाईजैक किए गए विमान की यात्री रहीं पूजा कटारिया ने इस दुर्भाग्यपूर्ण घटना को याद किया है.
कटारिया ने समाचार एजेंसी ANI से बातचीत में इस विमान के अपहरण की भयावहता को याद किया, जिसमें उन्होंने बताया कि कैसे यात्रियों को घबराहट के दौरे पड़े, उन्हें खाना नहीं मिला और उन्हें इस्लाम धर्म अपनाने के लिए कहा गया था.
हनीमून पर गई थीं नेपाल
घटना को याद करते हुए उन्होंने कहा, ‘हम हनीमून पर नेपाल गए थे और उसी दिन वापस आ रहे थे, लेकिन 8 दिन बाद घर पहुंचे. विमान के अंदर हमें नहीं पता था कि इतना बड़ा कांड हो जाएगा. अंदर तो उन्होंने (आतंकवादियों) 2 दिन तक सिर नीचे कराए रखा तो कुछ भी नहीं पता चला कि हुआ क्या. तब हाईजैक का नाम भी नहीं सुना था.’
वे कहती हैं, ‘विमान को हाईजैक करने वाले 5 लोग थे. जैसे से फ्लाइट उड़ी आधे घंटे बाद उन्होंने उठकर बोल दिया कि आपका प्लेन हाईजैक हो गया है, अपना सिर नीचे कर लो. उसके बाद से जो सीरीज में दिखाया है, वैसा ही सब कुछ है.’
खाने को कुछ नहीं मिला
इंडियन एयरलाइंस की फ्लाइट IC 814 में सवार यात्रियों में से एक पूजा कटारिया ने कहा, ‘हम सब डरे हुए थे, सबकी हालत बुरी थी. पता ही नहीं चल रहा था कि हो क्या रहा है. 8 दिन तक हमें ये भी नहीं पता था कि प्लेन कहां पर खड़ा है. भारत आकर पता चला कि हम 8 दिन तक कांधार में थे. अमृतसर में क्या हुआ, हमें कुछ नहीं पता. जो कैप्टन बोलते थे कि अब हम यहां पर लैंड कर रहे हैं, थोड़ा इम्पैक्ट पड़ेगा संभालना. बस यही सुनते थे. इस दौरान कुछ भी नहीं खाया था, बस एक सेब छोटा सा मिला था बस. इतने दिन में कुछ नहीं खाया.’
#WATCH | Chandigarh | Following Netflix’s ‘IC 814’ controversy, Pooja Kataria, a survivor of the IC-814 Kandahar hijacking says, “There were 5 terrorists on board the aircraft. Half an hour after the flight took off the terrorists declared that the flight was hijacked. We were… pic.twitter.com/r2EXgHm2bA
— ANI (@ANI) September 4, 2024
इस्लाम धर्म अपनाने को कहते थे
पूजा कहती हैं, ‘शुरू के 2 दिन बहुत तनाव भरे थे. उसके बाद अपहरणकर्ताओं ने एक आतंकवादी जिसका नाम ‘बर्गर’ था, वो थोड़ा सा फ्रेंडली था. लोगों को पैनिक अटैक हो रहे थे, तो उसने लोगों का थोड़ा साथ दिया. वो गाने भी गाता था, अंताक्षरी भी खिलवाता था, उससे थोड़ा बेटर रहा. हमें तो उन्होंने (आतंकवादियों) बहुत कहा कि इस्लाम धर्म अपना लो. इस्लाम धर्म बहुत अच्छा है. उनमें से एक जिसे ‘डॉक्टर’ बोलते थे वह बहुत भाषण देता था कि इस्लाम धर्म को अपना लो.’
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सीरीज पर पता नहीं क्यों विवाद हुआ
नेटफ्लिक्स की वेब सीरीज को लेकर कटारिया ने कहा, ‘पता नहीं क्यों इसे लेकर विवाद हो रहा है. ये इंटरटेनमेंट है, उसके हिसाब से देखना चाहिए. भोला और शंकर उनके नाम थे… दोनों ने रखे हुए थे और वो बोलते थे, ये सच है. ऐसा कुछ नहीं है कि इन्होंने (वेब सीरीज के निर्माताओं) अपनी मर्जी से बनाया है. वो एक-दूसरे को भोला और शंकर ही बोलते थे. ये उनके कोड नेम होंगे, लेकिन भोला शंकर ही थे. ये तो विवाद में आ गया कि इन्होंने बनाया नाम, लेकिन नाम यही थे.’
वे आगे कहती हैं, ‘वेब सीरीज देखी तो ऐसा लग रहा था कि तो सिचुएशन थी, वैसा ही दिखाया है. कुछ अलग नहीं है, कुछ एक्स्ट्रा नहीं है, कुछ कम नहीं है. सब कुछ वैसे ही है.’
सरकार से चूक हुई
सरकार की भूमिका से जुड़े एक सवाल पर उन्होंने कहा, ‘सरकार अमृतसर में थोड़ा चूक गई. कमांडो अटैक होना चाहिए था. उस समय कितने लोगों की जान जाती, ये नहीं पता, लेकिन होना चाहिए था. तो ये मसूद (अजहर) को नहीं छोड़ा जाता. ये तो मानेंगे कि सरकार की असफलता थी, ये बात सब मानते हैं.’
वे कहती हैं, ‘छूटने के बाद हमें तो खुशी थी कि हम सुरक्षित आ गए, लेकिन ये था कि उस वक्त ही कर देते तो इंडिया से बाहर ही नहीं जाते, अमृतसर से बाहर ही नहीं जाते, इनको अटैक कर देना चाहिए था.’
क्या हुआ था
मालूम हो कि 24 दिसंबर 1999 को इंडियन एयरलाइंस की फ्लाइट IC 814 को 5 आतंकवादियों ने हाईजैक कर लिया था. 191 यात्रियों को लेकर यह विमान नेपाल के काठमांडू से दिल्ली के लिए उड़ान भर रहा था. उड़ान भरने के तुरंत बाद यात्रियों के रूप में मौजूद पांच अपहरणकर्ताओं ने विमान पर कब्जा कर लिया. बाद में इसे अफगानिस्तान के कंधार ले जाने से पहले अमृतसर, लाहौर और दुबई में कई जगहों पर उतारा गया.
तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के नेतृत्व वाली सरकार को विमान के बंधकों की रिहाई सुनिश्चित करने के लिए तीन खूंखार आतंकवादियों – मसूद अजहर, अहमद उमर सईद शेख और मुश्ताक अहमद जरगर – को भारतीय जेलों से रिहा करने के लिए मजबूर होना पड़ा था. रिपोर्टों के अनुसार, तालिबान अधिकारियों ने अपहरणकर्ताओं और रिहा किए गए आतंकवादियों को पाकिस्तान पहुंचने में मदद की थी.
-भारत एक्सप्रेस