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Gyanvapi Case: “मस्जिद पर ऊंगली उठी तो तोड़ देंगे, आंख फोड़ देंगे…” ज्ञानवापी में ASI सर्वे के बीच मेरठ के काजी का भड़काऊ बयान

Gyanvapi Survey: मस्जिद में तकरीर देते हुए मेरठ के शहर काजी शफीकुर्रहमान कासमी ने कहा कि, मुसलमानों को जिंदादिली के साथ रहना है. अगर कोई बुजदिल है तो वह मुसलमान नहीं है.

मेरठ के शहर काजी शफीकुर्रहमान कासमी (वीडियो ग्रैब)

Gyanvapi Survey: ज्ञानवापी में जबसे कोर्ट ने भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ASI) सर्वे को लेकर हरी झंडी दिखाई है, तभी से बयानबाजी का सिलसिला जारी है. अब मुस्लिम पक्ष की ओर से विवादित बयानबाजी की गई है. एक ओर सर्वे के बीच हिंदू पक्ष ने ज्ञानवापी मस्जिद के अंदर मंदिर होने के सबूत मिलने का दावा किया है और मंदिर के प्रतीक चिह्न मिलने की बात कही है. वहीं मेरठ के काजी का विवादित बयान सामने आया है और उन्होंने मस्जिद के ऊपर उठने वाली उंगली को तोड़ देने व आंख फोड़ देने का बयान दिया है जो कि तेजी से सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है.

बता दें कि उत्तर प्रदेश के वाराणसी में लगातार तीसरे दिन एएसआई की टीम का सर्वे कार्य चालू है. वहीं मुस्लिम पक्ष की ओर से बयानबाजी सामने आ रही है. मेरठ के शहर काजी शफीकउर्रहमान कासमी ने ज्ञानवापी सर्वे को लेकर मस्जिद के भीतर ही विवादित और भड़काऊ भाषण दिया है. सूत्रों के मुताबिक, उन्होंने कहा, “मुसलमानों तुम्हारी गैरत क्या जवाब दे गई है? अगर इस मस्जिद की तरफ उंगली उठी तो उंगली तोड़ देंगे. कोई आंख उठाएगा तो आंख फोड़ देंगे.”

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शहर काजी का ये बयान तेजी से सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है और हिंदू पक्ष से लेकर कई राजनीतिक दलों से जुड़े लोग भी इसकी आलोचना कर रहे हैं. वहीं खबर सामने आई है कि मस्जिद में तकरीर देते हुए मेरठ के शहर काजी शफीकुर्रहमान कासमी ने वहां उपस्थित लोगों से कहा कि मुसलमानों को जिंदादिली के साथ रहना है. इसी के साथ उन्होंने ये भी कहा है कि अगर बुजदिल है तो मुसलमान नहीं है….उन्होंने इशारा करते हुए ये भी कहा, “समझ गए न मेरी बात.” उन्होंने आगे ये भी कहा है कि जामा मस्जिद को भी मंदिर बताया जा रहा है. ऐ मुसलमानों, तुम्हारी गैरत गवारा करेगी इस बात को?

हिंदू पक्ष ने ज्ञानवापी को लेकर किया बड़ा दावा

दूसरी ओर ज्ञानवापी परिसर को लेकर हिंदू पक्ष ने बड़ा दावा किया है. हिंदू पक्ष के वकील सुभाष नंदन चतुर्वेदी ने सर्वे के तीसरे दिन ज्ञानवापी परिसर में हिंदू मंदिर के प्रतीक चिह्न बिखड़े पड़े होने की बात कही है. उनका ये भी बयान सामने आया है कि करीब 350 वर्षों से एक भ्रम की स्थिति इसको लेकर पैदा करने की कोशिश हो रही है. इसी के साथ उन्होंने भरोसा जताया है कि एएसआई सर्वे से इसकी असलियत सामने आएगी.

-भारत एक्सप्रेस

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