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दिल्ली हाईकोर्ट का महत्वपूर्ण निर्णय: पति की मृत्यु के बाद पत्नी का उसकी संपत्ति पर पूरा अधिकार नहीं होता

जनवरी 1989 में दिल्ली के रहने वाले एक शख्स ने वसीयत में अपनी सारी संपत्ति का अधिकार पत्नी को दे दिया था. वसीयत में यह भी लिखा गया था कि पत्नी की मौत के बाद संपत्ति किसकी होगी. वसीयत में यह भी लिखा गया था कि उनकी संपत्ति से पत्नी किराया वसूल सकती है, और इन संपत्तियों का इस्तेमाल करने का पूरा अधिकार होगा, लेकिन वो संपत्ति नहीं बेच सकती है.

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दिल्ली हाईकोर्ट

दिल्ली हाईकोर्ट ने एक बड़ा फैसला देते हुए कहा है कि पति की मौत के बाद पत्नी को पूरी संपत्ति नही मिल सकती है. दिल्ली हाईकोर्ट ने कहा है कि पति की मौत के बाद पत्नी का उसकी संपत्ति पर पूरा हक नही होता है. हाईकोर्ट ने कहा कि पति की मौत के बाद हिंदू महिला उसकी संपत्ति बक लाभ तो उठा सकती है, लेकिन उस पर उसका पूरी तरह से अधिकार नही होता. जस्टिस प्रतिभा एम सिंह ने कहा कि एक हिंदू महिला, जिसकी अपनी कोई कमाई नहीं है, उसका मृत पति की संपत्ति पर जीवनभर आनंद तो ले सकती है, लेकिन उसकी संपत्ति पर उसका पूरी अधिकार कभी नही होता.

संपत्ति विवाद से जुड़ा मामला

दरअसल ये पूरा मामला संपत्ति विवाद से जुड़ा था. संपत्ति के बंटवारे को लेकर भाई और बहनों ने मुकदमा दायर कर रखा था. ट्रायल कोर्ट ने तीन भाई-बहनों और पोती के पक्ष में फैसला सुनाया था. कोर्ट ने अपने फैसले में कहा था कि वसीयत के आधार पर, मौत से पहले उनके पिता ने सारी संपत्ति पत्नी के नाम कर दी थी, इसलिए वही इसकी मालिक थी. चूंकि महिला की अपनी कोई वसीयत नहीं थी, इसलिए पिता की वसीयत के आधार पर ही संपत्ति का ट्रांसफर होगा.

जनवरी 1989 में दिल्ली के रहने वाले एक शख्स ने वसीयत में अपनी सारी संपत्ति का अधिकार पत्नी को दे दिया था. वसीयत में यह भी लिखा गया था कि पत्नी की मौत के बाद संपत्ति किसकी होगी. वसीयत में यह भी लिखा गया था कि उनकी संपत्ति से पत्नी किराया वसूल सकती है, और इन संपत्तियों का इस्तेमाल करने का पूरा अधिकार होगा, लेकिन वो संपत्ति नहीं बेच सकती है.

1956 से हिंदू उत्तराधिकार कानून

कानून के जानकार प्रमोद चौधरी की माने तो हिंदुओ में संपत्ति के उत्तराधिकार को लेकर 1956 से हिंदू उत्तराधिकार कानून है. इस कानून के मुताबिक, पत्नी का अपने पति या ससुराल की पैतृक संपत्ति पर कोई अधिकार नहीं होगा. पति की मौत के बाद पत्नी को उतना ही हिस्सा मिलता है, जितना उसके पति का होता है.लेकिन इस पर भी उसका पूरी तरह जे अधिकार नही होता है.

वहीं सुप्रीम कोर्ट के वकील असगर खान की माने तो किसी व्यक्ति ने वसीयत बना रखी है और नॉमिनी में पत्नी का नाम लिखा है, तो उसकी संपत्ति पत्नी को मिल जाती है. लेकिन बगैर वसीयत लिखे ही उसकी मौत हो जाती है तो फिर पति के घरवालों और पत्नी में बराबर बंटती है.


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-भारत एक्सप्रेस



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