फाइल फोटो
Gyanvapi ASI Survey: वाराणसी में ज्ञानवापी मस्जिद में ASI का सर्वे लगातार जारी है. कोर्ट के आदेश के बाद ही सर्वे शुरू हो गया था और एएसआई की 40 सदस्यीय टीम सर्वे कार्य कर रही है. छठे दिन तक सर्वे का अहम चरण पूरा होने की बात सामने आ रही है तो वहीं गुरुवार को सातवें दिन टीम फिर से सर्वे के कार्य में जुटी हुई है. मीडिया सूत्रों की मानें तो तीन दिन कर ज्ञानवापी में निर्माण शैली और प्रयुक्त सामग्री की बारीकी से टीम ने जांच-पड़ताल की और तीन गुंबदों और उसके ऊपरी हिस्सों कीं नाप-जोख के साथ ही दक्षिणी तहखाने पर भी टीम का फोकस रहा. तो वहीं अब जानकारी सामने आ रही है कि, ग्राउंड पेनेट्रेटिंग रडार (GPR) से नींव के इतिहास की जानकारी टीम द्वारा की जाएगी. वहीं ये भी खबर सामने आई है कि सर्वे के दौरान कई तरह की मशीनों के जरिए तथ्यों को जुटाया जा रहा है.
तो वहीं सातवें दिन के सर्वे के लिए गुरुवार सुबह 8 बजे ही ASI (भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण) की ज्ञानवापी मस्जिद परिसर में पहुंच चुकी है. तो वहीं बुधवार को टीम सुबह से लेकर शाम पांच बजे तक सर्वे कार्य में जुटी रही. तो बीच में लंच ब्रेक हुआ और नमाज अदा करने की वजह से करीब दो घंटे तक सर्वे का कार्य रुका रहा तो वहीं बुधवार को दोपहर तक पहली पाली में ज्ञानवापी मस्जिद के गुंबदों और ऊपरी हिस्से के सर्वे का काम करीब-करीब पूरा करने के बाद विशेषज्ञों ने दूसरे हिस्सों की ओर रुख किया. सूत्रों की मानें तो टीम ने मस्जिद परिसर का सर्वे कर जो भी तथ्य एकत्र किया है उसे ASI के नई दिल्ली स्थित मुख्यालय को भेज दिया गया है. माना जा रहा है कि अगर वहां पहुंचाए गए तथ्यों का विश्लेषण करने के बाद किसी तरह की और जानकारी मांगी जाएगी तो मस्जिद परिसर में दोबारा सर्वे किया जा सकता है.
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खंगाले गए तहखाने
बता दें कि बुधवार को लंच ब्रेक के बाद दूसरी पाली में एक टीम जहां ज्ञानवापी के सबसे अहम हिस्से यानी नंदी के सामने वाले दक्षिणी यानी व्यास तहखाने की एक-एक जगह का सर्वे किया और कोने-कोने को टटोला और मशीनों के जरिए नींव और उससे सटे क्षेत्रों में संरचना और अवशेषों के बारे में जानकारी जुटाती रही. तो वहीं दूसरी टीम मस्जिद की पश्चिमी दीवार और वहां पड़े मलबे के अवशेषों की स्कैनिंग और थ्रीडी मैपिंग करती रही. इस दौरान टीम ने अहम साक्ष्य जुचाए और मिट्टी में मौजूद धातुओं के पैटर्न की जानकारी ली. माना जा रहा है कि, यहां की मिट्टी के साथ ही पत्थर और अन्य भग्नावशेष को भी लैब में जांच के भेजा जा सकता है.
अभी इंतजार है IIT कानपुर की टीम का
तो वहीं ज्ञानवापी मस्जिद की नींव के इतिहास पता लगाने के लिए ग्राउंड पेनेट्रेटिंग रडार (GPR) से सर्वे किया जाना है. इसके लिए आईआईटी कानपुर से सहयोग लिया गया है. जानकारी सामने आ रही है कि आईआईटी कानपुर की आठ सदस्यीय टीम सर्वे में शामिल होगी. दरअसल वैज्ञानिकों की टीम के लीडर अर्थ साइंस विभाग के वरिष्ठ वैज्ञानिक प्रो. जावेद मलिक अपनी विदेश की यात्रा पर हैं. इसी वजह से टीम कानपुर से वाराणसी नही आ पा रही है. हालांकि, ASI का सहयोग करने के लिए कानपुर से तकनीकी स्टाफ ज्ञानवापी पहुंच चुका है. तो वहीं अभी आईआईटी टीम के न पहुंच पाने की स्थिति में फिलहाल ASI की टीम जो मशीनें उपलब्ध हैं, उनसे ही सर्वे जारी रखेगी.
विवाद से बचने को सख्त हुए मंडलायुक्त
बता दें कि लगातार ज्ञानवापी परिसर में हो रहे सर्वे की जानकारी मीडिया के जरिए बाहर आ रही है. ऐसे में अब कोर्ट और जिला प्रशासन ने सख्ती शुरू कर दी है. हिंदू और मुस्लिम पक्ष एक-दूसरे पर साक्ष्यों के साथ छेड़छाड़ करने और गोपनीयता को भंग करने का आरोप भी लगा रहे हैं. यहां तक कि इस बात को लेकर मुस्लिम पक्ष कोर्ट भी पहुंच गया है तो वहीं इस पूरे मामले को देखते हुए वाराणसी के मंडलायुक्त कौशल राज शर्मा और पुलिस कमिश्नर अशोक मुथा जैन ने दोनों पक्षों के साथ एक बैठक की है और किसी भी तरह के विवाद से बचने के लिए बड़ा कदम उठाया है. अब दोनों पक्षों में से कोई भी सर्वे में जुटी टीम से बात नहीं कर सकेगा. अगर किसी को अपनी आपत्ति बतानी होगी तो वह ज्ञानवापी परिसर के निकास और प्रवेश द्वार पर ही बता सकेंगे. तो वहीं टीम किसी भी तरह की कोई भी जानकारी मीडिया से साझा नहीं करेगी और न ही हिंदू या मुस्लिम पक्ष को कोई जानकारी देगी. वहीं मंडलायुक्त कौशल राज शर्मा ने लोगों से अपील की है कि किसी भी तरह की अफवाह में न फंसें. तो वहीं पुलिस कमिश्नर अशोक मुथा जैन ने कहा है कि सोशल मीडिया से लेकर कहीं भी अगर किसी भी धर्म के लोग अफवाह फैलाते हुए पकड़े गए तो सख्त कार्रवाई की जाएगी.
-भारत एक्सप्रेस
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