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NEET-UG परीक्षा मामले में सुप्रीम कोर्ट ने दिया NTA को आदेश, इस तारीख तक सार्वजनिक करे सभी कैंडिडेट्स के मार्क्स

परीक्षा मामले में सुप्रीम कोर्ट NTA को आदेश दिया है कि सभी कैंडिडेट्स का मार्क्स शनिवार तक सार्वजनिक करे। इस मामले में अगली सुनवाई 22 जुलाई को होगी.

(प्रतीकात्मक तस्वीर)

NEET UG Exam Update: NEET-UG परीक्षा मामले में सुप्रीम कोर्ट NTA को आदेश दिया है कि सभी कैंडिडेट्स का मार्क्स शनिवार तक सार्वजनिक करे। कोर्ट ने कहा कि कैंडिडेट्स का नाम मास्क रखा जाएगा। प्रत्येक परिक्षा सेंटर का रिजल्ट (केंद्रवार ) रिज़ल्ट घोषित करने को कहा है। कोर्ट 22 जुलाई को इस मामले में अगली सुनवाई करेगा। मामले की सुनवाई के दौरान सॉलिसिटर जनरल ने कोर्ट को बताया कि ‘एक सॉल्वर गैंग का मेंबर हजारीबाग में था और उसको क्वेश्चन व्हाट्सअप से भेजा गया।

सॉलिसिटर जनरल ने कोर्ट को बताया कि ‘एक सॉल्वर गैंग का मेंबर हजारीबाग में था और उसको क्वेश्चन व्हाट्सअप से पटना भेजा गया। केंद्र और NTA की ओर से पेश सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने सुप्रीम कोर्ट में कहा कि सीबीआई ने इस मामले में स्टेट्स रिपोर्ट दाखिल की है। सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़ ने कहा हां हमनें दूसरी स्टेट्स रिपोर्ट भी पढ़ी है। याचिकाकर्ताओं की ओर से वकील हुड्डा ने कहा कि स्टेट्स रिपोर्ट हमें नही दी गई। सीजेआई ने कहा कि इस मामले में जांच जारी हैं और सीजेआई ने जो हमें बताया है अगर वो सार्वजनिक होता है तो इसमे शामिल लोग जांच को लेकर सावधान हो जायेंगे।

सीजेआई ने पूछा कितने छात्र कर रहे दुबारा परीक्षा की मांग

याचिकाकर्ता के वकील ने कहा कि 56 हजार सीटें है। सीजेआई ने पूछा कि क्या आपके हिसाब से कुछ लोग एक लाख आठ हजार के केटेगरी में आ गए है? सीजेआई ने पूछा कि एक लाख आठ हजार में कितने छात्र है जो दोबारा परीक्षा की मांग कर रहे है। कोर्ट ने पूछा कि जो 108 अभ्यर्थी सुप्रीम कोर्ट आए है उनमें से कितने 1 लाख 8 हजार में से है?। सीजेआई ने कहा कि अगर 1 लाख 8 हजार लोगों को एडमिशन मिलता है बाकी 22 लाख लोगो को दाखिला नहीं मिलता तो इसका मतलब ये तो नही की पूरी परीक्षा को रद्द कर दिया जाए? सीजेआई ने याचिकाकर्ताओ से कहा कि पहले फैक्ट्स पर बात करें। 1 लाख 8 हजार में से कितने याचिकाकर्ता है? सीजेआई ने पूछा इस मामले में सबसे कम अंक पाने वाले छात्र जो सुप्रीम कोर्ट में याचिकाकर्ता है उनका अंक कितना है? सीजेआई ने याचिकाकर्ता को कहा कि आप हमें इस बात के लिए संतुष्ट करिए की पेपर लीक सुनियोजित और बड़े पैमाने पर हुआ।

सरकारी कॉलेज में कितनी सीटें हैं: सीजेआई

परीक्षा रद्द होनी चाहिए। सीजेआई ने पूछा सरकारी कॉलेजों में कितनी सीट है? सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि 131 छात्र दोबारा परीक्षा चाहते है जबकि 254 छात्र दोबारा परीक्षा के खिलाफ है। 131 छात्र ऐसे हैं जो 1 लाख 8 हजार के अंदर नहीं आते हैं, जो दोबारा परीक्षा चाहते हैं और 254 छात्र ऐसे हैं जो 1 लाख 8 हजार के अंदर आते हैं और जो दोबारा परीक्षा का विरोध कर रहे हैं। वही याचिकाकर्ता ने कहा कि IIT मद्रास का एक निदेशक NTA के गवर्निंग बॉडी मे है। याचिकाकर्ताओं की ओर से कहा गया कि अगर 23 लाख लोगों के लिए डेटा एनालिटिक्स करना है तो किस स्टेज पर किया जाएगा? अगर 10 हजार या 20 हजार छात्रों को इसमें घुसा दिए गए हैं तो आप कोई गड़बड़ी नहीं पकड़ सकते। सही प्रक्रिया तो यही थी कि इस प्रक्रिया को 1 लाख 8 हजार लोगों पर लागू किया जाता।

IIT मद्रास की रिपोर्ट पर भरोसा नहीं कर सकते। याचिकाकर्ता ने कहा की IIT मद्रास की रिपोर्ट पर भरोसा नहीं कर सकते। सीजेआई ने पूछा कि क्या IIT मद्रास में काम करने वाला कोई NTA का पार्ट है। सॉलिसिटर जनरल ने कहा की वर्तमान में काम करने वाला कोई नही है। सीजेआई ने पूछा कि NTA की भूमिका IIT-JEE में क्या भूमिका है। सॉलिसिटर जनरल ने बताया कि कोई भूमिका नहीं है। IIT JEE का पूर्व डायरेक्टर NTA का सदस्य है। सीजेआई ने जब आप कहते हैं कि IIT का पूर्व डायरेक्टर NTA की गवर्निंग बॉडी के पदेन सदस्य हैं। सॉलिसिटर जनरल ने कहा परीक्षा के संचालन में गवर्निंग बॉडी की कोई भूमिका नहीं होती। सीजेआई ने NTA के वकील सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता से राजस्थान हाईकोर्ट के उस आदेश के बारे में पूछा जिसका हवाला देते हुए NTA ने नए आवेदनों के लिए नई विंडो खोलने का आदेश दिया था।

सॉलिसिटर जनरल ने कहा कि हमें लगभग 15 हजार नए आवेदन प्राप्त हुए थे। इन नए 15,094 छात्रों में से, एक लाख आठ हजार मेरिट वाले छत्रो की संख्या में प्रवेश पाने वाले केवल 44 थे। सीजेआई ने NTA से पूछा कि दो दिन के लिए फिर से फॉर्म भरने के लिए खोले गए नए विंडो के लिए समय क्यों दिया गया। सॉलिसिटर जनरल ने कहा कि तीन हजार फिजिकल और 900 मेल के जरिए अर्जी मिली जिसमें लोगों ने कहा था की तकनीकी वजह से वो फॉर्म नही भर पाए इसलिए य़ह विंडो खोला गया। इन दो दिनों मे 15 हजार 85 लोगो ने फार्म भरा। इसमें केवल 44 लोग ही एक लाख 8 हजार लोगों में आ पाएं है। NTA ने बताया कि इन नए रजिस्ट्रेशन में से लगभग 12 हजार छात्र परीक्षा में असफल रहे।इन नए रजिस्ट्रेशन का उद्देश्य किसी व्यक्ति विशेष की मदद करना नहीं था बल्कि यह छात्रों के हित में उठाया गया कदम था।

सीजेआई ने याचिकाकर्ता से क्या कहा?

सीजेआई ने याचिकाकर्ता से कहा कि आपको बताना है कि पेपर लिक हुआ या नहीं, आप हमें कुछ ठोस आधार दे।याचिकाकर्ताओं की ओर से कहा गया 550 से 720 अंक पाने वाले छात्रों की संख्या में 77 हजार की वृद्धि हुई है। सीजेआई ने पूछा कि 2022 में कितने छात्र परीक्षा में शामिल हुए? याचिकाकर्ताओं ने कहा कि 17 लाख 54 से ज्यादा छात्रों ने परीक्षा में शामिल हुए। 2023 में 20 लाख से ज्यादा छात्र परीक्षा में शामिल हुए जबकि 2024 में 23 लाख 33 हजार छात्र शामिल हुए। सीजेआई ने कहा कि देखने से लगता है कि 2022-24 के बीच उम्मीदवारों की संख्या में करीब 33% की वृद्धि हुई।

याचिकाकर्ताओं ने य़ह दावा किया की NTA का य़ह बयान गलत जिसमें उन्होंने पिछले साल की तुलना मे पाठ्यक्रम कम था। सॉलिसिटर जनरल ने कहा 700 से 720 अंक पाने वाले छात्रों में पिछले साल भी बढ़ोतरी हुई थी। याचिकाकर्ताओं की ओर से कहा गया कि 550 से 720 अंक हासिल करने वाले उम्मीदवारों की संख्या पांच गुना है। सीजेआई ने कहा कि क्या यह लीक का संकेत हो सकता है? याचिकाकर्ताओं की ओर से कहा गया कि यह खतरे की घंटी है। याचिकाकर्ता का दावा प्राइवेट कोरियर कंपनी के जरिए पेपर शहरों में भेजे गए। 571 शहरों के SBI और केनरा बैंक में भेजा गया। कोरियर के भेजने और बैंक तक पहुंचने में नौ दिनों का समय लगा। सॉलिसिटर जनरल ने कहा कि प्रश्न पत्र को प्रिंटिंग प्रेस से सेंटर तक पहुंचाने में सात स्तर की सिक्योरिटी थी। जिसको जीपीएस के जरिए भी ट्रैक किया गया था।

परीक्षा में दो प्रश्न पत्र थे

इस परीक्षा में दो प्रश्न पत्र थे इसलिए दो प्रिंटिंग प्रेस के द्वारा छपाई कराई गई। सॉलिसिटर जनरल ने बताया कि सीबीआई ने प्रिंटर से लेकर सेंटर तक की पूरी चेन की जांच की है। जिसमें सीलिंग कैसे हुई? GPS ट्रैकिंग कैसे हुई? डिजिटल लॉकर कैसे हैं? इसकी जानकारी दे दी गई है। सीजेआई ने कहा अगर किसी ने पेपर लीक किया भी तो उसका मक़सद सिर्फ नीट परीक्षाओं को बदनाम करने का नहीं बल्कि पैसे कमाना जो स्पष्ट है। बड़े पैमाने पर पेपर लीक के लिए उस स्तर पर संपर्कों की भी आवश्यकता होती है, ताकि आप विभिन्न शहरों आदि में ऐसे सभी प्रमुख संपर्कों से जुड़ सकें। सीजेआई ने याचिकाकर्ता से सवाल करते हुए कहा पैसे के लिए पेपर लीक करने वाला अन्य लोगों को पेपर क्यों देगा? सीजेआई ने कहा NEET परीक्षा को राष्ट्रीय स्तर पर तमाशा बनाने का कोई विचार नहीं रहा होगा क्योंकि ऐसा लोग पैसे के लिए ऐसा कर रहे थे। इसलिए जो कोई भी इससे पैसे कमा रहा होगा वह इसे बड़े पैमाने पर प्रसारित नहीं करेगा।

दरअसल याचिकाकर्ता की ओर से हुड्डा ने कहा था कि परीक्षा से एक दिन पहले टेलीग्राम चैनल पर प्रश्नपत्र प्रसारित किया गया था जो एक व्यवस्थित विफलता है और परीक्षा की पवित्रता से समझौता किया गया। सीजेआई ने पूछा कि इसे टेलीग्राम चैनल पर कब डाला गया? NTA ने कहा यह टेंपर किया वीडियो था जबकि वास्तविक समय 5 मई को शाम पांच बजकर चालीस मिनट का है। सॉलिसिटर जनरल ने कहा कि यदि कोई बदलाव किया गया है तो टेलीग्राम पर भी आप उस बदलाव को देख सकते हैं और इसी तरह हमने भी इसे पाया। सीजेआई ने पूछा NEET परीक्षा फॉर्म भरने के लिए कितना शुल्क है? NTA ने बताया कि 1700 रुपए जरनल कैटेगरी के लिए और OBC के लिए 1600 रुपए का फार्म था। टोटल 400 करोड़ रूपए फॉर्म के जरिए मिले और 300 करोड़ रुपए परीक्षा कराने मे खर्च हुआ। सीजेआई ने सॉलिसिटर जनरल से पूछा कि आपने NEET के पेपर भेजने के लिए एक निजी कूरियर कंपनी को नियुक्त किया है? सीजेआई ने सॉलिसिटर जनरल के साथ बातचीत करते हुए कहा कि उनके हिसाब से छात्रों को पेपर रटाया गया था। जिसके मतलब य़ह है की पेपर परीक्षा के दिन पांच मई की सुबह नही बल्कि चार मई की रात में हुआ क्योंकि पेपर सॉल्व कर लिया गया था ताकि पेपर रटाया जा सके।

दूसरा य़ह भी हो सकता है की पेपर जब बैंक से निकला हो तब हुआ हो लेकिन दो घंटे में पेपर सॉल्व करना और रटाना संभव नहीं होगा। सॉलिसिटर जनरल ने कहा की कोई पेपर लीक नहीं हुआ,अभी तक कि जांच के मुताबिक रास्ते मे कही भी टेंपरिंग नही हुई। सॉलिसिटर जनरल ने कहा कि घटना सुबह आठ बजे से और 9.20 बजे के बीच घटना हुई। इसमें व्यक्ति अंदर गया और पेपर के फोटो लिया। सीजेआई ने कहा कि क्या य़ह संभव है की इतने क्रम समय मे 180 सवालों के जवाब सॉल्व हो जाए क्या 45 मिनट में क्या सभी सवाल सॉल्व कर लिए गए। सॉलिसिटर जनरल ने कहा यह सीबीआई की जांच का विषय है लेकिन फिर भी कोर्ट की जानकारी के लिए बताना जरूरी है की जांच के मुताबिक सात सॉल्वर थे। सॉलिसिटर जनरल ने कहा कि परीक्षा के दौरान अनुचित लाभ पाने वाले छात्रों की कुल संख्या 150 से अधिक नहीं होगी।

सॉलिसिटर जनरल ने बताया कि हजारीबाग में मौजूद एक गिरोह के सदस्य ने पेपर की फोटो व्हाट्सएप पर भेजा था। उन्होंने छात्रों को फोटो खींचने नहीं दिया था। उन लोगों को पता था कि अगर पेपर लीक बडे पैमाने पर हो गया तो परीक्षा रद्द हो जाएगी इसलिए वो लोग छात्रों से अपने मोबाइल फोन दूर रखने को कहते थे। इसके लिए अभिभावकों ने एडवांस के अलावा पोस्ट-डेटेड चेक भी दिए थे। सीजेआई ने कहा हमे परेशान क्या कर रहा है की पेपर ब्रीच होने और परीक्षा शुरू होने के बीच कितना वक्त था? सीजेआई ने याचिकाकर्ता से पूछा कि क्या इस तरफ का कोई पैटन पटना, हजारीबाग के अलावा कही हुआ है,याचिकाकर्ता के वकील ने बताया कि गोधरा में भी ऐसा हुआ है। NTA ने सुप्रीम कोर्ट में लिखित जवाब दाखिल कर कहा है कि कोई सिस्टमेटिक फेलियर नही है। बिहार में जिन घटनाओं का जिक्र किया जा रहा है उनकी जांच चल रही है। बिहार घटना एक आपराधिक घटना है।

NTA ने की कथित टेलीग्राफ वीडियो की निंदा

NTA ने एक बार फिर कथित टेलीग्राफ वीडियो की निंदा की और कहा कि इसे एडिट करके यह दिखाया गया कि पेपर लीक 4 मई को हुआ, जबकि परीक्षा की तारीख 5 मई थी। NTA ने दावा किया कि पटना, सवाई माधोपुर में पेपर लीक होने का दावा गलत है। बिहार की घटना एक आपराधिक गतिविधि है। जांच बिहार पुलिस ने शुरू की थी फिर बाद में उसे इओयू विंग को सौप दिया गया था। इसके बाद केंद्रीय स्तर पर नीट मामलों की जांच सीबीआई को स्थानांतरित कर दी गई है। NTA के कारण बताओ नोटिस जारी करने के बाद 17 संदिग्ध उम्मीदवारों के परिणाम रोक दिए है। केंद्र सरकार ने नया हलफनामा दायर कर कहा है कि आईआईटी मद्रास के विशेषज्ञों ने नीट-यूजी के परिणामों के डेटा विश्लेषण में पाया है कि अंकों का वितरण घंटी के आकार के वक्र का अनुसरण करता है, जो किसी भी बड़े पैमाने की परीक्षा में देखा जाता है।

यह कोई असामान्यता का संकेत नहीं देता है। हलफनामे में कहा गया है कि 2024-25 के लिए स्नातक सीटों के लिए काउंसिलिंग प्रक्रिया जुलाई के तीसरे सप्ताह से शुरू होने।वाले चार राउंड में आयोजित की जाएगी। जबकि NTA द्वारा दायर नए हलफनामे में कहा गया है कि उसने राष्ट्रीय, राज्य और शहर स्तर पर अंकों के वितरण का विश्लेषण किया है। यह विश्लेषण इंगित करता है कि अंकों का विवरण बिल्कुल सामान्य है। इसमें।अंकों के विवरण को प्रभावित करने जैसा कुछ नही है।

केंद्र सरकार और NTA की ओर से दायर हलफनामे

वही केंद्र सरकार और NTA की ओर से दायर हलफनामों पर याचिकाकर्ताओं ने भी अपना लिखित जवाब दाखिल कर दिया। इसमें उन्होंने कहा है कि NTA ने अधूरे डेटा और विश्लेषण वाली आईआईटी मद्रास की अधूरी रिपोर्ट के आधार पर सुप्रीम कोर्ट को गुमराह करने की कोशिश की है। बता दें कि 8 जुलाई को याचिकाओं पर सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि नीट-यूजी 2024 की पवित्रता का उल्लंघन हुआ है। यदि पूरी प्रक्रिया प्रभावित हुई तो दोबारा परीक्षा का आदेश दिया जा सकता है, पीठ ने NTA और सीबीआई से कथित पेपर लीक के समय और तरीके के साथ-साथ अनियमितताओं की सीमा को समझने के लिए गलत करने वालों की संख्या सहित विवरण मांगा था।



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