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संदेशखाली मामले में ममता सरकार को ‘सुप्रीम’ झटका, केस CBI को ट्रांसफर करने के खिलाफ दाखिल याचिका खारिज

सुप्रीम कोर्ट ने संदेशखालि में प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) के अधिकारियों की टीम पर 5 जनवरी को हुए हमले की जांच सीबीआई को सौंपने के खिलाफ दाखिल याचिका को खारिज कर दिया.

सुप्रीम कोर्ट ने संदेशखालि में प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) के अधिकारियों की टीम पर 5 जनवरी को हुए हमले की जांच सीबीआई को सौंपने के खिलाफ दाखिल याचिका को खारिज कर दिया. ये याचिका ममता बनर्जी सरकार की ओर से कलकत्ता हाई कोर्ट के आदेश को चुनौती देते हुए सुप्रीम कोर्ट में दाखिल की गई थी.

सुनवाई के दौरान पीठ ने कहा…

हालांकि, न्यायमूर्ति बी आर गवई और न्यायमूर्ति संदीप मेहता की पीठ ने उच्च न्यायालय के पांच मार्च के आदेश में राज्य सरकार और पुलिस के खिलाफ की गई कुछ टिप्पणी को रिकॉर्ड से हटाने का आदेश दिया. पीठ ने अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल एस वी राजू की इस दलील पर गौर किया कि अगर सीबीआई को जांच ट्रांसफर करने के अंतिम आदेश को यथावत रखा जाता है, तो उन्हें टिप्पणी हटाये जाने से कोई आपत्ति नहीं है.

शाहजहां की गिरफ्तारी तुरंत क्यों नहीं की गई?

सुनवाई के दौरान पीठ ने पश्चिम बंगाल पुलिस का प्रतिनिधित्व कर रहे वरिष्ठ अधिवक्ता जयदीप गुप्ता से कई सवाल किये. पीठ ने पूछा कि तृणमूल कांग्रेस के निलंबित नेता शाहजहां शेख को 5 जनवरी के हमले के बाद क्यों तुरंत गिरफ्तार नहीं किया गया और मामले की जांच में विलंब क्यों हुआ. राजू ने दलील दी कि यदि जांच सीबीआई को नहीं सौपी जाती तो राज्य पुलिस द्वारा जांच मजाक बनकर रह जाती.

राज्य सरकार ने शीर्ष अदालत में अपनी याचिका में, उच्च न्यायालय के आदेश को अवैध और मनमाना बताते हुए कहा कि इसे निरस्त किये जाने की जरूरत है. राज्य सरकार ने कहा, ‘‘खंड पीठ द्वारा अपराह्न तीन बजे आदेश सुनाया गया और लगभग साढ़े तीन बजे तक उच्च न्यायालय की वेबसाइट पर अपलोड किया गया था, लेकिन उसमें निहित निर्देशों का उसी दिन, पांच मार्च 2024 को शाम साढ़े चार बजे तक याचिकाकर्ता/राज्य सरकार द्वारा अनुपालन किये जाने की आवश्यकता थी, जो संविधान के अनुच्छेद 136 के तहत राहत पाने के याचिकाकर्ता के अधिकार के अनुरूप नहीं था.’’

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राज्य सरकार ने कहा कि असल में, याचिकाकर्ता राज्य की ओर से पेश हुए महाधिवक्ता ने कानूनी उपचार हासिल करने के लिए उक्त आदेश पर तीन दिनों का स्थगन लगाने का अनुरोध किया, लेकिन खंडपीठ ने न केवल इस तरह के अनुरोध को खारिज कर दिया, बल्कि उसे आदेश में दर्ज करने से भी इनकार कर दिया.

-भारत एक्सप्रेस

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