
जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए दिल दहला देने वाले आतंकी हमले ने भारत को कड़ा कदम उठाने के लिए मजबूर कर दिया. इस हमले में आतंकियों ने 26 निर्दोष नागरिकों की बेरहमी से हत्या कर दी. प्रारंभिक जांच में इस हमले के पीछे पाकिस्तान समर्थित आतंकियों की संलिप्तता की आशंका जताई जा रही है. इसी के मद्देनजर केंद्र सरकार ने पाकिस्तानी नागरिकों के लिए SAARC वीजा छूट योजना (SVES) को तुरंत प्रभाव से खत्म कर दिया है. इस योजना के तहत भारत में मौजूद सभी पाकिस्तानी नागरिकों को 48 घंटे के अंदर देश छोड़ने का सख्त निर्देश जारी किया गया है.
पहलगाम के मनोरम बैसारन घास के मैदान में हुए इस कायराना हमले की जिम्मेदारी द रेसिस्टेंस फ्रंट (TRF) ने ली है, जो पाकिस्तान स्थित आतंकी संगठन लश्कर-ए-तैयबा का सहयोगी माना जाता है.
भारत के विदेश सचिव विक्रम मिस्री और कैबिनेट सुरक्षा समिति (CCS) ने कहा कि भारत समेत दुनिया भर की सरकारें आतंकवाद के खिलाफ “जीरो टॉलरेंस” की नीति अपनाती हैं और यह फैसला उसी नीति का हिस्सा है.
आखिर क्या है SAARC वीजा छूट योजना?
SAARC वीजा छूट योजना (SVES) 1992 में दक्षिण एशियाई क्षेत्रीय सहयोग संगठन (SAARC) ने शुरू की थी. इसका मकसद था भारत, पाकिस्तान, बांग्लादेश, श्रीलंका, नेपाल, भूटान, मालदीव और अफगानिस्तान जैसे सदस्य देशों के बीच भाईचारा, एकता और आपसी संपर्क को बढ़ावा देना.
इस योजना की नींव 1988 में इस्लामाबाद में हुए SAARC शिखर सम्मेलन में पड़ी, जहां नेताओं ने फैसला किया कि कुछ खास श्रेणियों के लोग, जैसे सरकारी अधिकारी, सांसद, जज, वरिष्ठ अधिकारी, पत्रकार, खिलाड़ी और व्यापारी, बिना सामान्य वीजा के SAARC देशों में यात्रा कर सकेंगे.
इन व्यक्तियों को एक साल के लिए विशेष वीजा स्टिकर जारी किए जाते हैं, जो उन्हें SAARC देशों में बिना वीजा के यात्रा की सुविधा देता है. हर देश के आव्रजन अधिकारी इस योजना को लागू करते हैं और समय-समय पर पात्र लोगों की सूची अपडेट करते रहते हैं. यह योजना 24 खास श्रेणियों को कवर करती है और इसे क्षेत्र में विश्वास, दोस्ती और व्यापार को बढ़ाने का एक शानदार जरिया माना जाता है.
पाकिस्तानी नागरिकों पर क्या होगा इसका असर?
अब तक पाकिस्तानी राजनयिकों, पत्रकारों, व्यापारियों और अधिकारियों को SVES के जरिए भारत आने-जाने की छूट थी. यह स्कीम उन हालात में भी कायम रहती थी जब भारत और पाकिस्तान के बीच रिश्ते तनावपूर्ण होते थे. लेकिन इस बार भारत सरकार ने इस योजना को पूरी तरह रद्द कर दिया है, जो कि पहली बार हुआ है.
भारत ने इसके साथ ही कई और बड़े कदम उठाए हैं. 1960 की सिंधु जल संधि को पाकिस्तान के साथ निलंबित कर दिया गया है. अटारी-वाघा सीमा को भी बंद कर दिया गया है, और सभी पाकिस्तानी नागरिकों, जिनके पास वैध दस्तावेज हैं, को 1 मई तक इस रास्ते से लौटने का आदेश दिया गया है.
इतना ही नहीं, भारत ने पाकिस्तानी रक्षा सलाहकारों को ‘पर्सोना नॉन ग्राटा’ यानी अवांछित व्यक्ति घोषित कर दिया है. साथ ही, दोनों देशों के उच्चायोगों में कर्मचारियों की संख्या को 55 से घटाकर 30 करने का फैसला किया गया है, जिसकी समय सीमा भी 1 मई है.
-भारत एक्सप्रेस
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