प्रतीकात्मक फोटो.
2022 में अच्छे मौसम के बाद, 2023 में भारत को प्राकृतिक आपदाओं के कारण 12 बिलियन डॉलर (1 लाख करोड़ रुपये से अधिक) का भारी नुकसान हुआ. वैश्विक बीमा ग्रुप कंपनी स्विस रे (Swiss Re) ने एक रिपोर्ट में कहा कि उत्तरी भारत और सिक्किम में बाढ़, उष्णकटिबंधीय चक्रवातों (TC) बिपरजॉय (Biparjoy ) और मिचांग (Michaung) से हुए नुकसान को लगाकर इस वर्ष के लिए टोटल आर्थिक नुकसान 12 अरब डॉलर तक पहुंच गया, जो पिछले 10 साल (2013-2022) के औसत 8 अरब डॉलर से काफी अधिक है.
बिपरजॉय से बंदरगाहें प्रभावित हुई
2024 में हुए आर्थिक नुकसान की गणना अभी की जानी है. स्विस रे ने कहा कि अधिक जोखिम और परिसंपत्ति संकेन्द्रण वाले क्षेत्रों में आपदाओं की वजह से अधिक बड़ा नुकसान हुआ. उदाहरण के लिए, कैटेगरी 3 TC बिपरजॉय ने 16 जून, 2023 को गुजरात के कच्छ में दस्तक दी, जिससे कांडला और मुंद्रा बंदरगाहों सहित सौराष्ट्र और कच्छ क्षेत्रों के सभी बंदरगाह बंद हो गए. साथ ही तेज हवाओं, भारी बारिश और तूफानी लहरों ने भी राज्य में बड़े पैमाने पर नुकसान पहुंचाया.
कुल नुकसान का 63 प्रतिशत बाढ़ से हुआ
रिपोर्ट ने कहा कि चक्रवात ने पड़ोसी राज्यों महाराष्ट्र और राजस्थान को भी प्रभावित किया. इसी तरह, 5 दिसंबर, 2023 को आने वाले TC मिचांग ने अत्यधिक वर्षा की, जिससे चेन्नई में भारी नुकसान हुआ. स्विस रे ने कहा, “10-15 जुलाई, 2023 के बीच उत्तर भारत में भारी वर्षा के कारण आई बाढ़ ने शिमला शहर सहित हिमाचल प्रदेश और दिल्ली को प्रभावित किया.”
स्विस रे के अनुसार, पिछले दो दशकों में भारत में प्राकृतिक आपदा से संबंधित नुकसानों के विश्लेषण से पता चलता है कि औसतन कुल वार्षिक आर्थिक नुकसान का लगभग 63 प्रतिशत बाढ़ की वजह से है. यह देश की जलवायु और भूगोल के कारण है.
दिग्गज बीमा समुह स्विस रे ने कहा, “भारत जून से सितंबर तक ग्रीष्मकालीन मानसून और अक्टूबर से दिसंबर तक पूर्वोत्तर मानसून के प्रभाव में रहता है. मानसून के दबाव के कारण अत्यधिक वर्षा होती है, जो बदले में गंभीर बाढ़ का कारण बन सकती है.”
स्विस रे के बीमा बाजार विश्लेषण प्रमुख महेश एच पुट्टैया ने कहा, “भारत की आर्थिक वृद्धि की गति प्राकृतिक आपदाओं से उत्पन्न होने वाली कमजोरियों को कम करने के लिए की गई कार्रवाइयों से कहीं ज्यादा तेज है.”
अब तक बाढ़ से 1 अरब डॉलर से ज्यादा का नुकसान
सदी की शुरुआत से लेकर अब तक कई बड़ी बाढ़ की घटनाओं ने 1 अरब डॉलर से ज्यादा का आर्थिक नुकसान पहुंचाया है. उदाहरण के लिए, 2005 में मुंबई, 2013 में उत्तराखंड, 2014 में जम्मू और कश्मीर, 2018 में केरल और 2023 में उत्तरी भारत में बाढ़. ये सभी गर्मियों के मानसून के दौरान हुई थीं. स्विस रे ने कहा कि 2015 में चेन्नई में बाढ़ उत्तर-पश्चिमी मानसून के मौसम में आई थी.
2005 में मुंबई और 2015 में चेन्नई की बाढ़ भारत के हाल के इतिहास की दो सबसे महंगी बाढ़ की घटनाएं हैं, जिनसे 5.3 अरब डॉलर और 6.6 अरब डॉलर का आर्थिक नुकसान हुआ.
राजधानियां प्राकृतिक खतरों के संपर्क में हैं
स्विस रे ने बताया कि गुजरात, महाराष्ट्र और तमिलनाडु औद्योगिक उत्पादन के मामले में शीर्ष तीन राज्य हैं, जो 2023 में भारत के कुल औद्योगिक उत्पादन 605 अरब डॉलर में क्रमशः 13.3 प्रतिशत, 13 प्रतिशत और 10.5 प्रतिशत का योगदान देंगे. तीनों राज्यों के प्रमुख शहरी केंद्र, अहमदाबाद, मुंबई और चेन्नई और उनके आस-पास के क्षेत्र प्राकृतिक आपदाओं के प्रमुख हॉटस्पॉट हैं, क्योंकि वे कई प्राकृतिक खतरों के संपर्क में हैं. दिल्ली और राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र (NCR) भी ऐसा ही है.
गुजरात प्राकृतिक आपदाओं के लिए सबसे अधिक संवेदनशील मालूम पड़ता है, क्योंकि यह बाढ़, उष्णकटिबंधीय चक्रवातों और कभी-कभी भूकंप का सामना करता है. तमिलनाडु (चेन्नई) और महाराष्ट्र बाढ़ और उष्णकटिबंधीय चक्रवातों के चपेट में रहते हैं. दिल्ली बाढ़ और भूकंप के चपेट में रहते है,”
रिपोर्ट में भूकंप के खतरे के बारे में भी उल्लेख किया गया है. कहा गया कि नई दिल्ली और अहमदाबाद अधिक खतरे में हैं.
रिपोर्ट में चेतावनी दी गई है कि, “हिमालय में केन्द्रित लेकिन दिल्ली तक फैले या वैकल्पिक रूप से, मुंबई या दिल्ली जैसे किसी मुख्य शहर के नजदीक केन्द्रित छोटे भूकंप के कारण भी होने वाले नुकसान आज गुजरात के भुज में 2001 में आए भूकंप से होने वाले नुकसान से कहीं अधिक हो सकते हैं.”
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-भारत एक्सप्रेस
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