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भारत की अर्थव्यवस्था को लगा बूस्टर डोज, इंफ्रास्ट्रक्चर पर जोर दे रही सरकार

काफी समय हो गया है जब लगभग सभी आर्थिक संकेतकों ने ऊपर की ओर इशारा किया है। नए वित्तीय वर्ष के केवल दो महीने बीतने के साथ, यह आने वाले महीनों के लिए अच्छी खबर लेकर आने की उम्मीद की तरफ इशारा है.

काफी समय हो गया है जब लगभग सभी आर्थिक संकेतकों ने ऊपर की ओर इशारा किया है. नए वित्तीय वर्ष के केवल दो महीने बीतने के साथ, यह आने वाले महीनों के लिए अच्छी खबर लेकर आने की उम्मीद की तरफ इशारा है. महीने का अंत वित्तीय पत्रकारों के लिए रोमांचक समय होता है, न कि केवल वेतन दिवस के कारण. सरकार के कई मंत्रालयों के साथ-साथ निजी क्षेत्र की निगरानी एजेंसियां ​​हर महीने के पहले और आखिरी दिनों में भारी मात्रा में आर्थिक आंकड़े जारी करती हैं. मई के अंत में न केवल जनवरी-मार्च 2023 की अवधि के लिए, बल्कि पूरे वित्तीय वर्ष 2022-23 के लिए भी जीडीपी डेटा जारी किया गया था.

उम्मीद से बेहतर जीडीपी ग्रोथ के आंकड़े तो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी ट्वीट करते हुए देखे कि डेटा “वैश्विक चुनौतियों के बीच भारतीय अर्थव्यवस्था के लचीलेपन को रेखांकित करता है”. उन्होंने कहा, “समग्र आशावाद और सम्मोहक मैक्रो-इकोनॉमिक संकेतकों के साथ यह मजबूत प्रदर्शन, हमारी अर्थव्यवस्था के आशाजनक पथ और हमारे लोगों की दृढ़ता का उदाहरण है.”

भारतीय अर्थव्यवस्था के लिए 7.2 प्रतिशत सकल घरेलू उत्पाद की वृद्धि, महामारी से पहले से चली आ रही संख्या के लंबे दौर के बाद आई है, और इसलिए यह उच्च आर्थिक विकास के एक युग का एक आश्वस्त अनुस्मारक है जिसे भारत ने अतीत में देखा था और प्रक्षेपवक्र पर संकेत दिया था. बुधवार की शुरुआत अप्रैल 2023 के महीने के लिए भारतीय अर्थव्यवस्था के आठ प्रमुख क्षेत्रों-कोयला, कच्चा तेल, प्राकृतिक गैस, रिफाइनरी उत्पाद, उर्वरक, स्टील, सीमेंट और बिजली-के लिए विकास के आंकड़े जारी करने के साथ हुई. डेटा ही था एक मिश्रित बैग, आठ क्षेत्रों की समग्र वृद्धि छह महीने के निचले स्तर 3.5 प्रतिशत पर आ रही है हालांकि, गहराई से देखने पर भारतीय अर्थव्यवस्था के लिए कुछ अच्छी खबरें सामने आईं.

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उर्वरक, इस्पात और सीमेंट क्षेत्रों में अप्रैल में दो अंकों की वृद्धि देखी गई. जो ये इशारा करता है कि न केवल कृषि क्षेत्र अच्छा कर रहा है, बल्कि बुनियादी ढांचे के निर्माण के लिए सरकार का जोर स्टील और सीमेंट जैसे प्रमुख क्षेत्रों में भी विकास को बढ़ावा दे रहा है, दोनों का अर्थव्यवस्था पर सकारात्मक प्रभाव पड़ता है. कच्चे तेल और प्राकृतिक गैस क्षेत्रों ने उत्पादन में थोड़ी कमी देखी, लेकिन रूस से अपेक्षाकृत सस्ते आयात का लाभ उठाने की भारत की रणनीति को देखते हुए यह आश्चर्य की बात नहीं है.

-भारत एक्सप्रेस

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