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विदेश सचिव विक्रम मिस्री ने संसद भवन एनेक्सी में दी ब्रीफिंग, संसद की स्थायी समिति की बैठक में भारत की विदेश नीति पर हुई गहन चर्चा

विदेश नीति पर संसद की स्थायी समिति की बैठक में विदेश सचिव विक्रम मिस्री ने ब्रीफिंग दी, सांसदों ने सराहना की. आतंकवाद और प्रतिनिधिमंडल चयन पर राजनीतिक मतभेद दिखा.

नई दिल्ली, 19 मई 2025: भारत के विदेश सचिव विक्रम मिस्री सोमवार को दिल्ली स्थित संसद भवन एनेक्सी पहुँचे, जहाँ उन्होंने विदेश मामलों पर संसद की स्थायी समिति की महत्वपूर्ण बैठक में भाग लिया. यह बैठक भारत की विदेश नीति, कूटनीतिक रणनीतियों और अंतरराष्ट्रीय घटनाक्रमों की समीक्षा के लिए बुलाई गई थी.

बैठक के दौरान विदेश मंत्रालय द्वारा हाल ही में उठाए गए कदमों, विशेष रूप से पड़ोसी देशों के साथ संबंधों, वैश्विक मंचों पर भारत की भूमिका, और साइबर एवं सीमा सुरक्षा जैसे विषयों पर चर्चा की गई. विदेश सचिव ने समिति के समक्ष प्रस्तुतिकरण दिया और सांसदों द्वारा पूछे गए प्रश्नों का उत्तर भी दिया.

स्थायी समिति की बैठक में मौजूद रहे 24 सदस्य

इस बैठक में कुल 24 सदस्य उपस्थित रहे, जिसे समिति की एक उल्लेखनीय उपस्थिति माना गया. बैठक आमतौर पर शाम 6 बजे तक समाप्त हो जाती है, लेकिन इस बार यह चर्चा शाम 7 बजे तक चली, जो इस बात का संकेत है कि बैठक अत्यंत व्यापक और गंभीर थी.

कई सांसदों ने गहन और विचारोत्तेजक प्रश्न पूछे

कांग्रेस सांसद शशि थरूर ने बैठक के बाद मीडिया से कहा, “यह बैठक अत्यंत समृद्ध और व्यापक रही. कई सांसदों ने गहन और विचारोत्तेजक प्रश्न पूछे. विदेश सचिव पर हाल ही में हुई टिप्पणियों के संदर्भ में समिति के सदस्यों ने उनके साथ एकजुटता व्यक्त की. हालांकि उन्होंने औपचारिक प्रस्ताव से इनकार किया, लेकिन समिति की भावना स्पष्ट रूप से उनके समर्थन में थी.”

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TMC के राष्ट्रीय महासचिव और सांसद का बयान

TMC के राष्ट्रीय महासचिव और सांसद अभिषेक बनर्जी ने आज एक बयान में कहा, “हमारी पार्टी तृणमूल कांग्रेस आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई, संप्रभुता की रक्षा और राष्ट्रीय हितों को लेकर केंद्र सरकार के साथ कंधे से कंधा मिलाकर खड़ी है. लेकिन यह तय करना कि किस पार्टी से कौन सांसद प्रतिनिधिमंडल में जाएगा, यह केंद्र सरकार एकतरफा नहीं कर सकती.”

उन्होंने कहा कि यदि सरकार TMC से पांच नाम मांगती है, तो पार्टी पांच नाम देगी. इसके साथ ही उन्होंने सुझाव दिया कि इस बार राजनीतिक प्रतिनिधियों के स्थान पर उन लोगों को भेजा जाना चाहिए जिन्होंने देश के लिए बलिदान दिया है, जैसे ‘ऑपरेशन सिंदूर’ का नेतृत्व करने वाले सेना के अधिकारी, शहीदों के परिवारजन, और हमलों में बचे नागरिक.

अभिषेक बनर्जी ने कहा, “यह राजनीति करने का समय नहीं है. देश की बात है, तो सहमति से निर्णय होना चाहिए. मुझे आज दोपहर पता चला कि संसदीय कार्य मंत्री ने कहा है कि प्रतिनिधिमंडल देश का प्रतिनिधित्व कर रहा है — मैं उनसे पूरी तरह सहमत हूँ. लेकिन उसमें हमारे द्वारा तय किए गए प्रतिनिधि ही जाएँगे, यह फैसला भाजपा नहीं करेगी.”

उन्होंने यह भी कहा, “पिछले 5–6 दशकों में पाकिस्तान ने किस प्रकार आतंकवाद को बढ़ावा दिया है, यह पूरी दुनिया को बताया जाना चाहिए. लेकिन प्रतिनिधिमंडल में कौन जाएगा, यह हर पार्टी को तय करने का अधिकार है.”

विदेश नीति पर बढ़ी राजनीतिक एकजुटता, लेकिन मतभेद भी

आज की बैठक ने यह दर्शाया कि भारत की विदेश नीति को लेकर सभी राजनीतिक दलों में एकजुटता का माहौल है, खासकर जब बात आतंकवाद और राष्ट्रीय सुरक्षा की हो. हालांकि, अंतरराष्ट्रीय मंचों पर भारत का प्रतिनिधित्व किस प्रकार और किनके माध्यम से होगा, इस पर राजनीतिक दलों में मतभेद साफ़ दिखाई दे रहे हैं.

विदेश सचिव विक्रम मिस्री के नेतृत्व में विदेश मंत्रालय का कार्यप्रदर्शन सांसदों द्वारा सराहा गया, और समिति ने उन्हें स्पष्ट रूप से अपना समर्थन भी जताया.



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