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Ayodhya Ram Mandir: भगवान राम की नगरी अयोध्या में 22 जनवरी को भव्य कार्यक्रम का आयोजन होने जा रहा है. राम मंदिर उद्घाटन के साथ ही रामलला की प्राण-प्रतिष्ठा भी होगी. कार्यक्रम को लेकर तैयारी जोरों पर हैं. इसी बीच राम मंदिर आंदोलन से जुड़े कारसेवकों को भी निमंत्रण भेजा जा रहा है. इसी क्रम में 96 साल की कारसेवक शालिनी दबीर के पास जब निमंत्रण पहुंचा तो वह भावुक हो उठीं और उन्होंने आंदोलन से जुड़ी यादें ताजा करते हुए बताया कि किस तरह बाबरी विध्वंस के समय उनको गोली छू कर निकल गई थी, लेकिन आंदोलन के जोश को कम नहीं कर सकी थी.
मैं उन्हें खिलाना चाहती हूं लड्डू
मुंबई की रहने वाली शालिनी ने 1990 में कार सेवा के लिए घर छोड़ दिया था. निमंत्रण मिलने पर वह भावुक होकर पुरानी यादें ताजा करने लगीं और राम मंदिर आंदोलन के दिनों को लेकर बताया कि किस तरह उनको गोली छूकर निकल गई थी, लेकिन वह जरा भी डरी नहीं थीं. न्यूज़ एजेंसी एएनआई की रिपोर्ट के अनुसार, शालिनी ने यादें ताजा करते हुए कहा कि, ”जब बाबरी ढांचा गिरा तो गुस्से में एक दूसरे धर्म के व्यक्ति ने मुझे मिठाई खिलाई और बोला अब जो आपका था आपको मिल गया. मैं अब उन्हें लड्डू खिलाना चाहूंगी कि मिला ही नहीं मेरे भगवान भी लौटे हैं.” 1990 में कार सेवा के लिए मुंबई छोड़ने वाली शालिनी रामकृष्ण दबीर को विशेष तौर पर सम्मानित करते हुए अयोध्या से लाए अक्षत देकर राम मंदिर आने का निमंत्रण दिया है.
क्रूर थी उस वक्त की यूपी सरकार
शालिनी ने बाबरी ढांचा गिरने के समय की यादें ताजा करते हुए कहा कि, यूपी की तत्कालीन सरकार बहुत ही क्रूर थी. रामभक्तों पर गोलियां और लाठी चलाई गई थी. जेलें भर चुकी थीं, इसलिए लोगों को स्कूलों में कैद किया गया था. किसी तरह वहां से निकल कर फिर पैदल 60 किलोमीटर चलकर अयोध्या पहुंची और बाबरी ढांचा गिरने के बाद उसे पर भगवा ध्वज लहराने की साक्षी बनी. शालिनी बताती हैं कि, अयोध्या पहुंचकर बाबरी ढांचे पर भगवा फहराने को उन्होंने अपनी आंखों से देखा है. उन्होंने बताया कि , उस समय की उत्तर प्रदेश पुलिस ने उनके साथ ही तमाम महिला कारसेवकों के एक समूह को गिरफ्तार कर लिया था और उन्हें एक स्कूल परिसर में कैद कर दिया था, लेकिन स्थानीय लोगों की मदद से वह भाग निकली थीं. पुलिस ने राम भक्तों को रोकने के लिए लाठीचार्ज, आंसू गैस और गोलीबारी भी की थी, लेकिन वह बिल्कुल भी नहीं डरीं.
छू कर निकल गई थी गोली
शालिनी कहती हैं कि, पुलिस की बर्बरता के बावजूद उस समय कोई भी डगमगाया नहीं. उनके पास से गोली छूकर निकल गई थी, लेकिन हनुमान जी ने कार सेवकों को ताकत दी थी, इसीलिए हम जीत गए. इसी के साथ वह बताती हैं कि बहुत कोशिशों के बाद वो एक दीवार नहीं गिर रही थी तब, एक बंदर उस दीवार पर बैठा और सब कुछ धूल-धूल हो गया, क्योंकि उसने दीवार पर जोर लगाया था जिससे वो ढह गई थी.
गोलियों के बीच भी गा रहे थे हम भजन
शालिनी कहती हैं कि राम भक्तों पर गोलियां चलीं, लाठी भी चली लेकिन फिर भी हम भगवान श्रीराम के भजन गा रहे थे. अब अयोध्या में राम वापस आ रहे हैं. मुझे बहुत खुशी है लेकिन दुख इस बात का है कि पैर काम नहीं करते, चल नहीं पाऊंगी. बता दें कि शालिनी शारीरिक समस्याओं से जूझ रही हैं. इस वजह से उनको सुनाई भी नहीं देता है तो उनको सारी बातें, उनके बेटे उन्हें समझाते हैं. इस स्थिति में भी वह राम मंदिर आने के लिए व्याकुल दिखाई दीं.
-भारत एक्सप्रेस