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विपक्ष के मंच से अटकलों को विराम देंगे जयंत चौधरी, कम होगी सपा की टेंशन!

आरएलडी व्यापार प्रकोष्ठ के प्रदेश अध्यक्ष रोहित अग्रवाल ने बताया कि अगले विपक्ष की बैठक में जयंत चौधरी मंच पर दिखाई देंगे.

akhilesh yadav and jayant chaudhary

अखिलेश यादव व जयंत चौधरी

Jayant Chaudhary: यूपी में राष्ट्रीय लोकदल ने उसके सहयोगी दल समाजवादी पार्टी की टेंशन बढ़ा दी है. राष्ट्रीय लोकदल का एक धड़ा चाहता है कि यूपी में कांग्रेस के साथ सपा और राष्ट्रीय लोकदल एक मंच पर नजर आए. वहीं आरएलडी का मानना है कि भाजपा को हराने के लिए सबको हाथ मिलाना होगा. साथ ही यह दावा भी किया कि विपक्ष की अगली बैठक में जयंत चौधरी मंच पर दिखाई देंगे, जिससे सभी अटकलों को विराम लगेगा. इसके पहले विपक्षी दलों की बैठक में जयंत चौधरी शामिल नहीं हुए थे, जिसके बाद कई तरह की अटकलें लगाई जाने लगी थीं.

लोकसभा चुनाव को लेकर छोटे दलों पर सबकी नजर टिकी हैं. खासकर समाजवादी पार्टी के सहयोगी दलों पर विशेष नजर है कि क्या विधानसभा चुनाव की तरह लोकसभा चुनाव में भी एक मंच पर सभी नजर आएंगे. विधानसभा चुनाव के बाद सुभासपा और महान दल सपा से अलग हो चुके हैं और सुभासपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष ओम प्रकाश राजभर लगातार बयानबाजी करते नजर आ रहे हैं कि जयंत भी अलग राह देख सकते हैं. राजभर कभी अखिलेश यादव को नसीहत देते नजर आते हैं तो कभी बीजेपी का मुद्दा आधारित समर्थन करते नजर आते हैं.

वहीं एनडीए के साथी और केंद्रीय राज्य मंत्री रामदास आठवले के दावे के बाद से राष्ट्रीय लोकदल के अध्यक्ष जयंत चौधरी सुर्खियों में आ गए. इन बयानों से समाजवादी पार्टी के खेमे में चिंता है कि क्या वास्तव में जयंत चौधरी भाजपा का दामन थामने जा रहे हैं. हालांकि जयंत ने इन अटकलों को खारिज कर दिया था और कहा था कि वे विपक्षी दलों की होने वाली अगली बैठक में शामिल होंगे. वहीं तमाम कयासों के बीच जयंत चौधरी का ट्वीट- खिचड़ी, पुलाव, बिरयानी जो पसंद है खाओ… और उसी ट्वीट पर रिप्लाई- वैसे चावल खाना ही है तो खीर खाओ… चर्चा का विषय बना हुआ है.

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आरएलडी की तरफ से आया बयान

इन अटकलों के बीच पार्टी के प्रदेश प्रवक्ता और आरएलडी व्यापार प्रकोष्ठ के प्रदेश अध्यक्ष रोहित अग्रवाल ने बताया कि अगले विपक्ष की बैठक में जयंत चौधरी मंच पर दिखाई देंगे. सियासी गलियारों में आरएलडी के भाजपा में शामिल होने की खबर निराधार है. लोकसभा चुनाव में भाजपा को हराना ही पार्टी का मकसद है. विधानसभा चुनाव एक साथ लड़ने के बाद राष्ट्रीय लोकदल और समाजवादी पार्टी के नेताओं के बीच निकाय चुनाव में टकराव दिखा था. निकाय चुनाव में कई सीटें ऐसी थीं जहां सपा और आरएलडी दोनों ने अपने प्रत्याशी उतारे थे. निकाय चुनाव के बाद ही चर्चा थी कि अखिलेश और जयंत में कुछ ठीक नहीं चल रहा है. हालांकि, विपक्ष की अगली बैठक में कई सवालों के जवाब जरूर मिल जाएंगे.

-भारत एक्सप्रेस

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