जोशीमठ में मंदिर ढहा (फोटो- IANS)
Joshimath Sinking: उत्तराखंड का ऐतिहासिक जोशीमठ शहर भू-धंसाव के चलते अस्तित्व बचाने की जंग लड़ रहा है. यहां दरारें इतनी बड़ी हो गई हैं जो किसी बड़ी अनहोनी की आहट दे रही हैं. जमीन पर पड़ी इन बड़ी-बड़ी दरारों में अगर बारिश का पानी भरा तो भीषण तबाही आ सकती है. जोशीमठ में भू-धंसाव अब विकराल हो चुका है. यहां कई घर गिरने की कगार पर पहुंच गए हैं. जबकि, कई टूट भी चुके हैं. भू-धंसाव के कारण एक मंदिर भी ढह गया है. हालांकि, इस दौरान कोई जनहानि नहीं हुई है.
भू-धंसाव के कारण खौफजदा और डरे हुए कई लोग अपने घर छोड़ चुके हैं. वहीं, प्रशासन की ओर से लोगों को नगरपालिका भवन, गुरुद्वारे और स्कूल में शिफ्ट किया जा रहा है. दूसरी तरफ, इस घटना पर दुनियाभर पर्यावरणविदों की नजरें हैं. लोगों के जेहन में एक ही सवाल है कि आखिर जोशीमठ में जमीन क्यों धंस रही है और इस स्थिति से बचने के लिए क्या उपाय किए जाने चाहिए.
कई मकानों में बड़ी-बड़ी दरारें
जोशीमठ के सुनील वार्ड, मनोहर बाग वार्ड, गांधी वार्ड के कई मकानों में बड़ी-बड़ी दरारें आई हैं. साथ ही मारवाड़ी स्थित जेपी कंपनी की आवासीय कॉलोनी भी खतरे की जद में आ चुकी हैं. जेपी कंपनी की दीवार से पानी रिस रहा है. अगर थोड़ी सी भी बारिश हुई तो जमीन पर पड़ी बड़ी-बड़ी दरारों में पानी भरने से तबाही मच सकती है. ऐसे में स्थिति और भी भयानक हो सकती है. इसी बीच ज्योर्तिमठ के दीवारों में भी दरारें आ गई हैं. पूरे इलाके में आलम ये है कि कहीं भी किसी भी सड़क से अचानक पानी की धार फूट पड़ती है, जिसके कारण लोग बेहद डरे हुए हैं.
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जोशीमठ में भू धंसाव को देखते हुए चमोली भू जिला प्रशासन एनटीपीसी की परियोजना, हेलंग मारवाड़ी बाईपास और जोशीमठ में चल रहे सभी प्रकार के निर्माण कार्यों पर अगले आदेशों तक रोक लगा चुका है. जबकि, गढ़वाल मंडल आयुक्त सुशील कुमार, आपदा प्रबंधन सचिव रंजीत कुमार सिन्हा समेत विशेषज्ञ वैज्ञानिकों की टीम दरार प्रभावित क्षेत्रों का सर्वे कर रहे हैं. सीएम पुष्कर सिंह धामी शनिवार को जोशीमठ की स्थितियों का जायजा लेने जोशीमठ जाएंगे, जहां वे जोशीमठ की स्थितियों का निरीक्षण करेंगे.
1976 में मिश्रा आयोग की रिपोर्ट ने क्या कहा था
जोशीमठ में जो आज स्थिति पैदा हुई है वह अचानक नहीं हुई है. इसको लेकर करीब 47 साल पहले चेतावनी दी गई थी. मिश्रा आयोग की रिपोर्ट ने 1976 में कहा था कि जोशीमठ की जड़ पर छेड़खानी पूरे शहर को खतरे में डाल सकती है. उस दौरान आयोग द्वारा जोशीमठ का सर्वेक्षण करवाया गया था और बताया गया था कि जोशीमठ एक मोरेन में बसा हुआ है. इसे अति संवेदनशील माना गया था. आयोग की रिपोर्ट में कहा गया था कि चट्टानों और पत्थरों को न छेड़ा जाए. इसके साथ ही यहां होने वाले निर्माण के दायरे को भी सीमित रखने की सिफारिश की गई थी. लेकिन यह रिपोर्ट अमल में नहीं लाई जा सकी.
-भारत एक्सप्रेस
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