दिल्ली हाईकोर्ट
कालकाजी मंदिर में एक धार्मिक आयोजन के दौरान मंच गिरने में एक महिला की मौत मामले में दिल्ली हाई कोर्ट ने जांच के आदेश दिए है. कोर्ट ने दोषियों के खिलाफ कार्रवाई करने का भी आदेश दिया है.
न्यायमूर्ति प्रतिबा एम सिंह की पीठ ने नोट किया कि दिल्ली पुलिस ने कार्यक्रम आयोजन करने की अनुमति देने वाले महंत (मुख्य पुजारी) समेत छह लोगों के खिलाफ मामले में आरोप पत्र दायर किया है. अदालत ने यह भी नोट किया कि मुख्य पुजारी ने यह अनुमति तब दी थी जब मंदिर का नियंत्रण और प्रबंधन अदालत द्वारा नियुक्त प्रशासक के पास था.
अदालत ने उक्त आदेश व टिप्पणी मंदिर परिसर और उसके आसपास सुविधाओं और सफाई के मुद्दे से संबंधित विभिन्न याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए दिया. मंदिर के परिसर में जागरण आयोजन के दौरान एक 45 वर्षीय महिला की मौत हो गई और 17 लोग घायल हो गए. इस कार्यक्रम में लगभग 1600 लोग शामिल हुए. घटना के बाद कालकाजी पुलिस स्टेशन में प्राथमिकी हुई थी.
पिछली सुनवाई पर अदालत को सूचित किया गया था कि यह कार्यक्रम श्री कालकाजी सज्जा सेवादार मित्र मंडल द्वारा आयोजित किया गया था. पुलिस रिपोर्ट के अनुसार इसकी अनुमति मंदिर के महंत सुरेंद्र नाथ अवधूत ने दी थी.अदालत ने मामले में सभी दोषियों के विरुद्ध कार्रवाई करने का आदेश देते हुए महंत द्वारा दिए गए बयान को भी नोट किया.
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महंत ने अपने बयान में है कि प्रशासक नियुक्त करने के आदेश पर सुप्रीम कोर्ट ने रोक लगा दी है और इसलिए प्रशासक के पारिश्रमिक, कार्यालय कर्मचारियों, सुरक्षा गार्ड, हाउस-कीपिंग स्टाफ आदि के वेतन का भुगतान नहीं किया है. वर्ष 2021 में न्यायमूर्ति प्रतिबा एम सिंह की पीठ ने विभिन्न कार्यों को करने के लिए हाई कोर्ट के पूर्व न्यायाधीश न्यायमूर्ति (सेवानिवृत्त) जेआर मिढा को मंदिर का प्रशासक नियुक्त किया था. पीठ ने कहा कि शीर्ष अदालत ने केवल यथास्थिति बनाए रखने का आदेश दिया है और प्रथम दृष्टया विभिन्न न्यायिक आदेशों का उल्लंघन और अवहेलना है.
-भारत एक्सप्रेस
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