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मोदी के दो करोड़ नौकरियों के वादे का क्या हुआ?- मोहन भागवत के बयान पर कपिल सिब्बल ने कसा तंज

Kapil Sibal on Mohan Bhagwat’s Statement: संघ प्रमुख ने एक कार्यक्रम में कहा था, “लोग चाहे किसी भी तरह का काम करें, उसका सम्मान किया जाना चाहिए. श्रम के लिए सम्मान की कमी समाज में बेरोजगारी के प्रमुख कारणों में से एक है.”

kapil sibal

कपिल सिब्बल और मोहन भागवत

Kapil Sibal: राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) प्रमुख मोहन भागवत के नौकरियों को लेकर दिए बयान पर कांग्रेस के पूर्व नेता कपिल सिब्बल ने पलटवार किया है. राज्यसभा सदस्य कपिल सिब्बल ने सवाल किया कि पीएम नरेन्द्र मोदी के हर साल दो करोड़ नौकरियां देने के वादे का क्या हुआ.

भागवत ने कहा था कि श्रम के प्रति सम्मान की भावना की कमी देश में बेरोजगारी के मुख्य कारणों में से एक है. उन्होंने लोगों से सभी तरह के काम का सम्मान करने एवं नौकरियों के पीछे भागना बंद करने की अपील की थी. भागवत के बयान पर प्रतिक्रिया देते हुए सिब्बल ने ट्वीट किया, “मोहन भागवत: ‘सरकारी नौकरियों के पीछे न भागें.” निजी क्षेत्र में नौकरियां कहां हैं भागवत जी? और हर साल दो करोड़ नौकरियां देने के मोदी जी के वादे का क्या हुआ?”

मोहन भागवत ने क्या कहा था

संघ प्रमुख ने एक कार्यक्रम में कहा था, “लोग चाहे किसी भी तरह का काम करें, उसका सम्मान किया जाना चाहिए. श्रम के लिए सम्मान की कमी समाज में बेरोजगारी के प्रमुख कारणों में से एक है. काम के लिए चाहे शारीरिक श्रम की आवश्यकता हो या बुद्धि की, चाहे इसके लिए कड़ी मेहनत की आवश्यकता हो या ‘सॉफ्ट’ कौशल की-सभी का सम्मान किया जाना चाहिए.”

उन्होंने कहा था, “हर कोई नौकरी के पीछे भागता है. सरकारी नौकरियां केवल करीब 10 प्रतिशत हैं, जबकि अन्य नौकरियां लगभग 20 फीसदी. दुनिया का कोई भी समाज 30 प्रतिशत से अधिक नौकरियां पैदा नहीं कर सकता.” उन्होंने कहा कि देश में कौशल की कोई कमी नहीं है, लेकिन हम दुनिया में प्रमुखता हासिल करने के बाद अन्य देशों की तरह नहीं होंगे.

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मोहन भागवत ने कहा कि समाज में व्याप्त अस्पृश्यता का संतों और डॉ. बाबासाहेब आंबेडकर जैसे जानेमाने लोगों ने विरोध किया. आरएसएस प्रमुख ने कहा, ‘‘अस्पृश्यता से परेशान होकर, डॉ. आंबेडकर ने हिंदू धर्म छोड़ दिया लेकिन उन्होंने किसी अन्य धर्म को नहीं अपनाया और गौतम बुद्ध द्वारा दिखाए गए मार्ग को चुना. उनकी शिक्षाएं भारत की सोच में भी बहुत गहराई तक समाई हुई हैं.”

स्वामी प्रसाद मौर्य ने भी दी प्रतिक्रिया

मोहन भागवत के इस बयान पर स्वामी प्रसाद मौर्य ने भी प्रतिक्रिया दी है. सपा नेता ने कहा है कि यदि यह बयान मजबूरी का नहीं है तो साहस दिखाते हुए केंद्र सरकार को कहकर, रामचरितमानस से जातिसूचक शब्दों का प्रयोग कर नीच, अधम कहने तथा महिलाओं, आदिवासियों, दलितों व पिछड़ों को प्रताड़ित, अपमानित करने वाली टिप्पणियों को हटवायें. मात्र बयान देकर लीपापोती करने से बात बनने वाली नही है.

-भारत एक्सप्रेस

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