बिहार के सीएम नीतीश कुमार
Bihar Politics: लोकसभा चुनाव से पहले बिहार की राजनीति में पिछले तीन दिनों या यूं कहें कि बिहार के पूर्व सीएम कर्पूरी ठाकुर के भारत रत्न दिए जाने की घोषणा के बाद से ही घमासान मचा हुआ है. तो वहीं माना जा रहा है कि कर्पूरी ठाकुर को भारत रत्न दिए जाने की मांग एक लम्बे वक्त से नीतीश कुमार (Nitish Kumar) करते आ रहे हैं और केंद्र ने जैसे ही इसकी घोषणा की, उनका मन पिघल गया है और वह एक बार फिर से पाला बदलकर एनडीए में शामिल होने जा रहे हैं. इन अटकले भरी खबरों के साथ ही बिहार के तीनों प्रमुख दल आरजेडी, बीजेपी और जेडीयू ने अपने विधायकों की मीटिंग बुलाई है. संभावना जताई जा रही है है कि रविवार तक बिहार के राजनीतिक समीकरण बदल सकते हैं. दूसरी ओर ये भी कहा जा रहा है कि भाजपा सरकार नीतीश कुमार को 2025 तक सीएम बनाकर रखना चाहती है. इसके भी कई कारण सामने आ रहे हैं.
नीतीश कुमार एनडीए में आ जाएं तो ताज्जुब नहीं
बता दें कि बिहार की राजनीति के केंद्र बिंदु पूर्व मुख्यमंत्री और प्रखर समाजवादी नेता कर्पूरी ठाकुर हैं, जिनको मरणोपरांत भारत रत्न से सम्मानित करने का फैसला मोदी सरकार ने लिया है और इसी के बाद से बिहार की राजनीतिक में घमासान मचा हुआ है. 2024 के लोकसभा चुनाव से पहले प्रधानमंत्री मोदी का यह फैसला बिहार की राजनीति के लिहाज से मास्टर स्ट्रोक माना जा रहा है, क्योंकि इससे एक तरफ जहां बीजेपी पिछड़ी जाति के वोट बैंक को साधने की कोशिश की है वहीं दूसरी तरफ मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के कर्पूरी ठाकुर को भारत रत्न दिए जाने की पुरानी लंबित मांग को पूरा करने का संकेत भी दे दिया है. इस तरह से नीतीश और भाजपा के बीच दूरियां कम हुई हैं. तो इसी के साथ ये भी कहा जा रहा है कि अगर जल्द ही नीतीश कुमार एनडीए में वापस आ जाए तो हैरान होने की किसी को जरूरत नहीं.
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भाजपा 2025 तक नीतीश को बनाए रखना चाहती है सीएम
जहां एक ओर बिहार में सियासी बदलाव के अटकलों के बीच नीतीश कुमार ने आज अपने नेताओं की बैठक बुलाई है तो दूसरी सूत्रों की अगर मानें तो BJP का केंद्रीय नेतृत्व नीतीश कुमार को 2025 तक सीएम बनाए रखना चाहता है. इसको लेकर कई कारण भी सामने आ रही हैं. राजनीतिक जानकार मानते हैं कि, भाजपा लोकसभा चुनाव के दौरान पिछड़े वर्ग के लिए किए अपने काम पर जोर देगी. बीजेपी नेताओं को कहा जाएगा कि वे जेडीयू से दोबारा गठबंधन को लेकर बयानबाजी न करें. इसी के साथ ही कर्पूरी ठाकुर को केंद्र सरकार ने भारत रत्न देकर और अन्य मुद्दों को लेकर अति पिछड़ों के बीच अपना वोट बैंक मजूबत कर लिया है. कहा जा रहा है कि भाजपा बिहार में इसी के साथ आगे बढ़ेगी. पार्टी नेताओं का मानना है कि उन्होंने लव-कुश समीकरणों को भी साधा है. उपेंद्र कुशवाहा और नीतीश कुमार के साथ आने से इसको मजबूती मिलेगी और 2025 के विधानसभा चुनाव में बीजेपी गठबंधन को मजबूत तरीके से फायदा मिलेगा.
डेढ़ साल में टूटा मोह, अब ये अटकलें तेज
बता दें कि नीतीश कुमार ने अपने राजनीतिक करियर में खूब यू टर्न लिया है. साल 1994 में जनता दल से अलग होकर नीतीश कुमार ने समता पार्टी बनाई फिर 30 अक्टूबर 2003 को जनता दल यूनाइटेड का गठन करने के बाद 2005 में भाजपा से गठबंधन कर लिया. ये गठबंधन लम्बा चला लेकिन 2013 में नीतीश ने गठबंधन तोड़ दिया. फिर साल 2015 में कांग्रेस के साथ गठबंधन कर लिया. साल 2017 में नीतीश ने आरजेडी का साथ छोड़कर एक बार फिर से भाजपा का साथ पकड़ लिया लेकिन चार साल बाद 2022 में एक बार फिर से भाजपा का साथ छोड़कर आरजेडी के साथ हो लिए, लेकिन अब जो सियासी घमासान मचा है, उसे साफ जाहिर हो रहा है कि, डेढ़ साल बाद ही नीतीश का आरजेडी से मोहभंग हो गया है और वह जल्द ही भाजपा के खेमे में आ सकते हैं.
-भारत एक्सप्रेस