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“बकवास कर रहे हैं गृह मंत्री, बिल के समर्थन में एक भी वैध तर्क नहीं दे सके”, केजरीवाल ने अमित शाह पर किया पलटवार

दिसंबर 2013 से दिल्ली पर शासन करने वाली AAP और मई 2014 से केंद्र में सत्ता में रही भाजपा दिल्ली का बॉस कौन? को लेकर आमने-सामने है. 11 मई को, मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली सुप्रीम कोर्ट की संविधान पीठ ने सर्वसम्मति से 5-0 के फैसले में फैसला सुनाया कि केंद्र सरकार केवल यूटी में भूमि, कानून और व्यवस्था और पुलिस को नियंत्रित कर सकती है.

Delhi Ordinance

Delhi Ordinance

Delhi Ordinance: दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल ने लोकसभा में दिल्ली विधेयक को लेकर अमित शाह के भाषण पर पलटवार किया है. उन्होंने कहा, “केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह दिल्ली अध्यादेश विधेयक का समर्थन करने के लिए एक भी वैध तर्क नहीं दे सके. केजरीवाल ने कहा, “आज, मैंने दिल्ली के लोगों के अधिकारों को छीनने वाले विधेयक पर अमित शाह जी का लोकसभा भाषण सुना. उनके पास बिल के समर्थन में एक भी वैध तर्क नहीं है. वह तो बस बकवास कर रहे हैं. यहां तक कि वह जानते हैं कि वह जो कर रहे हैं वह गलत है.”

आम आदमी पार्टी के राष्ट्रीय संयोजक ने कहा, “यह विधेयक दिल्ली के लोगों को गुलाम बना देगा; यह उन्हें असहाय बना देगा. भारत ऐसा कभी नहीं होने देगा.”

दिल्ली अध्यादेश बिल क्या है?

अध्यादेश के माध्यम से केंद्र सरकार का लक्ष्य राष्ट्रीय राजधानी में नौकरशाही स्थानांतरण करने का अधिकार खुद के पास रखना है. चूंकि दिल्ली एक केंद्रशासित प्रदेश है, इसलिए केंद्र के प्रतिनिधि लेफ्टिनेंट गवर्नर (LG) निर्वाचित मुख्यमंत्री से पहले संवैधानिक प्रमुख हैं. हालांकि, इस मामले में सुप्रीम कोर्ट से अरविंद केजरीवाल को जीत मिली थी. सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि जनता द्वारा चुनी गई सरकार के पास नौकरशाहों के ट्रांसफर का अधिकार होना चाहिए. इसके बाद केंद्र सरकार सुप्रीम कोर्ट को चुनौती देते हुए एक अध्यादेश लेकर आ गई.

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दिल्ली का बॉस कौन की लड़ाई

बता दें कि दिसंबर 2013 से दिल्ली पर शासन करने वाली AAP और मई 2014 से केंद्र में सत्ता में रही भाजपा दिल्ली का बॉस कौन? को लेकर आमने-सामने है. 11 मई को, मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली सुप्रीम कोर्ट की संविधान पीठ ने सर्वसम्मति से 5-0 के फैसले में फैसला सुनाया कि केंद्र सरकार केवल यूटी में भूमि, कानून और व्यवस्था और पुलिस को नियंत्रित कर सकती है. हालांकि, 19 मई को राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने सुप्रीम कोर्ट के फैसले को नकारने के लिए एक अध्यादेश जारी किया.

-भारत एक्सप्रेस

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